Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar

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Page 725
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir असीतिनिपात 698 असु असीतिनिपात पु., जा. अट्ठ. के एक समुच्चय का शीर्षक, असीमाति या काचि नदीलक्खणप्पत्ता नदी निमित्तानि कित्तेत्वा जा. अट्ठ. 5.328-503. एतं बद्धसीमं करोमाति कतापि असीमाव होति, महाव. अट्ठ. असीतिप्पभा स्त्री., कर्म. स. [अशीतिप्रभा]. बुद्ध के प्रभामण्डल 315. के तीन प्रकारों में से एक - भा प्र. वि, ए. व. - तत्थ । असीयति ।अस (भोजन करना) के कर्म. वा. का वर्त, प्र. ब्यामप्पभा वा असीतिपाभा वा सब्बेसं समाना, सु. नि. अट्ठ. पु., ए. व. [अश्यते], खाया जाता है - सो हि असीयति 2.122. भुञ्जीयती ति असनन्ति वुच्चति, सद्द. 2.501; 583. असीतिमहासावकवयानागाथा स्त्री., ग. वं. की एक । असील त्रि., ब. स. [अशील], शीलों का पालन न करने गाथा, ग. वं. 66(रो.). वाला, नैतिक आचरण न करने वाला, दुराचारी - स्स पु.. असीतिवस्सवय त्रि., ब. स. [अशीतिवर्षवय], अस्सी वर्षों ष. वि., ए. व. - को दुतियं असीलिस्स, बन्धरस्सक्खि की आयु वाला - यो पु., प्र. वि., ए. व. - आसीतिकोति भेच्छति, जा. अठ्ठ. 3.381; पाठा. असीलिस्स; - लट्ठ त्रि., असीतिवस्सवयो, अ. नि. अट्ठ. 2.42. [अशीलस्थ], शीलों में अच्छी तरह पैरों को नहीं जमाया असीतिवस्ससहस्सायुक त्रि., ब. स. [अशीतिवर्षसहस्रायुक]. हुआ, शीलों में अप्रतिष्ठित, शील-विपरीत, शीलों पर नहीं अस्सी हजार वर्षों की आयु तक जीने वाला - का पु., प्र. आधारित - टुं नपुं.. प्र. वि., ए. व. - इदं ते असारुप्पं, इदं वि., ब. व. - चत्तारीसवस्ससहस्सायुकानं मनुस्सानं ते असीलट्टान्ति, महानि. 381; असीलट्ठन्ति तव पयोगं न असीतिवस्ससहस्सायुका पुत्ता भविस्सन्ति, दी. नि. 3.55; - सीले पतिद्वन्ति असीलट्ठ, सीले ठितस्स पयोगं न होतीति केसु पु., सप्त. वि., ब. व. - असीतिवस्ससहस्सायुकेसु, वुत्तं होति, महानि. अट्ठ. 382; - ता स्त्री॰, भाव., प्र. वि., भिक्खवे मनुस्सेसु ..., दी. नि. अट्ठ. 3.35. ए. व. [अशीलता], शीलों से रहित होना, शीलों का पालन असीतिसंवच्छर त्रि., ब. स. [अशीतिसंवत्सरिक], अस्सी न करना, प्रातिमोक्ष के संरक्षण से रक्षित न होना - संवत्सरों या वर्षों की आयु वाला - रं पु., द्वि. वि., ए. व. असीलता ति पातिमोक्खसंवरं विना अब्बता नोपि तेन, सु. - आसीतिक नावुतिकव जच्चाति असीतिसंवच्छर वा नि. अट्ठ. 2.237. नवुतिसंवच्छरं वा जातिया, जा. अट्ठ. 3.349; - को पु., प्र. असीसक त्रि., ब. स. [अशीर्षक], बिना शिर वाला, शिर से वि., ए. व. - आसीतिकोति असीतिसंवच्छरिको, दी. नि. रहित - कं पु., द्वि. वि., ए. व. - ... असीसकं कबन्धं वेहासं अट्ठ.2.124. गच्छन्तं ..., स. नि. 1(2).236; असीसकं अनङ्गळ, सिङ्गालो असीतिहत्थगम्भीर त्रि, तत्पु. स. [अशीतिहस्तगम्भीर]. हरति रोहित न्ति, जा. अट्ठ. 3.295. अस्सी हाथों की गहराई वाला - राय स्त्री., सप्त. वि., ए. असीसघट्ट त्रि., [अशीर्षघर्ष], शिर से न टकराने वाला/वाली व. - तावदेव असीतिहत्थगम्भीराय अङ्गारकासुया .... जा. - हा स्त्री., प्र. वि., ए. व. - वेहासकुटि नाम मज्झिमस्स अट्ठ. 1.229. पुरिसरस असीसघट्टा, पाचि. 68; ... असीसघट्टाति या असीतिहत्थमुग्गत त्रि.. [असीतिहत्थोदगत], अस्सी हाथों पमाणमज्झिमरस पुरिसस्स सब्बहेट्ठिमाहि तुलाहि सीसं न की ऊंचाई वाला - तो पु., प्र. वि., ए. व. - उच्चत्तनेन घटेति, पाचि. अट्ठ. 42. सो बुद्धो, असीतिहत्थमुग्गतो, बु. वं. 7.24. असीह पु., सीह का निषे०, तत्पु. स. [असिंह], सिंह से इतर असीतिहत्थमुब्बेध/असीतिहत्थुब्बेध त्रि., उपरिवत् - (प्राणी), सिंह से भिन्न (प्राणी)- हो प्र. वि., ए. व. - असीहो धो पु., प्र. वि., ए. व. - असीतिहत्थमुब्बेधो, दीपङ्करो सीहमानेन, यो अत्तानं विकुब्बति, जा. अट्ठ. 3.97. महामुनी, जा. अट्ठ. 1.39; असीतिहत्थुब्बेधो रासि अहोसि, असु' पु./स्त्री., सर्व असु का प्र. वि., ए. व. [असौ], यह वि. व. अट्ठ. 52. (पुरुष या नारी) - असु हि, भो गोतम, अग्गि दुक्खसम्फस्सो असीमा स्त्री., सीमा का निषे., तत्पु. स. [असीमा], शा. अ. चेव महाभितापो च महापरिळाहो चाति, म. नि. 2.185; - सीमा का अभाव, ला. अ. उपोसथ-नामक सङ्घकर्म के अदुं नपुं.. प्र. वि., ए. व. - अदुन्हि, भन्ते अढिकङ्कलं... अनुष्ठान के लिए अनुमोदित सीमा का न होना - मा प्र. निम्मंसं लोहितमक्खिक, अ. नि. 2.29; - मुं नपुं., द्वि. वि., वि., ए. व. - सब्बा, ... नदी असीमा, सब्बो समुद्दो असीमो, ए. व. - अपि नु खो सो कुक्कुरो अमुं अद्विकालं ... सब्बो जातस्सरो असीमो, महाव. 139; सब्बा, भिक्खवे, नदी पटिविनेय्यति, म. नि. 2.29; - क/अमुक त्रि., असु' से For Private and Personal Use Only

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