Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar

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Page 713
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 211. असम्भोग 686 असम्मुस्सनता असम्भोग' त्रि., ब. स., सामाजिक जीवन से बहिष्कृत, असम्मासम्बुद्ध पु., सम्मासम्बुद्ध का निषे०, तत्पु. स. सहवास से वञ्चित - गो पु., प्र. वि., ए. व. - ..., [असम्यकसम्बुद्ध], सम्यक् रूप से स्वयं सम्बोधि ज्ञान न असम्भोगो सङ्केन, चूळव. 245. पाया हुआ व्यक्ति, पूर्णबुद्धत्व को अप्राप्त व्यक्ति - हेसु असम्मग्गत त्रि., सम्मग्गत का निषे. [असम्यग्गत], समुचित सप्त. वि., ब. व. - असम्मासम्बुद्धेसु सम्मासम्बुद्धा ति, स. रूप से गमन न करने वाला, अपूर्ण, अर्हत् अवस्था तक न । नि. 1(2).135; - प्पवेदित त्रि., तत्पु. स. [अगया हुआ, ठीक से नहीं समझने वाला - ग्गतो पु.. प्र. वि., सम्यकसम्बुद्धप्रवेदित], पूर्ण बुद्धों द्वारा अनुपदिष्ट, सम्यकए. व. - सो पुनप्पुनं... सासनस्मिं असम्मग्गतो असभावतो संबुद्ध द्वारा उपदेश न दिया गया - ते पु., सप्त. वि., ए. अक्खायति, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).326. व. - यथा तं... अनुपसमसवंत्तनिके असम्मासम्बुद्धप्पवेदिते असम्मट्ठ त्रि., सं+ मज के भू. क. कृ. का निषे. [असंमृष्ट], भिन्नथूपे अप्पटिसरणो, दी. नि. 3.87. शा. अ. ठीक से स्वच्छ न किया गया, सम्मार्जन-रहित, असम्मिस्स त्रि., [असम्मिश्र], मिलावट-रहित, अमिश्रित, ला. अ. गम्भीररूप से अपरीक्षित, सूक्ष्मरूप से अविचारित विशुद्ध - स्सं नपुं., द्वि. वि., ए. व. - तं सब्द असातं - हट्ठान नपुं., कर्म. स., अचिन्तित स्थल, अविचारित अमधुरं केवलं असम्मिस्सं दुक्खमेव फुसन्ति, जा. अट्ठ. विषय - नं द्वि. वि., ए. व. - अथायस्मा सारिपुत्तो 3.214; - तो प. वि., ए. व. - ... दस्सनेन असम्मिरसतो असम्मट्टहानं सम्मज्जित्वा, ..., जा. अट्ठ. 3.2. ववत्थानं दस्सितं होति. म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).252. असम्मत त्रि., सं+मन के भू. क. कृ. का निषे. [असम्मत], असम्मुखा अ., निपा., सम्मुखा का निषे॰ [असम्मुखं], सामने सहमति या अनुमोदन न पाया हुआ, अननुमोदित, बिना नहीं, साक्षात् रूप से नहीं - यो... कम्मं असम्मुखा करोति. अनुमति का - ता पु., प्र. वि., ब. व. - असम्मता महाव. 424; तस्स असम्मुखा अनापुच्छायेवरस, ..., मि. प. अनुसासन्ति, महाव. 119; - तो ए. व. - उपसम्पन्नं ... असम्मतो नाम सम्मतेन वा सङ्घन वा भारं कत्वा ठपितो असम्मुखीभूत त्रि., निषे०, तत्पु. स. [असन्मुखीभूत], सामने वेदितब्बो, पाचि. अट्ठ. 62. नहीं आया हुआ, अविद्यमान, गैरहाजिर, अनुपस्थित – तानं असम्मत्तकारी त्रि., अक्षम, असमर्थ, उचित विचार या चिन्तन पु., ष. वि., ब. व. - कथहि नाम छब्बग्गिया भिक्खू न करने वाला - रीनं पु., ष. वि., ब. व. - मा चायं असम्मुखीभूतानं भिक्खूनं कम्मानि करिस्सन्ति, चूळव. 173. सारधम्मो वरधम्मो असम्मत्तकारीनं हत्थगतो ओजातो असम्मुट्ठ त्रि., सं + ।मुस के भू, क. कृ. का निषे. अवजातो ... भवतु, मि. प. 184. [असम्मुषित], चुराकर दूर नहीं ले जाया गया, दृष्टिपथ से असम्मा अ०, निपा. सम्मा का निषे०, क्रि. वि. [असम्यक]. ओझल नहीं किया हुआ, सामने उपस्थित, अविनाशित - अनुपयुक्त रूप से, नहीं ठीक से - अनुजानामि, ... ट्ठा' स्त्री., प्र. वि., ए. व. -- उपट्टिता सति असम्मुट्ठा, पारा. असम्मावत्तन्तं पणामेतुं, महाव. 60. 4; - द्वा' पु.. प्र. वि., ब. व. - येसं धम्मा असम्मुट्ठा, स. असम्मान पु., सम्मान का निषे., तत्पु. स. [असम्मान]. नि. 1(1).5; असम्मुट्ठाति पाय पटिविद्धभावेनेव अनट्ठा, सम्मान का अभाव, अपमान, तिरस्कार, अवहेलना – ने स. नि. अट्ठ. 1.24. सप्त. वि., ए. व. - अभिरूपक अभिरूपका ति आदीसु असम्मुव्हन नपुं.. सं + vमुह से व्यु., क्रि. ना. का निषे०, मोह असम्माने, ... आमेडितं दट्ठब्ब, सद्द. 1.40. से ग्रस्त न होना, सम्यक्-प्रजानन - नं प्र. वि., ए. व. - असम्मानित त्रि, सम्मानित का निषे., तत्पु. स. [असम्मानित]. अभिक्कमादीस पन असम्मुरहनं असम्मोहसम्पजज. म. नि. सम्मान को अप्राप्त, अपमानित, तिरष्कृत - माता पिता । अट्ठ. (मू.प.) 1(1).270. समणब्राह्मणा च असम्मानिता यस्स सके अगारे जा. अट्ठ. असम्मुस्सनता स्त्री॰, भाव., प्र. वि., ए. व., 4.92; असम्मानिताति असक्कता, जा. अट्ठ. 4.93. अविक्षिप्तता, स्मृति के विप्रलोप का अभाव, स्मृति की असम्माभासन नपुं.. [असम्यकभाषण], अनुचित रूप से जागरूकता - ... सति सरणता धारणता अपिलापनता बोलना, अनुपयुक्त भाषण - ने सप्त. वि., ए. व. - सठ असम्मुस्सनता सति सतिन्द्रियं सतिबलं सम्मासति, ध. स. असम्माभासने, .... न सम्मा भासती ति अत्थो, सद्द. 52; चिरकतचिरभासितानं असम्मुरसनभावतो असम्मुस्सनता, 2.533. ध. स. अट्ठ. 191. For Private and Personal Use Only

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