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अन्तरेन
बीच रास्ते पर मार्ग के
ख. अन्तरा के आशय में मध्य में - तस्मि अत्थते थेरो इदं कूटागारं अन्तरे अप्पतिट्ठहित्वा रञ्ञा दिट्ठकालेयेव ... परिनिब्बायि, अ० नि० अड्ड. 2.131... पुरे वा पच्छा वा अन्तरे वा अनन्तरे वा धनं देति, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.11; ग. ष. वि. में अन्त होने वाले पद के साथ प्रयुक्त, दो या अनेकों, मध्य में बीचो-बीच हिन्नं पन नगरानं अन्तरे उभयनगरवासीनम्पि लुम्बिनीवनं नाम मङ्गलसालवनं अतिथ जा. अट्ठ. 1.63; सावत्थिया च जेतवनस्स च अन्तरे सकटानि मोचयिंसु ध. प. अड. 141. एकसट्टिया अरहन्तानं अन्तरे पञ्चवग्गियाने अब्भन्तरो अगतो. ध. प. अड. 1.53: अम्हाकं पनन्तरे राजा नाम नत्थि ... जा. अट्ठ. 2.291 घ. साथ में विषय में बारे में - किर मम अन्तरे एवं वुत्तन्ति, ध. प. अट्ठ. 2.238; अहिंसकमानवो तुम्हाकं अन्तरे दुमतीति मज्ञमाति म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.235.
तया
...
336
अन्तरेन अ., अन्तर से व्यु. तृ. वि. प्रतिरू, निपा., क्रि.वि. [ अन्तरेण]. क. बीच से होकर मध्य में, बीच में, कालावधि में अन्तरेन हत्थं पवेसेत्वा, म. नि. अट्ठ. 3.495 (सिआमी सं.): ख, द्वि. वि. में अन्त होने वाले पद के साथ, बीच में, मध्य में - चुतूपपाते असति नेविध न हुरं न उभयमन्तरेन, स. नि. 2 ( 2 ) . 65; ये पन उभयमन्तरेना ति वचनं गर्हत्वा अन्तराभव इच्छन्ति, ते सं... स. नि. अड्ड. 3.19; ग. ष. वि. में अन्त होने वाले पद के साथ, बीच में मध्य में सत्तन्नं त्वेव कायानमन्तरेन सत्यं विवरमनुपततीति दी. नि. 1.50 -- अन्तरेन यमकसालानं उत्तरसीसकं मञ्चकं पञ्ञपेहि दी. नि. 2.104; समतित्तिको तेलपत्तो अन्तरेन च महाजनकायस्स.... जा. अट्ठ. 1.376; घ. प. वि. में अन्त होने वाले पदों के साथ प्रयुक्त होने पर बिना या वर्जन के अर्थ वाला निपा, अन्तरेन परोपदेसा सामं येव सच्चानि अभिसम्भूज्झि इच्च एवमादि, सद. 3.733: तु विना नाना अन्तरेन रितेपृथु अभि. प. 1137. अन्तलिक्ख नपुं [अन्तरिक्ष ] आकाश एवं पृथ्वी के बीच वाला प्रदेश, वायुमण्डल, वातावरण, आकाश, नभमण्डल अन्तलिक्खं खमादिव्यपथों मं गगनाम्बरं अभि. प. 45: आकासो अम्बर अब्भं अन्तलिक्खं अयं नभः सह 2.442: सूरियोव ओभासयमन्तलिक्खन्ति उदा. 71; सूरियो अब्भुग्गतो अत्तनो पभाय अन्तलिक्खं ओभासेन्तोव अन्धकार विधमेन्तोतिद्वति, उदा. अ. 41: यानीध भूतानि
0,
यथा
अन्तवण्ण
समागतानि भुम्मानि वा यानि च अन्तलिक्खे, सु. नि. 224 गत्रि [ अन्तरिक्षग], अन्तरिक्ष में गमन करने वाला, आकाशमार्ग पर चलने वाला - तमोनुदा ते पन अन्तलिकखगा, अ. नि. 1 ( 1 ) 244 अन्तलिक्खगाति आकासङ्गमा, अ. नि. अट्ठ. 2.193 - चर त्रि., [अन्तरिक्षचर] आकाशमार्ग पर विचरण करने वाला - अन्तलिक्खचरो आसिं, चक्कवत्ती महब्बलो, बु. वं. 14.11; अन्तलिक्खचरोति चक्करतनं पुरखत्या आकासचरो, बु. वं. अड्ड. 235 अन्तलिक्खचरो पासो खायं चरति मानसो ति ध. स. अट्ट.
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185; - भवन नपुं, तत्पु. स. [अन्तरिक्षभवन ], आकाश में स्थित भवन नान्तलिक्खभवनेन नाङ्गपुत्तपिनेन वा जा.
अट्ठ. 3.191.
अन्तलिक्खेचरत्रि अन्तलिक्खचर का अप. [अन्तरिक्षचर] अन्तरिक्ष या आकाश में विचरण करने वाला मनोमया पीतिभक्खा सयंपभा अन्तलिक्खेचरा सुभट्ठायिनो चिरं दीघमद्धानं तिद्वन्ति, अ. नि. 3 ( 2 ) .50.
अन्तलुत्ति स्त्री, तत्पु, स. [अन्तलुप्ति ], अन्तिम वर्ण का लोप दिसा स्वानश्वान्तलुति च सह 3.857. अन्तलोप पु०, तत्पु॰ स॰ [अन्तलोप], अन्तिम वर्ण (स्वर या व्यञ्जन) का लोप दिसा स्वानस्वान्तलोपो च. क. व्या.
601.
अन्तवन्तु त्रि, अन्त से व्यु [ अन्तवत् ], वह, जिसका अन्त या विनाश अवश्य होता है, परिसीमित, वह जिसका कोई न कोई छोर या किनारा रहता है, सुनिश्चित प्रमाण वाला, असर्वगत अन्तवा अयं लोको परिवटुमो दी. नि. 1.19 अन्तवा अत्ता होति, दी० नि० 1.26; अन्तवा लोको, इदमेव सच्चं मोघमञ्ञन्ति, उदा. 145 अन्तवाति सपरियन्तो परिवटुमो परिच्छिन्नपमाणो न सब्बगतोति अत्थो, उदा. अट्ठ. 277.
अन्तवग्ग पु. स. नि. के खन्धसंयुक्त्त के 11वें वग्ग का नाम, स. नि. 2 (1).141-42.
अन्तवट्टि स्त्री. कर्म. स. उदर के भीतर विद्यमान आंत या अंतड़ी एकवीसतिया ठानेसु ओभग्गा अन्तवट्टि, विभ. 31. 229; अन्तवद्दीहि रुक्खं परिक्खिपित्वा लोहितपञ्चकुलिकानि करोम जा. अनु. 3.138. अन्तवण्ण पु. ब. स. [अन्त्यवर्ण] सबसे अधम जाति में उत्पन्न मनुष्य, अन्तिम वर्ण में जन्म ग्रहण करने वाला व्यक्ति सुद्दोन्तवण्णो वसलो ककिष्ण मागधादयो, अभि.
प. 503.
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