Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar

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Page 737
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org अस्सकर? 710 अस्सजाति ण्णा ब. व. - ..., अस्सकण्णा विभीटका, जा. अट्ठ.2.1333; चौथा सुत्त, जिसमें घोड़ों की आठ कमियों या गड़बड़ियों की ... अस्सकण्णा च विभीटका च रुक्खा दिद्वपुब्बा, तदे.; 2. समानता पर मनुष्य के आठ दोषों का उपदेश है, अ. नि. सिनेरु (सुमेर) पर्वत के अगल-बगल स्थित सात पर्वतों में 1(1).323-325. से एक - नेमिन्धरो विनतको अस्सकण्णो कुलाचला, अभि. अस्सगोणादिक नपुं.. [अश्वगोणादिक], घोड़ा एवं बैल प. 27; युगन्धरो ईसधरो, करवीको सुदस्सनो नेमिन्धरो आदि - कं पु., द्वि. वि., ए. व. - योग्गन्ति युगे युञ्जितब्ब विनतको, अस्सकण्णो गिरि ब्रह्म, सु. नि. अट्ठ. 2.149. ते तव अस्सगोणादिकं जा. अट्ठ. 6.29. अस्सकरट्ठ नपुं.. कर्म. स. [अश्मकराष्ट्र, दक्षिण में स्थित अस्सगन्धा स्त्री., [अश्वगन्धा], एक औषधीय पौधा - एक प्रदेश - टे सप्त. वि., ए. व. - तेन समयेन अस्सकरखे। अधोतक.... अस्सगन्धादिपिट्ठानि च यावजीविकानि, पाचि. पोतलिनगरे अस्सकराजा रज्जं करोति, वि. व. अट्ठ. 2183; अट्ठ. 92. एवं सकलजम्बुदीपं विचरित्वा अस्सकरडे पाटलिनगरं पाणिंसु अस्सगुत्त पु.. [अश्वगुप्त], व्यक्तियों के नाम, भदन्त नागसेन जा. अट्ठ. 3.3. के एक शिक्षक का नाम - अथ खो आयस्मा अस्सगत्तो अस्सकराज पु., तत्पु. स. [अश्मकराजन्], अश्मक देश का दिब्बाय सोतधातुया मिलिन्दस्स रओ वचनं सुत्वा राजा - जा प्र. वि., ए. व. - ... अस्सकरढे पोतलिनगरे युगन्धरमत्थके भिक्खुसङ्घ सन्निपातेत्वा भिक्खू पुच्छि ... अस्सकराजा रज्जं करोति, वि. व. अट्ठ. 218; - जेन तृ. पटिबलो... पटिविनेतु न्ति, मि. प.6; -- थेर पु., कर्म. स., वि., ए. व. - अयमस्सकराजेन, देसो विचरितो मया, जा. महाकाश्यप की परम्परा का एक स्थविर - स्स ष. वि., ए. अट्ठ. 2.130; ... पुब्बे मया अस्सकराजेन सद्धि विचरितो. व. - ... महाकस्सपत्थेरस्स ... चन्दगुत्तत्थेरस्स, ... तदे. - स्स ष. वि., ए. व. - तत्थ अस्सकाधिपतिस्साति सूरियगुत्तत्थेरस्स, ... अस्सगुत्तथेरस्स. . अस्सकरट्ठाधिपतिनो अस्सकराजस्स, वि. व. अट्ठ. 219. ... योनकधम्मरक्खितत्थेरस्स ... स. नि. अट्ठ. 3.179-80. अस्सकाधिपति पु., तत्पु. स. [अश्मकाधिपति], अश्मक अस्सगुम्ब पु., तत्पु. स. [अश्वगुल्म], घुड़सवार सेना की देश का राजा - स्स ष. वि., ए. व. - तत्थ टुकड़ी - म्बे सप्त. वि., ए. व. - कदाहं अस्सगुम्बे च, अस्सकाधिपतिस्साति अस्सकरट्ठाधिपतिनो अस्सकराजस्स सब्बालङ्कारभूसिते, जा. अट्ठ. 6.56... ...., वि. व. अट्ठ. 219. अस्सगोचर त्रि., ब. स. [अश्वगोचर], घोड़े को अपना अस्सकाय पु., तत्पु. स. [अश्वकाय], घुड़सवार टुकड़ी - शिकार बनाने वाला - रो प्र. वि., ए. व. - यथेव हि सोणो या प्र. वि., ब. व. - इमस्मि राजकुले हत्थिकायापि अस्सगोचरो अस्से डसेन्तोव चरति, तथा सुहनुपि, जा. अट्ठ. अस्सकायापि रथकायापि पत्तिकायापि, ..., म. नि. 2.266. 2.25. अस्सकावन्ती पु., द्व. स. [अश्मकावन्ति], अश्मक एवं अस्सगोपक पु., [अश्वगोपक]. साईस, घोड़े की देखभाल अवन्ति-नामक राष्ट्र या जनपद - न्ती प्र. वि.. ब. व. - करने वाला - को प्र. वि., ए. व. - खिप्पमेवेस अथ वा अस्सकावन्ती, सुमना दम्म ते मयं, जा. अट्ठ. 5.3083; .... अयं सिङ्गारो आचारसम्पन्नो अस्सगोपको में अस्सकावन्ती अस्सकरटुं वा अवन्तिर8 वा, जा. अट्ठ. सिक्खापेतीति ... अनुसिक्खिस्सति, जा. अट्ठ. 2.81; - 5.309. कानं ष. वि., ब. व. - सो अस्सगोपकानं सन्तिके वड्ढति, अस्सकुणप नपुं., तत्पु. स., घोड़े की लाश - जा. अट्ठ. 4.432. हत्थिकुणपअस्सकुणपगोकुणपमहिंसकुणप ... अस्सछकणपिण्ड नपुं.. तत्पु. स. [अश्वशकृपिण्ड], घोड़े कुक्कुरकुणपानिपि दट्टब्बानि भवन्ति, विसुद्धि. 1.333. की लीद का गोला - ण्डेन तृ. वि., ए. व. - पुन पि अस्सखळु पु., कर्म. स. [अश्वकलङ्क], घोड़े की गड़बड़ी, .... अस्सगोपकवेसेन तं दिस्वा तथेव अस्सछकणपिण्डेन घटिया नस्ल का घोड़ा, काबू में न रखे जाने योग्य घोड़ा, पहरि जा. अट्ठ. 5.277. घोड़े का बच्चा - को प्र. वि., ए. व. - अस्सखलुङ्कोति अस्सजाति त्रि., ब. स. [अश्वजातिक], घोड़े की प्रजाति अस्सपोतो, अ. नि. अट्ठ. 2.235; -के द्वि. वि., ब. व. - वाला - तिं पु., वि. वि., ए. व. - सिमितिन्ति ... दन्तमेव अट्ठ च, भिक्खवे, अस्सखळुड़े देसेस्सामि अट्ठ च अस्सदोसे, गोणजातिं वा अस्सजातिं वा याने योजत्वा नयन्ति, ध. प. अ. नि. 3(1).33; - सुत्त पु., अ. नि. के अट्ठकवग्ग का अट्ठ.2.284. For Private and Personal Use Only

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