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असम्भोग
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असम्मुस्सनता असम्भोग' त्रि., ब. स., सामाजिक जीवन से बहिष्कृत, असम्मासम्बुद्ध पु., सम्मासम्बुद्ध का निषे०, तत्पु. स. सहवास से वञ्चित - गो पु., प्र. वि., ए. व. - ..., [असम्यकसम्बुद्ध], सम्यक् रूप से स्वयं सम्बोधि ज्ञान न असम्भोगो सङ्केन, चूळव. 245.
पाया हुआ व्यक्ति, पूर्णबुद्धत्व को अप्राप्त व्यक्ति - हेसु असम्मग्गत त्रि., सम्मग्गत का निषे. [असम्यग्गत], समुचित सप्त. वि., ब. व. - असम्मासम्बुद्धेसु सम्मासम्बुद्धा ति, स. रूप से गमन न करने वाला, अपूर्ण, अर्हत् अवस्था तक न । नि. 1(2).135; - प्पवेदित त्रि., तत्पु. स. [अगया हुआ, ठीक से नहीं समझने वाला - ग्गतो पु.. प्र. वि., सम्यकसम्बुद्धप्रवेदित], पूर्ण बुद्धों द्वारा अनुपदिष्ट, सम्यकए. व. - सो पुनप्पुनं... सासनस्मिं असम्मग्गतो असभावतो संबुद्ध द्वारा उपदेश न दिया गया - ते पु., सप्त. वि., ए. अक्खायति, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).326.
व. - यथा तं... अनुपसमसवंत्तनिके असम्मासम्बुद्धप्पवेदिते असम्मट्ठ त्रि., सं+ मज के भू. क. कृ. का निषे. [असंमृष्ट], भिन्नथूपे अप्पटिसरणो, दी. नि. 3.87. शा. अ. ठीक से स्वच्छ न किया गया, सम्मार्जन-रहित, असम्मिस्स त्रि., [असम्मिश्र], मिलावट-रहित, अमिश्रित, ला. अ. गम्भीररूप से अपरीक्षित, सूक्ष्मरूप से अविचारित विशुद्ध - स्सं नपुं., द्वि. वि., ए. व. - तं सब्द असातं - हट्ठान नपुं., कर्म. स., अचिन्तित स्थल, अविचारित अमधुरं केवलं असम्मिस्सं दुक्खमेव फुसन्ति, जा. अट्ठ. विषय - नं द्वि. वि., ए. व. - अथायस्मा सारिपुत्तो 3.214; - तो प. वि., ए. व. - ... दस्सनेन असम्मिरसतो असम्मट्टहानं सम्मज्जित्वा, ..., जा. अट्ठ. 3.2.
ववत्थानं दस्सितं होति. म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).252. असम्मत त्रि., सं+मन के भू. क. कृ. का निषे. [असम्मत], असम्मुखा अ., निपा., सम्मुखा का निषे॰ [असम्मुखं], सामने सहमति या अनुमोदन न पाया हुआ, अननुमोदित, बिना नहीं, साक्षात् रूप से नहीं - यो... कम्मं असम्मुखा करोति. अनुमति का - ता पु., प्र. वि., ब. व. - असम्मता महाव. 424; तस्स असम्मुखा अनापुच्छायेवरस, ..., मि. प. अनुसासन्ति, महाव. 119; - तो ए. व. - उपसम्पन्नं ... असम्मतो नाम सम्मतेन वा सङ्घन वा भारं कत्वा ठपितो असम्मुखीभूत त्रि., निषे०, तत्पु. स. [असन्मुखीभूत], सामने वेदितब्बो, पाचि. अट्ठ. 62.
नहीं आया हुआ, अविद्यमान, गैरहाजिर, अनुपस्थित – तानं असम्मत्तकारी त्रि., अक्षम, असमर्थ, उचित विचार या चिन्तन पु., ष. वि., ब. व. - कथहि नाम छब्बग्गिया भिक्खू न करने वाला - रीनं पु., ष. वि., ब. व. - मा चायं असम्मुखीभूतानं भिक्खूनं कम्मानि करिस्सन्ति, चूळव. 173. सारधम्मो वरधम्मो असम्मत्तकारीनं हत्थगतो ओजातो असम्मुट्ठ त्रि., सं + ।मुस के भू, क. कृ. का निषे. अवजातो ... भवतु, मि. प. 184.
[असम्मुषित], चुराकर दूर नहीं ले जाया गया, दृष्टिपथ से असम्मा अ०, निपा. सम्मा का निषे०, क्रि. वि. [असम्यक]. ओझल नहीं किया हुआ, सामने उपस्थित, अविनाशित - अनुपयुक्त रूप से, नहीं ठीक से - अनुजानामि, ... ट्ठा' स्त्री., प्र. वि., ए. व. -- उपट्टिता सति असम्मुट्ठा, पारा. असम्मावत्तन्तं पणामेतुं, महाव. 60.
4; - द्वा' पु.. प्र. वि., ब. व. - येसं धम्मा असम्मुट्ठा, स. असम्मान पु., सम्मान का निषे., तत्पु. स. [असम्मान]. नि. 1(1).5; असम्मुट्ठाति पाय पटिविद्धभावेनेव अनट्ठा, सम्मान का अभाव, अपमान, तिरस्कार, अवहेलना – ने स. नि. अट्ठ. 1.24. सप्त. वि., ए. व. - अभिरूपक अभिरूपका ति आदीसु असम्मुव्हन नपुं.. सं + vमुह से व्यु., क्रि. ना. का निषे०, मोह असम्माने, ... आमेडितं दट्ठब्ब, सद्द. 1.40.
से ग्रस्त न होना, सम्यक्-प्रजानन - नं प्र. वि., ए. व. - असम्मानित त्रि, सम्मानित का निषे., तत्पु. स. [असम्मानित]. अभिक्कमादीस पन असम्मुरहनं असम्मोहसम्पजज. म. नि. सम्मान को अप्राप्त, अपमानित, तिरष्कृत - माता पिता । अट्ठ. (मू.प.) 1(1).270. समणब्राह्मणा च असम्मानिता यस्स सके अगारे जा. अट्ठ. असम्मुस्सनता स्त्री॰, भाव., प्र. वि., ए. व., 4.92; असम्मानिताति असक्कता, जा. अट्ठ. 4.93.
अविक्षिप्तता, स्मृति के विप्रलोप का अभाव, स्मृति की असम्माभासन नपुं.. [असम्यकभाषण], अनुचित रूप से जागरूकता - ... सति सरणता धारणता अपिलापनता बोलना, अनुपयुक्त भाषण - ने सप्त. वि., ए. व. - सठ असम्मुस्सनता सति सतिन्द्रियं सतिबलं सम्मासति, ध. स. असम्माभासने, .... न सम्मा भासती ति अत्थो, सद्द. 52; चिरकतचिरभासितानं असम्मुरसनभावतो असम्मुस्सनता, 2.533.
ध. स. अट्ठ. 191.
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