Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अवक्कन्ति
602
अवगच्छति
अवक्कन्ति स्त्री., [अवक्रान्ति, क. मार्ग या नियाम में प्रवेश, ख. गर्भ में प्रवेश या अवतरण, ग. पुनर्जन्म का ग्रहण, घ. अनुभूति, साक्षात्कार, प्रादुर्भाव - येसं धम्मानं समनन्तरा अरियधम्मस्स अवक्कन्ति होति. पु. प. 119; अवक्कन्ति होतीति ओक्कन्ति निब्बत्ति पातुभावो होति. पु. प. अट्ठ. 35; तस्मिं पतिहिते विज्ञाणे विरुळहे नामरूपस्स
अवक्कन्ति होति. स. नि. 1(2).58. अवक्कम/वोक्कम पु.. [अवक्रम], गर्भ में प्रवेश, गर्भधारण - तस्सा उतुम्हि न्हाताय, होति गभस्स वोक्कमो, जा. अट्ठ. 5.323. अवक्कमति अव + किम का वर्त., प्र. पु., ए. व. [अवक्राम्यति], शा. अ. अन्दर जाता है, पास पहुंचता है, ला. अ. प्रवेश करता है, गर्भ में प्रवेश करता है - क्कमि अद्य., उ. पु., ए.व. - पच्छतो तुम्हें नमुटु, कथं ख्वाहं अवक्कमिन्ति, जा. अट्ठ. 3.423; तव पच्छतो ठितं अहं कथं अवक्कमिन्ति अत्थो, जा. अट्ठ. 3.424. अवक्कमन नपुं., अव + Vकम से व्यु., क्रि. ना. [अवक्रमण]. अवतरण, अन्दर प्रवेश, नीचे उतरकर आना - थेरस्स कुमारकस्सपरस गब्भावक्कमनन्ति?... तासं त्वं सद्दहसि गब्भस्सावक्कमनन्ति?, मि. प. 130. अवक्कारपाती स्त्री., तत्पु. स. [अवकारपात्र/अवस्करपात्र, नपुं.]. भिक्षा में प्राप्त भोजन के अतिरिक्त भाग को रखने वाला पात्र, कूड़ा रखने का पात्र, उच्छिष्ट भोजनादि को रखने की टोकरी - तिं द्वि. वि., ए. व. - पानीयं परिभोजनीयं पटिसामेति, अवक्कारपातिं पटिसामेति, भत्तग्गं सम्मज्जति, म. नि. 1.271; अवक्कारपातिन्ति अतिरेकपिण्डपातं अपनेत्वा ठपनत्थाय एक समुग्गपातिं धोवित्वा ठपेति, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).140; - यं सप्त. वि., ए. व. - तस्मिं खो पन समये भिक्खूनं अवक्कारपातियं भुत्तावसेसकं भत्तं होति, ध. प. अट्ठ. 1.174. अवक्खलित नपुं.. [अवस्खलित, त्रि.], अपराध, त्रुटि, सन्मार्ग से फिसलन, भूल, कमी, गलती - तं प्र. वि., ए. व. - तस्स तं अनिस्सितरस यथावृत्तं चलितं अवक्खलितं विफन्दितं वा नत्थि कारणस्स सुविक्खम्भितत्ता, उदा. अट्ठ. 323; अलभमानोति रथरेणुमत्तम्पि अवक्खलितं अपस्सन्तो.... स. नि. अट्ठ. 1.163. अवक्खित्त त्रि., अव + खिप का भू. क. कृ. [अवक्षिप्त].
शा. अ. नीचे की ओर फेंका हुआ, ला. अ. उपेक्षित, नकारा गया, अस्वीकृत, अग्राह्य - तो पु., प्र. वि., ए. व.
- अथायं कायो उज्झितो अवक्खित्तो सेति, यथा कटु अचेतनन्ति , म. नि. 1.376; स. प. में पू. प. के रूप में - मत्तिकापिण्ड पु., कर्म. स. [अवक्षिप्तमृत्तिकापिण्ड], नीचे फेंका हुआ मिट्टी का ढेला - ताय एव मुच्छाय उप्पत्तिया ठत्वा अवक्खित्तमत्तिकापिण्डा विय विस्सुस्सित्वा पथवियं पतिता, फे. व. अट्ठ. 151; - चक्खु त्रि., ब. स. [अवक्षिप्तचक्षु), नीचे की ओर आंख की नजर रखने वाला, अपनी दृष्टि नीचे की ओर किया हुआ -- तत्थ अधोभावे अवकुज्जो, अवक्खित्तचक्खु, सद्द. 3.882; तुल. ओक्खित्तचक्खु: - सेद त्रि., ब. स. [अवक्षिप्तस्वेद], पसीना बहाकर कठोर परिश्रम करने वाला - देहि त. वि., ब. व. - सेदावक्खित्तेहीति अवक्खित्तसेदेहि, सेदं मुञ्चित्वा वायामेन पयोगेन समधिगतेहीति अत्थो, अ. नि. अट्ठ. 2.305. अवक्खिपति अव + खिप का वर्त, प्र. पु., ए. व., उतार फेंकता है, दूर हटा देता है - न्ती स्त्री., वर्त. कृ.. प्र. वि.. ए. व., पीछे की ओर फेंक रही- अजा यथा वेळगुम्बस्मि बद्धा, अवक्खिपन्ती असिमझगच्छि, ... तत्थ अवक्खिपन्तीति कीळमाना पच्छिमपादे खिपन्ती, जा. अट्ठ. 4.225; - पि अद्य., प्र. पु., ए. व. -- ततो नो समणो गोतमो महावाते थुसं धुनन्तो विय दूरमेव अवक्खिपि, दी. नि. अट्ट, 1.216. अवक्खिपन नपुं., अव + खिप से व्यु., क्रि. ना., उतार फेंकना, दूर हटा देना - नेन तृ. वि., ए. व. - अधो अवक्खिपनेनाति इमाहि छहि कलाहि यथा अतिभोति, जा. अट्ठ. 1.166. अवक्खेप पु., उपरिवत् - पो प्र. वि., ए. व. - अवक्खेपो
अधो खिपनं सद्द. 2.530. अवखण्डन नपुं., अव + Vखण्ड से व्यु., क्रि. ना. [अवखण्डन], विभाजन, वितरण, दान, टुकड़े-टुकड़े कर देना - नं प्र. वि., ए. व. - दानं वुच्चति अवखण्डनं, अपेतं दानतोति अपदानं अनवखण्डनन्ति अत्थो, विसुद्धि. 1.58; अवखण्डनं विच्छिन्दनं निरन्तरमप्पवत्ति, विसुद्धि. महाटी. 1.83; - ने सप्त. वि., ए. व. - दा अवखण्डने ... एत्थ च परितन्ति समन्ततो खण्डितत्ता परितं अप्पमत्तकं हि गोमयपिण्डं परित्तन्ति वुच्चति, सद्द. 2.480; - रहित त्रि०, तत्पु. स. [अवखण्डनरहित], बाधा से रहित - तं नपुं.. प्र. वि., ए. व. - सह अपदानेन सपदानं, अवखण्डनरहितं अनुघरन्ति वुत्तं होति, विसुद्धि. 1.58. अवगच्छति अव+ गम का वर्त.. प्र. पु. ए. व. [अवगच्छति], जानता है - पटिगच्छतीति पुन गच्छति, अवगच्छतीति
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761