Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar

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Page 749
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अस्सुतालाप को अज्ञात मानना, आठ प्रकार के अनार्य-व्यवहारों में से एक ता प्र. वि. ए. व.दिद्वे अदिद्ववादिता सुते असुतवादिता... इमे खो भिक्खने, अट्ठ अनरियवोहारा ति अ. नि. 3(1).131. अस्सुतालाप त्रि. व. स. [अश्रुतालाप ], वह जिस ने मनुष्यों के आलाप को पहले कभी नहीं सुना है - पा पु०, प्र. वि. ब. व. ब्रह्माणो चस्सुतालापा सम्बुद्धा चापि भासरे मो. प. प. भूमिका, पृ. 2. 722 - अस्सुतावी त्रि, वह, जिसने पहले शास्त्रों को या धर्म के उपदेशों को सुना ही नहीं है, पृथग्जन, अज्ञानी विनो पु.. प्र. वि. ब. व. बाला. दुम्मेधा अस्सुताविनो, अ. नि. 1 (1). 190; अस्सुताविनोति खेत्तविनिच्छयसवनेन रहिता, अ. नि. अट्ठ. 2.141. " ... अस्तुति स्त्री० [अश्रुति], श्रवण-परम्परा का अभाव, अश्रवण, नहीं सुनना - या तृ.वि., ए.व. अदिडिया अस्सुतिया अञाणा, सु. नि. 845; 846. अस्सुत्थ√सु (सुनना) का अद्य, म. पु. ब... तुम लोगों सुना था अस्सुत्य नो, तुम्हे, भिक्खवे, अभिगुस्स भिक्खुनो ब्रहालोके ठितस्स गाथायो भासमानस्सा ति स. नि. 1 (1).184. अस्सुदं अ सुदं अथवा अस्सु निपा. का परिवर्तित रूप पदपूरणार्थक अथवा निर्धारणार्थक निपा. के रूप में प्रयुक्त, व्यु. संदिग्ध वास्तव में, निश्चित रूप से इमस्सुदं यन्ति दिसोदिसं पुरे जा. अड. 4.308; इमस्सुदन्ति इमे सुदं मया अक्खीनि उम्मीलेत्वा ओलोकितमत्ताव पुब्बे दिसोदिसं, तदे.; द्रष्ट. सुदं के अन्त (आगे). अस्सुध अ. निपा., उपरिवत् नास्सुध कोचि भगवन्तं उपसङ्गमति, स. नि. 3(2).390, नास्सुधाति एत्थ अस्सुपाति पदपूरणमत्ते अवधारणत्थे वा निपातो. स. नि. अड. 3.299; एवं, भन्ते ति खो ते भिक्खू भगवतो पटिस्सुणित्वा नास्सुध कोचि भगवन्तं उपसहमति, पारा. 347. अस्सुधारा स्त्री, तत्पु. स. [अश्रुधारा ] आंसुओं की धारा, आंसुओं का लगातार बहाव प्र. वि., ए. व. अस्सुधारा पवत्तयमाना..., जा० अट्ठ. 4.100; - रार प्र. वि., ब. व. अस्सुधारा पक्तन्ति म. नि. अड्ड. ( मु.प.) 1 (2) 263; - राद्वि. वि., ब. क. अस्सुधारा पवत्तेत्या ध. प. अट्ठ. 2.289. अस्सुनेत्त त्रि. ब. स. [अश्रुनेत्र] आंसुओं से भरपूर नेत्रों वाला / वाली त्ता' स्त्री. प्र. वि., ए. व. अस्सुनेता Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अस्मोचन रुदम्मुखा, अप. 2.235 - त्ता' पु०, प्र. वि., ब. व. अस्सुनेत्ता रुदमुखा, जा. अ. 7.278. अस्सुपग्धरणक्खि त्रि. व. स. [अश्रुप्रधारणाक्ष], लगातार ह रहे आंसुओं से भरी हुई आंखों वाला - क्खि पु०, प्र. वि., ए. व. निप्पखुमक्खि वा अस्सुपधरणक्खि वा समन्नागतक्खि वा महाव. अड. 294, अस्सुभे सज्जामे सज्जपञ्ह पु. नि. प. में मिलिन्द द्वारा आंसू के निर्मल या समल होने के विषय में पूछा गया एक ञ्हो प्र. वि., ए. व. अस्सुभेसज्जाभेसज्जपहो छट्टो, मि. प॰ 83. प्रश्न अस्सुपात पु., तत्पु० स० [अश्रुपात], आंसुओं का टपकना या गिरना तेन तू. वि., ए. व. थेरस्स अस्सुपातेन मुत्तदिवसो नाम अहोसि, म. नि. अड. (मू०प०) 1(2).263. अस्सुपुण्ण त्रि. तत्पु. स. [ अश्रुपूर्ण] ण्णेहि नपुं. तू. वि., व. व. रोदित्वा पक्कामि जा. अड. 7.288; [अश्रुपूर्णनेत्र] आंसुओं से भरे हुए नेत्रों वाला त्ता पु. प्र. वि. ब. व. ते तरस... अस्सुपुण्णनेता हुत्या ध. प. अट्ठ. 1.8. आंसुओं से भरा हुआ अस्सुपुण्णेहि नेतेहि नेत्त त्रि. ब. स. " For Private and Personal Use Only . अस्सुबिन्दुघटा स्त्री. तत्पु. स. [अश्रुविन्दुघटा ] आंसुओं की बूंदों की बहुलता या अधिकता टा प्र. वि. ए. व. वारिगणाति अस्सुबिन्दुघटा, जा. अ. 4.415. अस्सुमुख त्रि. ब. स. [अश्रुमुख] आंसुओं से भरपूर मुख वाला / वाली खो पु. प्र. वि. ए. व. पितु मरणेन सोकपरिदेवसमापन्नो अस्सुमुखो... चितकं पदक्खिणं करोति, पे.व. अ. 34; खा ब. व. अज्ञ सोचन्ति रोदन्ति, अज्ञ अस्सुमुखा जना, जा. अड. 3.145; अस्सुमुखा रुदमाना, म. नि. 2.6: खं पु. द्वि. वि. ए. व. अस्सुमुखं रोदमान जा. अड. 3.397 खानं पु. ष. वि. ब. व. अस्सुमुखानं रुदन्तानं दी. नि. 1.116; अस्सूनि मुखे एतेसन्ति अस्सुमुखा, तेसं अस्सुमुखानं दी. नि. अड. 1.229 - खा / खी स्त्री.. प्र. वि., ए. व. सा दक्खिणा अस्सुमुखा सदण्डा, जा. अट्ठ. 4.60; तस्स सन्तिकं गन्त्वा अस्सुमुखी रोदमाना ..... जा. अड. 3.157. " अस्सुमेघ पु०, एक प्रत्येकबुद्ध का नाम अथस्सुमेघो अनीघो सुदाठो, म. नि. 3.116. " अस्सुमोचन नपुं तत्पु स [अश्रुमोचन] आंसुओं को गिराना, रोना, रुदन नं. प्र. वि., ए. व. तत्थ रुण्णन्ति

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