Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar

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Page 743
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अस्सवनीय 716 अस्ससिप्प अस्सवनसुस्सवन आधारणदळहीकरणादीनि वा सन्धाय तदत्थदीपकमेव च, सु. नि. अट्ठ. 2.114; - भावपटिक्खेप पु. [अश्रवणभावप्रतिक्षेप], नहीं सुनने की स्थिति का निराकरण - तो प. वि., ए. व. - सुतन्ति अस्सवनभावपटिक्खेपतो अनूनाधिकाविपरीतग्गहणनिदस्सन, दी. नि. अट्ठ. 1.29, - ता स्त्री., अस्सवन का भाव., नहीं सुनने की अवस्था, उपेक्षा भाव, आज्ञापरायणता का अभाव - अरसवनता धम्मस्स परिहायन्ति, महाव. 6. अस्सवनीय त्रि., vसु (सुनना) का सं. कृ. का निषे. [अश्रवणीय], नहीं सुने जाने योग्य, कठोर या बहुत ऊंची आवाज वाला - खरसर त्रि., सुनाई देने में कठिन तथा तीक्ष्ण स्वर वाला - दिट्ठविद्देसनीयो चास्सवनीयखरस्सरो, सद्धम्मो. 82. अस्सवस त्रि., सवस का निषे. [अस्ववश], अपनी स्वयं की मदद करने में भी अक्षम, पूरी तरह परावलम्बी - संपु., द्वि. वि., ए. व. - जरावरन्ति जराय किलन्तं अस्सवसं. लीन. (दी.नि.टी.) 2.40. अस्सवाणिज पु., तत्पु. स. [अश्ववाणिज], घोड़ों का सौदागर, घोड़ों के क्रय-विक्रय का व्यापार करने वाला - जा प्र. वि., ब. व. - उत्तरापथका अस्सवाणिजा पञ्चमत्तेहि अस्ससतेहि वेरजं वस्सावासं उपगता होन्ति, पारा. 7; तेन खो पन समयेन उत्तरापथका अस्सवाणिजा .... पारा. अट्ट, 1.133; -क पु., उपरिवत् - का प्र. वि., ब. व. - तेसं अस्सवाणिजका पत्थपत्थपुलकं भिक्खं पञआपेसुंध. प. अट्ठ. 1.333. अस्सवाल पु., तत्पु. स. [अश्वबाल], घोड़े का बाल - लेहि तृ. वि., ब. व. - बाळकम्बलन्ति अस्सवालेहि कतकम्बलं. दी. नि. अट्ट, 1.265; चामरीवालअस्सवालादीहि कतं वालकम्बल, लीन. (दी.नि.टी.) 3.200. अस्सवेज्ज पु., तत्पु. स. [अश्ववैद्य], घोड़े का चिकित्सक -- अस्सारोहाति सब्बेपि अरसाचरियअस्सवेज्जअस्समेण्डादयो, दी. नि. अट्ठ. 1.130-31. अस्ससति आ + (ससु (श्वांस लेना) वर्त., प्र. पु., ए. व.. 1.क. अन्दर की ओर श्वांस को खींचता है - सो सतोव अस्ससति, सतोव पस्ससति, दीर्घ वा अस्ससन्तो दीघं अस्ससामी ति पजानाति, दी. नि. 2.215; - सामि उ. पु... ए. व. - ... दीघं अस्ससामीति पजानाति, दी. नि. अट्ठ. 2.318; - सन्तो पु., वर्त. कृ. का प्र. वि., ए. व. - मुखं विवरित्वा निपन्नो अस्ससन्तो पस्ससन्तो निदं उपगन्छि, जा. अट्ठ. 2.42; 1.ख. दूसरे को अभिभूत करने, पीडित करने या उस पर आविष्ट करने हेतु लम्बी सांस खींचता है, आविष्ट कर लेता है - न्ति वर्त., प्र. पु., ब. व. - यक्खा पिसाचा अथवापि पेता, कुपिता ते अस्ससन्ति मनुरसे, न मच्चुनो अस्ससितुस्सहन्ति, जा. अट्ट, 4.448; अस्ससन्तीति अस्सासवातेन उपहनन्ति, आविसन्तीति वा अत्थो, जा. अट्ठ. 4.451; 2. क. फिर से ऊर्जा पाने हेतु दम भर लेता है, थोड़ी सी राहत की सांस ले लेता है - स्सासयित्वा पू. का. कृ., प्रेर., विश्राम करके - मुहुत्तं अस्सासयित्वा, अगमा येन पब्बतो, जा. अट्ठ. 4.84; 2.ख. धीरज रखता है - स्सास अनु., म. पु., ए. व. -- अम्म अस्सास मा सोचि, जा. अट्ठ. 7.35; अस्सास हेस्सामि ते पति, जा. अट्ठ. 7.156; - स्सासत अनु०, प्र. पु., ए. व. - अस्सासतायस्मा, स. नि. 3(2),472; अस्सासतायस्माति, अस्सासत आयस्मा, स. नि. अट्ठ. 3.321; 3. विश्वास करता है, भरोसा करता है - अस्मसे/अस्ससे विधि., प्र. पु.ए. व. - नास्मसे कतपापम्हि, नास्मसे अलिकवादिने नास्मसे अत्तत्थपञ्चम्हि, अतिसन्तेपि नास्मसे, जा. अट्ट. 4.50; तत्थ नास्मसेति नारससे ... न विस्ससेति वुत्तं होति, जा. अट्ठ. 4.51. अस्सपरस्स पु., तत्पु. स. [अश्वापरश्व], घोड़ों के बीच अच्छा घोड़ा, घोड़ों के बीच ऊँची नस्ल वाला या प्रशिक्षित घोड़ा - स्सा प्र. वि., ब. व. - इमे खो, भिक्खवे, तयो अस्सपरस्सा, अ. नि. 1(1).325; नवमे अस्सपरस्सेति अस्सेस परस्से, अ. नि. अट्ठ. 2.235. अस्ससम्मद्द त्रि., ब. स. [अश्वसम्म], बहुत सारे घोड़ों से भरा हुआ - इं नपुं॰, प्र. वि., ए. व. - रुओ राजन्तेपुर हथिसम्म अस्ससम्म रथसम्मई..., पाचि. 212. अस्ससाला स्त्री., तत्पु. स. [अश्वशाला], घुड़साल, घोड़ों के रखने का स्थान, अस्तबल - य सप्त. वि., ए. व. - ... अस्से अस्ससालायं सण्ठापेसि. जा. अट्ठ. 1.130; - निस्सित त्रि०, तत्पु. स. [अश्वशालानिश्रित], घुडसाल के पास में स्थित - तं नपुं.. प्र. वि., ए. व. - अस्ससालानिस्सितं वा होति. पारा. 231. अस्ससित नपुं.. आ + vससु का भू. क. कृ. [आश्वसित], आश्वास, सांस लेना - अस्ससितपस्ससितमत्तेन जीवन्ति, खु. पा. अट्ठ. 99. अस्ससिप्प नपुं.. तत्पु. स. [अश्वशिल्प], घोड़ों को सधाने अथवा नियन्त्रित करने की विद्या - प्पं प्र. वि., ए. व. - अस्ससिप्पं सिप्पानं अग्गन्ति, उदा. 103; ... अस्ससिप्पन्ति एत्थापि एसेव नयो, उदा. अट्ठ. 165. For Private and Personal Use Only

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