Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar

View full book text
Previous | Next

Page 748
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अस्सिलिस 721 असुतवादिता अस्सिलिस पु.. [अश्लेषा], 27 नक्षत्रों के बीच नवां नक्षत्र जिसमें पांच तारे होते हैं - मिगसिरमद्दा च पुनब्बसु फुस्सो चासिलेसापि, अभि. प. 58; सद्द. 2.359; पाठा. अस्सिलिस. अस्सु' अस (होना) के विधि., प्र. पु., ए. व./प्र. पु., ब. व. में वैकल्पिक रूप, अत्थि के अन्त., द्रष्ट.. अस्सु सु (सुनना) के अद्य., म. पु., ए. व. का वैकल्पिक रूप, तूने सुनाया- तानिरस कम्मायतनानि अस्सु पुरिसस्स वुत्तिसमोधानताय, जा. अट्ठ. 3.477; तत्थ अस्सुति अस्सोणि. जा. अट्ठ. 3.476. अस्सु' अ., पदपूरणार्थक एवं अवधारणार्थक निपा. [स्म, स्विद], निश्चित रूप से, वास्तव में - विसिट्ठकल्याणितरस्सु रूपतो, वि. व. 319; अस्सूति निपातमत्तं, वि. व. अट्ठ. 111; सहावस्स दस्सनसम्पदाय, तयस्सु धम्मा जहिता भवन्ति, सु. नि. 233; आदित्तस्सु नामज्ज वेदियको पब्बतो झायतिसु नामज्ज ... वेदियको ... अहेसु. दी. नि. 2.195. अस्सु नपुं.. [अश्रु]. आंसू - स्सूनि प्र. वि., ब. व. - वप्पो नेत्तजलास्सूनि, अभि. प. 260; - स्सु प्र. वि., ए. व. - अस्सु सोमनस्सदोमनस्सविसभागाहारउतूहि समुट्ठहित्वा अक्खिकपके पूरेत्वा तिद्वन्ती वा पग्घरन्ती वा आपोधातु, पटि. म. अट्ठ. 1.72; पित्तं सेम्ह पुब्बो लोहितं सेदो मेदो अस्सु वसा खेळो सिङ्गाणिका लसिका मुत्तं, म. नि. 1.247; - ना तृ. वि., ए. व. - ..., अस्सुना पण्णलोचनो, अप. 2.210; - म्हि सप्त. वि., ए. व. - ... एकेकस्सपि अस्सुम्हि थळे रुधिरम्हि च पमाणतो ..., थेरीगा. अट्ठ. 313; - स्सूनि' प्र. वि., ब. व. - तस्स अस्सूनि तेसं ... पतन्ति, जा. अट्ठ. 7.316; - स्सूनि द्वि. वि., ब. व. - अस्सूनि पवत्तयमानो... पक्कामि, महाव. 110; - क नपुं., अस्सु से व्यु. [अश्रुक], आंसू - केन तृ. वि., ए. व. - तासं रोदन्तीनं भगवतो सरीरं अस्सुकेन मक्खितं, चूळव. 458; - किलिन्नमुख नपुं., तत्पु. स. [अश्रुक्लिन्नमुख], आंसुओं से भीगा हुआ मुख - खं द्वि. वि., ए. व. - अज्जेव तव अस्सुकिलिन्नमुखं हासापेन्तोव आगच्छिस्सामीति .... जा. अट्ठ. 3.287; - जनन नपुं.. तत्पु. स. [अश्रुजनन], आंसुओं । को उत्पन्न कर देना - तो नपुं., प. वि., ए. व. - तं अकारणं, सोमनस्सस्सापि अस्सुजननतो. ध. स. अट्ट. 297; - जल नपुं, तत्पु. स. [अश्रुजल]. आंसुओं का पानी - लं प्र. वि., ए. व. - ततो बहु अस्सुजलं अनप्पकं ध. प. अठ्ठ. 1.304. अस्सुणन्त त्रि., (सु (सुनना) के वर्त. कृ. का निषे॰ [अश्रृण्वत्]. नहीं सुन रहा, सुनने में अक्षम - न्तं पु.. द्वि. वि., ए. व. - अचेतनं ब्राह्मण अस्सुणन्तं, .... जा. अट्ट, 3.20; तत्थ अस्सुणन्तन्ति अचेतनत्ताव असुणन्तं, तदे.. अस्सुत/असुत त्रि., सु (सुनना) के भू. क. कृ. का निषे० [अश्रुत], 1.शा. अ. नहीं सुना गया, न सुना हुआ, वह, जो सुनाई नहीं दिया है, 2.ला. अ. मूर्ख या अज्ञानी, अप्रशिक्षित, वह, जिसने शास्त्र को या धर्म को नहीं सुना है, 3. वह, जिसे सुना नहीं गया है, अज्ञात - तं पु.. द्वि. वि., ए. व. - अस्सुतं सावेन्ति, सुतं परियोदापेन्ति, दी. नि. 3.145; - तं नपुं., प्र. वि., ए. व. - न तुम्ह अदिळ असुतं अमुतं, .... लोके, सु. नि. 1128; बहुम्पि ते अदिट्ठन्ति तया चक्खुना अदिष्टुं सोतेन च अस्सुतमेव बहुतरं जा. अट्ठ. 3.205; - ता स्त्री., प्र. वि., ए. व. - यदा ते चिरवासिमाता अदिट्ठा अहोसि, अस्सुता अहोसि, स. नि. 2(2).313; - ते सप्त. वि., ए. व. - असुते सुतवादिता, अ. नि. 3(1).131; - पुब्ब त्रि, ब. स. [अश्रुतपूर्व], पहले नहीं सुना गया/सुनी गई, पूर्वकाल में नहीं सुना हुआ - ब्बा स्त्री., द्वि. वि., ए. व. - ... गाथायो पटिभंसु पुब्बे अस्सुतपुब्बा, महाव. 5; - य तृ. वि., ए. व. - ... अगतपुब्बाय वा दिसाय अस्सुतपुब्बाय वा नामपञत्तिया सम्मुव्हेय्याति, मि. प. 41; - पुब्बता स्त्री., भाव., पूर्वकाल में सुना हुआ न रहना - य तृ. वि., ए. व. - तस्सा वचनं सुत्वा नत्थी ति पदस्स असुतपुब्बताय नत्थिपूवा नाम इदानि भविस्सन्ती ति, ....ध. प. अट्ठ. 2.354; - भाव पु., सुना हुआ न रहना - वं द्वि. वि., ए. व. - पुण्णको अत्तनो वचनस्स अस्सुतभावं ञत्वा जिनकदेवपुत्तस्स सन्तिके अट्ठासि, जा. अह. 7.162. अस्सुतवन्तु त्रि., सु (सुनना) के भू. क. कृ. का निषे. [अश्रुतवत्]. शा. अ. वह, जिसने सुना नहीं है, ला. अ. स्कन्धों, धातुओं, आयतनों तथा स्मृति-प्रस्थानों में पूर्ण ज्ञान को अप्राप्त, अज्ञानी, पृथग्जन - तवा पु., प्र. वि., ए. व. - अस्सुतवाति खन्धधातु आयतनपच्चयाकारसतिपट्टानादीसु उग्गहपरिपुच्छाविनिच्छयरहितो, स. नि. अट्ठ. 2.85; सो आगमाधिगमाभावा जेय्यो अस्सुतवा इति, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).23; अस्सुतवा पुथुज्जनो अरियानं अदस्सावी अरियधम्मस्स अकोविदो ... अविनीतो, म. नि. 1(1).1-2; -- वतो पु., ष. वि., ए. व. - तस्मा अस्सुतवतो पुथुज्जनस्स चित्तभावना नत्थीति वदामी ति, अ. नि. 1(1).13. असुतवादिता स्त्री॰, अस्सुतवादी का भाव. [अश्रुतवादित्व, नपुं.]. किसी सुनी बात को भी न सुनी हुई मानना, ज्ञात For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761