Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar

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Page 741
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अस्समपद 714 अस्सरतन अस्समण्डलिकायोति पञआयिंसति परिमण्डलाकारेन कतत्ता अस्समण्डलिकायोति पाकटा अहेसुं. सारत्थ. टी. 1.373. अस्समपद नपुं.. तत्पु. स. [आश्रमपद], आश्रम का स्थल, आश्रम की भूमि, आश्रम - दं द्वि. वि., ए. व. - अथ नं अस्समपदं नेत्वा ... पटिजग्गि, ध. प. अट्ठ. 1.96; ... पन्नरसयोजनं अस्समपदं मापेही ति आह, जा. अट्ठ. 1.301; - सम्पत्ति स्त्री., तत्पु. स. [आश्रमपदसंपत्ति], आश्रम के स्थल की समृद्धि या सम्पदा-त्तिं द्वि. वि., ए. व. - तत्थ गन्वा इमं अस्समपदसम्पत्ति पस्सिस्सतीति, जा. अह. 7.293. अस्सममग्गपस्स पु../नपुं.. आश्रम की ओर जाने वाले मार्ग के आस-पास का क्षेत्र - स्से सप्त. वि., ए. व. - अत्रे पन ... च अनुमग्गे मम अस्सममग्गपस्से वसन्ति, जा. अट्ठ. 5.191. अस्समारक पु., [अश्वमारक], एक औषधीय पादप, कनैर या कनैल - करवीरो स्समारको, अभि. प. 577. अस्समुख' त्रि., ब. स. [अश्वमुख], घुड़मुंहा, घोड़े की तरह मुख वाला - खी स्त्री., प्र. वि., ए. व. - ... एकस्मि पब्बतपादे अस्समुखी यक्खिनी हुत्वा, जा. अट्ठ. 3.444. अस्समुख नपुं., अनवतप्त जलाशय में पानी आने के चार मुहानों में से एक - खं प्र. वि., ए. व. - तत्थ चतूसु पस्सेसु सीहमुखं हत्थिमुखं अस्समुखं उसभमुखन्ति चत्तारि मुखानि होन्ति, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.27. अस्समुट्ठिक/अस्ममुट्ठिक त्रि., ब. स. [अश्ममुष्टिक]. पत्थर जैसी कठोर मुट्ठी वाला - का पु., प्र. वि., ब. व. - ये दिवसे दिवसे भिक्खापरियेट्टि नाम दुक्खा पब्बजितस्साति मुट्टिपासाणेन अम्बाटकादीनं रुक्खानं तचं कोर्दृत्वा खादन्ति ते अस्ममुट्ठिका नाम, दी. नि. अट्ठ. 1.219; अस्ममुट्ठिना मुट्टिपासाणेन वत्तन्तीति अस्ममुट्ठिका, लीन. (दी.नि.टी.) 1272 अस्समेण्ड पु., अस्समण्ड का अप., साईस - अस्सारोहाति सब्बेपि अस्साचरियअस्सवेज्जअस्समेण्डादयो, दी. नि. अट्ठ. 1.131. अस्समेध पु., [अश्वमेघ], एक वैदिक यज्ञ, जिसमें घोड़े की बलि दी जाती थी-धो प्र. वि., ए. व. - अस्समेधो च पुरिसमेधो चेव निरगळो, अभि. प. 413; -धं द्वि. वि., ए. व. - अस्समेधं पुरिसमेधं, सम्मापासं वाजपेय्यं निरग्गळं सु. नि. 305; अस्समेधान्ति आदीस अस्समेत्थमेधन्तीति अस्समेधो, सु. नि. अट्ठ. 2.51; - विकप्प पु., तत्पु. स. [अश्वमेधविकल्प], अश्वमेध यज्ञ का विकल्प या प्रभेद - स्स ष. वि., ए. व. - नवहि ... अस्समेधे ... वुत्तविभवदक्खिणस्स सबमेध परियायनामस्स अस्समेधविकप्परसेवेतं अधिवचनं. स. नि. अट्ठ. 1.129; इतिवु. अट्ठ. 82. अस्सय/आसय पु., [आश्रय], सहारा, अवलम्बन, शरणस्थल, निवासस्थान - यो प्र. वि., ए. व. - आसयोति वसनट्ठान, स. नि. अट्ठ. 1.91; - ये सप्त. वि., ए. व. - चित्तसालसमीपम्हि महाबोधिपदस्सये, म. वं. 20.52. अस्सयान नपुं., [अश्वयान], सवारी के रूप में प्रयुक्त घोड़ा, घोड़ा की सवारी - नं प्र. वि., ए. व. - भद्दकं वत भो अस्सयानं सचे दमथं उपेय्याति, दी. नि. 2.130; न अस्सयानं. न रथेन यातुं, स. नि. अट्ठ. 1.74. अस्सयी त्रि., [आश्रयिन], आश्रय या सहारा लेने वाला, अवलम्बन लेने वाला - यिनो पु.. प्र. वि., ब. व. - मानस्सिनोति मानस्सयिनो, माननिस्सिताति वुत्तं होति, चूळव. अट्ठ. 108. अस्सयुज' पु., [अश्वयुज], अश्विनी-नामक प्रथम नक्षत्र - अस्सयुजो भरणित्थी कत्तिका रोहिणी येव, अभि. प.58; - नक्खत्त नपुं.. अश्विनी नक्षत्र - त्तेन तृ. वि., ए. व. - अस्सयुजनक्खत्तेन देवोरोहनन्ति ..., दी. नि. अट्ठ. 2.16. अस्सयुज' पु., [अश्वयुज]. अश्विनी नक्षत्र से युक्त पूर्णिमा वाला आश्विनमास - जा प्र. वि., ब. व. - पोट्टपादास्सयुजा च मासा द्वादस कत्तिको, अभि. प. 75; अस्सयजकत्तिकमासा हि लोके सरदउतूति वुच्चन्ति, इतिवु. अट्ठ. 79. अस्सयुद्ध नपुं., तत्पु. स. [अश्वयुद्ध], मनोरञ्जन के साधन के रूप में घोड़ों का युद्ध - द्धं प्र. वि., ए. व. - . .. हत्थियुद्धं अस्सयुद्धं ... वट्टकयुद्धं ... सेनाब्यूह ... इति, दी. नि. 1.6. अस्सर त्रि, निषे. ब. स. [अस्वर], स्वरों से रहित (व्यञ्जन) - रं नपुं., द्वि. वि., ए. व. - तत्थ सन्धिं ... अधो ठितं अस्सरं कत्वा ... वियोजये, क. व्या. 10. अस्सरणता स्त्री., अस्सरण का भाव. [अस्मरणत्व, नपुं.]. स्मरण न रखना, भूल जाना, स्मृति का अभाव - ता प्र. वि., ए. व. - या अस्सति ... अस्सति अस्सरणता अधारणता पिलापनता सम्मुसनता, पु. प. 127. अस्सरतन नपुं., कर्म. स. [अश्वरत्न], उत्तम गुणों वाला घोड़ा, बहुमूल्य घोड़ा, चक्रवर्ती राजा - नं प्र. वि., ए. व. - ... रओ महासुदस्सनस्स अस्सरतनं पातुरहोसि .... दी. नि. 2.130; - नेन तृ. वि., ए. व. - अस्सरतनेन चेवाह, For Private and Personal Use Only

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