Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar

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Page 733
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir असेचितब्बक 706 असेस वाला - नं नपुं.. प्र. वि., ए. व. - चित्तक्खिपीतिजन- नमव्यासेकमसेचनं, अभि. प. 697; तेन चित्तेन पातब्ब, विमुत्तिरसमसेचनान्ति, मि. प. 377; ला. अ. क. स्वाद में आनन्ददायक - कं नपुं, द्वि. वि., ए. व. - लभेथेव सादुरसं असेचनक, म. नि. 1.162; तञ्च पन अप्पटिवानीय, असेचनकमोजवं स. नि. 1(1),246; असेचकनमोजवन्ति अनासित्तक' ओजवन्तं यथा हि बाहिरानि असम्भिन्नपायासादीनिपि सप्पिमधसक्खराहि आसित्तानि योजितानेव मधुरानि ... न एवमयं धम्मो अयं हि ... न अजेन उपसित्तो, स. नि. अट्ठ. 1.277; ला. अ. ख. उत्तम एवं सुखद सुगन्ध से भरपूर - सो यतो यतो घायेथ... अधिगच्छतेव सुरभिगन्धं असेचनकं, अ. नि. 2(1).218; ला. अ. ग. अपने आप में परिपूर्ण एवं उत्तम अनुभव, (आनापानसति का अभ्यास) - को पु., प्र. वि., ए. व. - अयम्पि खो, भिक्खवे, आनापानस्सतिसमाधि भावितो... असेचनको च सुखो च..., पारा. 83; एत्थ पन नास्स सेचनन्ति असेचनको अनासित्तको अब्बोकिण्णो ..., पारा. अट्ठ. 2.9; नास्स सन्तपणीतभावावहं किञ्चि सेचनन्ति असेचनको, सारत्थ. टी. 2.163; ला. अ. घ. शील आदि में अपने आप में परिपूर्ण (साधक)- को पु., प्र. वि., ए. व. - अजेगुच्छोति सम्पन्नसीलादिताय अजेगुच्छनीयो असेचनको मनापो, सु. नि. अट्ठ. 2.241; - त्त नपुं., भाव. [असेचनकत्व]. मन को आनन्दित कर देना, अपने आप में मनोहारी या सुन्दर रहना - त्ताय च. वि., ए. व. - ... मधुरत्ताय सातत्ताय असेचनकत्ताय संवत्तति, अ. नि. 1(1).45; - फल त्रि., ब. स. [असेचनकफल], अनुकूल फल देने वाला, मन को आनन्दित करने वाले फल को देने वाला - लं नपुं, प्र. वि., ए. व. - ननु दानं इट्ठफलं... असेचनकफलं...., कथा. 179. असेचितब्बक त्रि., सिच (सींचना, भिगोना) के प्रेर. के सं. कृ. का निषे., अतिरिक्त रस या मशाले नहीं डालने योग्य, उचित अनुपात में डाले गए सभी रसों एवं मशालों से युक्त ... कं नपुं.. प्र. वि., ए. व. - असेचनकन्ति असेचितब्बक, सप्पिफाणितमधुसक्करादीसु इदं नामेत्थ मन्दं इदं बहुकन्ति न वत्तब्बं समयोजितस्सं. म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).392. असेट्ठचरिया स्त्री., कर्म. स. [अश्रेष्ठचर्या]. उत्तम आचरण का अभाव, दुराचार, अब्रह्मचर्य - यं द्वि. वि., ए. व. - अब्रह्मचरियन्ति असेट्ठचरियं, दी. नि. अट्ठ. 1.67. असेट्ठचारी त्रि.. [अश्रेष्ठचारिन्], उत्तम आचरण से विहीन, अब्रह्मचारी - नो पु., प्र. वि., ब. व. - अब्रह्मचारिनोति मेथुनप्पटिसेविताय असेट्ठचारिनो इमे हि नामा ति हीळेन्ता वदन्ति, उदा. अट्ठ. 210.. असेनासनक/ असेनासनिक त्रि., [अशयनासनिक]. आवश्यक आवासों की सुविधा से रहित, निवासस्थान को न पाया हुआ - केन पु., तृ. वि., ए. व. - असेनासनिकेन वस्सं उपगन्तब्बं महाव. 201; असेनासनिकेनाति यस्स पञ्चन्न छदनानं अञ्जतरेन छन्नं योजितद्वारबन्धन सेनासनं नत्थि, तेन न उपगन्तब्ब, महाव. अट्ठ. 335. असेल पु., व्य. सं., 1. पाण्डु वासुदेव का पुत्र, 2. मुटसिव का पुत्र - लो प्र. वि., ए. व. - ते गहेत्वा असेलो तु मुटसिवस्स अत्रजो, म. वं. 21.11-13. असेवना स्त्री., सेवना का निषे., तत्पु. स. [असेवन, नपुं.]. सेवासुश्रूषा न करना, उपेक्षा, उचित देखभाल न करना, साथ-सङ्ग न करना - ना प्र. वि., ए. व. - असेवना च बालानं पण्डितानञ्च सेवना, खु. पा. 5.3; तत्थ असेवनाति अभजना अपयिरुपासना, खु. पा. अट्ठ. 99. असेवितब्ब त्रि., सेव (सेवा करना, साथ करना) के सं. कृ. का निषे. [असेवितव्य], साथ संग न करने योग्य, आचरण न करने योग्य, - तब्बं नपुं.. प्र. वि., ए. व. - ... कायसमाचारपाहं ... दुविधेन वदामि - सेवितब्बम्पि, असेवितब्बम्पि, म. नि. 3.94. असेस त्रि., ब. स. [अशेष], समग्र, समूचा, सारा, कुछ भी नहीं छोड़ा हुआ - सं' नपुं॰, प्र. वि., ए. व. - निस्सेसं कसिणासेसं समग्गं च अनूनक, अभि. प. 702; - सं द्वि. वि., ए. व., क्रि. विशे., समूचे तौर पर, पूरी तरह से - यो रागमुदच्छिदा असेस, भिसपुप्फव सरोरुहं विगव्ह, सु. नि. 2-4; असेसन्ति सानुसयं, सु. नि. अट्ठ. 1.15; असेसमेते पजहासि बुद्धो ति, उदा. 111; ... असेसं, अनवसेसं .... उदा. अट्ठ. 192-93; - सा पु., प्र. वि., ब. क. - अरी असेसा दमथं उपेन्ति, दी. नि. अट्ठ. 2.191; - निरोध पु., कर्म. स. [अशेषनिरोध], पूरी तरह से समाप्ति या रुकावट, पूर्णरूप से विनाश - धा प. वि., ए. व. - केचि न निरुज्झन्ति अविज्जाय सावसेसनिरोधा, उदा. अट्ठ. 40; - निस्सेस त्रि., द्व. स. [अशेषनिःशेष], सभी को अपने अन्दर समेटा हुआ, समग्र, समूचा - सा नपुं, प्र. वि., ए. व. - यस्मा एवं दुक्खा पमुच्चति असेसनिस्सेसाति अरहत्तनिकूटेन देसनं निट्ठापेसि, सु. नि. अट्ठ. 1.183; - For Private and Personal Use Only

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