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अविहिंसक
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अविहेठकजातिक
त्रि., ब. स. [अविहतस्थाणुकण्टक], ऐसी जगह, जिसमें से ढूंठ और झाड़ियां निकाली या नष्ट नहीं की गई हैं, बिना साफ किए हुए ढूंठों और कांटो से भरा - के नपुं., सप्त. वि., ए. व. - सो तत्थ दुक्खेत्ते दुभूमे अविहतखाणुकण्टके बीजानि पतिट्ठापेय्य... असुखसयितानि, दी. नि. 2.260; - योब्बन त्रि., ब. स. [अविहतयौवन], वह, जिसकी युवावस्था अभी तक समाप्त या नष्ट नहीं हुई है, युवावस्था में विद्यमान - ना स्त्री, प्र. वि., ए. व. - दसक्खत्तुं विजातापि
खो पन सकिं विजाता विय अविगतयोबनायेव होति, ध. प. अट्ट, 1.217; - सक्कायदिहिक त्रि., ब. स. [अविहतसत्कायदृष्टिक], वह, जिसके चित्त में सत्कायदृष्टि अथवा आत्मा की नित्यता की मिथ्या धारणा नष्ट नहीं हुई है - पुथु अविहतसक्कायदिष्टिकाति पुथुज्जना, ध. स. अट्ठ.
378.
अविहिंसक त्रि., विहिंसक का निषे. [अविहिंसक], हिंसा से परिपूर्ण मनोवृत्ति न रखने वाला, मैत्रीभावना से युक्त चित्तवाला - का पु., प्र. वि., ब. व. - मयमेत्थ अविहिंसका
भविस्सामा ति सल्लेखो करणीयो, म. नि. 1.53. अविहिंसना स्त्री., विहिंसना का निषे., हिंसामयी मनोभावना का अभाव, दयालुता, मैत्रीभाव, करुणा का भाव - अविहेसाति अविहिंसना, पारा. अट्ठ. 1.230. अविहिंसन्त त्रि, वि + हिंस के वर्त. कृ. का निषे. [अविहिंसत], किसी की हिंसा न करने वाला, किसी को पीड़ा या कष्ट न देने वाला - न्तो प., प्र. वि., ए. व. -
अहेग्यं चरन्ति अविहिंसन्तो चरमानो, स. नि. अट्ठ. 1.57. अविहिंसा स्त्री., विहिंसा का निषे. [अविहिंसा], हिंसामयी मनोभावना का अभाव, दयालुता, मैत्रीभाव, करुणा का भाव - साधु धम्मचरिया ... पुञ्जकिरिया साधु अविहिंसा साधु भूतानुकम्पाति, दी. नि. 2.22; अविहिंसाति करुणाय पुब्बभागो, दी. नि. अट्ट, 2.42; - सं द्वि. वि., ए. व. - सोरच्च अविहिंसञ्च, खन्तिञ्चापि अवण्ण| सु. नि. 294; अविहिंसाति पाणिआदीहि अविहेसिकजातिकता सकरुणभावो, सु. नि. अट्ठ. 2.48; - य तृ. वि.. ए. व. - खन्तिया, अविहिंसाय, मेत्तचित्तताय, अनुदयताय ... परं रक्खतो, स. नि. 3(1).244; अविहिंसायाति सपुब्बभागाय करुणाय, स. नि. अट्ठ. 3.254; - यं सप्त. वि., ए. व. - ... अक्कोधे अविहिंसायं सच्चे सोचेय्य, मि. प. 123; - छन्द पु., तत्पु. स., करुणा या मैत्रीभाव से सम्बन्धित इच्छा - न्दं द्वि. वि., ए. व. - अविहिंसाछन्दं पटिच्च उप्पज्जति अविहिंसापरिळाहो,
स. नि. 1(2).135; - धातु स्त्री., तत्पु. स. [अविहिंसाधातु]. प्राणियों के प्रति अहिंसा या करुणा का चेतसिक तत्त्व - तु प्र. वि., ए. व. - तिस्सो कुसलधातुयो नेक्खम्मधातु, अब्यापादधातु, अविहिंसाधातु, दी. नि. 3.172; या सत्तेसु करुणा... करुणाचेतोविमुत्तीति अयं अविहिंसाधातु, दी. नि. अट्ठ. 3.154; - तुं द्वि. वि., ए. व. - अविहिंसाधातुं, ..., पटिच्च उप्पज्जति अविहिंसासा , स. नि. 1(2).135; - पच्चुपट्ठान नपुं.. तत्पु. स. [अविहिंसाप्रत्युपस्थान], अहिंसा के रूप में प्रकाशित होने वाली/वाला प्रकट होने वाला/वाली - ... करुणा, ..., अविहिंसापच्चुपट्टाना, .... अभि. अव. 23; - पटिसंयुत्त त्रि., तत्पु. स. [अविहिंसाप्रतिसंयुक्त], अहिंसा के साथ जुड़ा हुआ, अहिंसा में अन्तर्भूत - त्तो पु., प्र. वि., ए. व. - अविहिंसापटिसंयुत्तो तक्को वितक्को सङ्कप्पो अप्पना ब्यप्पना ... सम्मासङ्कप्पो, विभ. 97; - त्ता स्त्री.. प्र. वि., ए. व. - अविहिंसापटिसञ्जत्ता सा अविहिंसासा , महानि. अट्ठ. 135; - परिळाह पु.. तत्पु. स. [अविहिंसापरिडाह]. अहिंसा के लिए उत्कण्ठा, अभिलाषा या ललक - हो पु., प्र. वि., ए. व. - अविहिंसाछन्द पटिच्च उप्पज्जति अविहिंसापरिळाहो, स. नि. 1(2).135; - परियेसना स्त्री, तत्पु. स. [अविहिंसापर्येषण]. अहिंसाभावना की खोज या उसे पाने की उत्कण्ठा - अविहिंसापरिळाहं पटिच्च उप्पज्जति अविहिंसापरियेसना, स. नि. 1(2).135%; - वितक्क पु., तत्पु. स. [अविहिंसावितक]. चित्त में अहिंसा की भावना का अभिनिरोपण - क्कं द्वि. वि., ए. व. -- अविहिंसावितक्कं बहुलमकासि, म. नि. 1.165; - संकप्प पु., तत्पु. स. [अविहिंसासंकल्प]. तीन संकल्पों में से एक, अहिंसा-विषयक संकल्प .. प्पा प्र. वि., ब. व. - तयो कुसलसङ्कप्पा - नेक्खम्मसङ्कप्पो, अब्यापादसङ्कप्पो, अविहिंसासङ्कप्पो, दी. नि. 3.172; - सज्ञा स्त्री., तत्पु. स. [अविहिंसासंज्ञा], अहिंसा-विषयक संज्ञास्तरीय ज्ञान, तीन कुशलसंज्ञाओं में एक-तिस्सो कुसलसञ्जा- नेक्खम्मसआ, अब्यापादसा , अविहिंसासा , दी. नि. 3.172; - सारितक्ख त्रि., ब. स. [अविहिंसासारिताक्ष], अहिंसा द्वारा घुमाई जा रही धुरी से युक्त - क्खो पु.. प्र. वि., ए. व. - अविहिंसासारितक्खो, संविभागपटिच्छदो, जा. अट्ठ. 7.142; अविहिंसासारितक्खोति अविहिंसामयेन सारितेन सुद्ध परिनिहितेन अक्खेन समन्नागतो, जा. अट्ठ. 7.143. अविहेठकजातिक त्रि.. विहेठकजातिक का निषे. [अविहेठकजातिक], स्वभाव से ही किसी को पीड़ा न देने
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