Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar

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Page 716
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 14 असल्लेख 689 असहित असल्लीनो असङ्कुचितो अत्ता अस्साति असल्लीनत्तो, पटि. अ. उचित सम्मानभाव के बिना ही - असहत्था दानं देति, म. अट्ठ. 1.37. म. नि. 3.70; असहत्थाति अत्तनो हत्थेन न देति, असल्लेख पु., सल्लेख का निषे., तत्पु. स. [बौ. सं. दासकम्मकारादीहि दापति, म. नि. अट्ठ. (उप.प.) 3.56. असंलेख], अनियन्त्रण, अनियमपरायणता - स्स ष. वि., असहन नपुं.. Vसह के क्रि. ना. का निषे. [असहन], क्षान्ति ए. व. - ... असन्तुट्ठिया असंलेखस्स चुप्पन्नस्स निवारणे, या सहनशीलता का अभाव, डाह, मात्सर्य, नहीं सह पाना, म. नि. अट्ठ (मू.प.) 1(1).103. ठीक न लगना - नं नपुं., प्र. वि., ए. व. - ... कतस्स असवण्ण त्रि., निषे., तत्पु. स. [असवर्ण], असमान रूप अपराधस्स असहनं नाम न युत्तान्ति, जा. अट्ठ. 3.17; ... वाला, भिन्न उच्चारण-स्थान एवं प्रयत्न वाला (स्वर)- परेहि साधारणभावासहनलक्खणस्स मच्छरस्स .... पे. व. ण्णं नपुं॰, प्र. वि., ए. व. -- क्चचासवण्णं लुत्ते, सरो खो अट्ठ. 15; - ता स्त्री., भाव., असहनशीलता, अप्रिय परो पुब्बसरे लुत्ते क्वचि असवण्णं पप्पोति, क. व्या. या प्रतिकूल मानसिक संवेदन होना - ता प्र. वि., ए. व. - ... परेहि साधारणभावस्स असहनता, विभ. अट्ठ. असस्सत त्रि., सस्सत का निषे., तत्पु. स. [अशाश्वत]. 485. बराबर विद्यमान न रहने वाला, अनित्य, परिवर्तनशील, असहमान त्रि., सह के वर्त. कृ. का निषे. [असहमान], अध्रुव - तं नपुं., प्र. वि., ए. व. - ..., अहो रूपमसस्सतं. सहन न करता हुआ - नो पु., प्र. वि., ए. व. - अथ खो अप. 2.245; - तो पु., प्र. वि., ए. व. - असरसतोति तमेव सो नागो मक्खं असहमानो पज्जलि, महाव. 29. लोक उच्छिज्जति विन स्सतीति गण्हन्तस्स असहानधम्मता स्त्री., भाव. [अपरिहानिधर्मता], हानिरहित उच्छेदगहणाकारप्पवत्ता दिहि, ध. स. अट्ट, 396; -- भाव स्वभाव वाला - ता प्र. वि., ए. व. - सह हानधम्मेनाति पु., कर्म. स. [अशाश्वतभाव], अनित्यता, परिवर्तनशीलता सहानधम्मो न सहानधम्मोति असहानधम्मो, तस्स भावो, - वेन तृ. वि., ए. व. - अनस्सासिकाति असस्सतभावेन असहानधम्मता, तं असहानधम्मतं, लीन. (दी.नि.टी.) 3.108 अस्सासरहिता, अ. नि. अट्ठ. 3.180. - तं द्वि. वि., ए. व. - पप्पोति बोधिं असहानधम्मतन्ति, दी. असस्सती/असस्सति त्रि., सस्सती का निषे. नि. 3.124; असहानधम्मतन्ति अपरिहीनधम्म, दी. नि. अट्ठ [अशाश्वतिक], सदा विद्यमान न रहने वाला, अनित्य 3.107. प्रकृति वाला - असस्सतिरिव खायती तिपि पाठो, उदा. असहाय त्रि., ब. स. [असहाय], क. अद्वितीय, अनुपम - अट्ठ. 314. यो पु., प्र. वि., ए. व. -- अदुतियो असहायो अप्पटिमो, अ. असस्सतिक त्रि., केवल स. उ. प. के रूप में ही प्रयुक्त, नि. 1(1).29; ख. मित्रहीन, अकेला, बिना साथी का - ये एकच्चअसस्सतिक के अन्त. द्रष्ट. [अशाश्वतिक], अनित्य पु., सप्त. वि., ए. व. - ‘एको वूपकट्ठोति आदिसु असहाये, या अधुव बतलाने वाला, एकच्च. कुछ मामलों में अनित्य सद्द. 1.267; - किच्च त्रि., ब. स., साथी की कोई आवश्यकता बतलाने वाला - का पु., प्र. वि., ब. व. - एके समणब्राह्मणा न रखने वाला - च्चो पु., प्र. वि., ए. व. - असहायकिच्चो एकच्चसस्सतिका एकच्चअसस्सतिका एकच्च... सस्सतं सीहो विय, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).56. .... असस्सतं अत्तानञ्च ... वत्थूहि, दी. नि. 1.15. असहित त्रि., [असहित], साथ में न रहने वाला, रहित, अर्थ असह त्रि., [असह], नहीं सहने वाला, क्षान्ति-रहित, से नहीं सम्बद्ध, अर्थ-रहित - तं नपुं., वि. वि., ए. व. - धैर्यरहित, घबड़ाहट भरे स्वभाव वाला - हो पु., प्र. वि., ए. ... अप्पञ्च भासति असहितञ्च, अ. नि. 1(2).158; नवमे व. - सहति सहो असहो असरहो, सद्द. 2.458. असहितन्ति अत्थेन असंयुत्तं, अ. नि. अट्ठ. 2.334; सहितं असहन्त त्रि., सिह के वर्त. कृ. का निषे. [असहत्], नहीं मे असहितं ते, दी. नि. 1.7; असहितं तेति तुरह सहने वाला, सहनशीलता न रखने वाला, क्षान्ति-रहित -- वचनं असहितं असिलिट्ठ, दी. नि. अट्ठ. 1.81; - स्स न्तो पु., प्र. वि., ए. व. - विदेहो ... गरह असहन्तो पु., ष. वि., ए. व. - परिसा चस्स कुसला होति पटिपक्खो हुत्वा .... जा. अट्ठ. 3.324. सहितासहितस्स. अ. नि. 1(2).158; सहितासहितस्साति असहत्था सहत्थ के निषे. का प. वि., ए. व., प्रायः अ०, क्रि. अत्थनिस्सितस्स वा अनिस्सितस्स वा, अ. नि. अट्ठ. विशे, के रूप में प्रयुक्त, शा. अ. अपने हाथ से नहीं, ला. 2.334. For Private and Personal Use Only

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