Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar
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असद्धिय/अस्सद्धिय
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असनि
.... पच्चनीकता असद्धम्मसञत्ति अत्तुक्कसना परवम्भना, म. नि. 2.72; - समन्नागत त्रि., तत्पु. स., पापमय आचरण से परिपूर्ण - अस्सद्धम्मसमन्नागतो होति. म. नि. 3.69; अस्सद्धसमन्नागतोति पापधम्मसमन्नागतो, म. नि.. अट्ठ. (उप.प.) 3.55. असद्धिय/अस्सद्धिय त्रि., सद्धिय का निषे. [अश्रद्धेय], अविश्वसनीय, अविश्वासजनक - ये पु.. सप्त. वि., ए. व.. - दुतिये अस्सद्धिये अकम्पनढेन सद्धाबलं. अ. नि. अट्ठ. 2.337. असद्धेय्य त्रि., [अश्रद्धेय], अविश्वसनीय - समुद्दो नाम
असद्धेय्यो अनेकन्तरायो, स. नि. अट्ठ. 3.23. असन 1. पु.. [असन], पीतसाल नाम का वृक्ष - असनो पियके कण्डे मक्खने खिपने सनं, अभि. प. 1004; - ना प्र. वि., ब. व. - उद्दालका सोमरुक्खा, अगरुफल्लिया बहू पुत्तजीवा च ककुधा, असना चेत्थ पुप्फिता. जा. अट्ठ. 7.294; - रुक्ख पु., तिस्सबुद्ध के लिए परिकल्पित बोधिवृक्ष - तस्स भगवतो खेमं नाम नगरं अहोसि ... असनरुक्खो बोधि, जा. अट्ठ. 1.50; 2. नपुं, अस (खाना) से व्यु., क्रि. ना. [अशन], आहार, भोजन, स्वाद लेना, रस चखना - अथासनं, आहारो भोजनं घासो, अभि. प. 465; असनं भत्तपरिभोगो, खादनं पूवादिभक्खणं सद्द. 2.440; एत्थ असनन्ति आहारो, सो हि असीयति भुञ्जीयतीति असनन्ति वच्चति, सद्द. 2.501; पवारितो नाम असनं पायति, पाचि. 113; 3. क. नपुं, अस (फेकना) से व्यु., क्रि. ना., अस्त्र, ऐसा हथियार, जिसका प्रयोग फेंक कर किया जाए, बाण, भाला, बर्छा - नं प्र. वि., ए. व. - बाणो कण्डमुसु द्वीसु खुरप्पो तेजना सनं, अभि. प. 388; - नेन तृ. वि., ए. व. - ... लहुकेन असनेन अप्पकसिरेनेव..... म. नि. 1.116; असनेनाति अन्तो सुसिरं कत्वा ... सल्लहुककण्डेन, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).364; ख. नपुं॰, वह, जिसके द्वारा (कुछ) फेंका जाए या चलाया जाए -- करणे च-नुदति अनेना ति नूदनं ... असन, क. व्या. 643; 4. नपुं, अस (व्याप्त होना) से व्यु., क्रि. ना., व्याप्ति, फैलाव, प्रसारण, अनालस्य -- अनसनन्ति न असनं अविफारिकभावो कायालसियं, लीन. (दी. नि. अठ्ठ.) 3.35; - पदर पु., तत्पु. स., पीतसाल पेड़ की लकड़ी से बनी हुई पट्टी - रं द्वि. वि., ए. व. - चतुरङ्गुलबहलं असनपदरं विनिविज्झति, जा. अट्ट. 2.75; - फलक नपुं., तत्पु. स., उपरिवत् -- कं द्वि. वि., ए. व. - चतुरङ्गुलबहलं असनफलकं विनिविज्झित वट्टतीति, अ. नि.
अट्ठ. 2.126; - बोधिय पु., एक स्थविर का नाम - यो प्र. वि., ए. व. - इत्थं सुदं आयस्मा असनबोधियो थेरो इमा गाथायो अभासित्थाति, अप. 1.110; - रुक्ख पु.. तत्पु. स. [असनवृक्ष], पीतसाल नामक वृक्ष - असनरुक्खो बोधि,
जा. अट्ठ. 1.50. असनि स्त्री., [अशनि], बिजली का ठनका, इन्द्र का वज, चमक और आवाज के साथ आकाश से भूमि पर गिरने वाली आकाशीय विद्युत् - तङ्क्षण व तस्मिं पासाणपिढे असनि पति, जा. अट्ठ. 1.169; - नि द्वि. वि., ए. व. - ... असनिं पातेन्तो विय खन्धे पहरित्वा रथं आदाय अगमासि, जा. अट्ठ. 1.336; - यो प्र. वि., ब. व. - नवविधा हि असनियो ... दी. नि. अट्ठ. 2.143; - या सप्त. वि., ए. व. - ... विज्जुल्लतासु निच्छरन्तीसु असनिया फलन्तिया नेव पस्सेय्य, दी. नि.2.99; असनिया फलन्तियाति नवविधाय असनिया भिज्जमानाय विय महारवं रवन्तिया .... दी. नि. अट्ठ. 2.143; -- अग्गि पु., आकाश से गिर रही बिजली की आग - ... असनिअग्गि वा पतित्वा डहति, ध. प. अट्ठ. 2.40; - घोस पु., तत्पु. स. [अशनिघोष]. बिजली गिरने की आवाज, ठनका, वज्रपात की आवाज - सेन तृ. वि., ए. व. - ... असनिघोसेन घोसिता विय धम्म कथेन्तापि ..., स. नि. अट्ठ. 1.308; - पात पु., तत्पु. स. [अशनिपात]. वज्रपात, आकाश से बिजली का गिरना - ततो अञत्थ पथवियं... मत्थके असनिपातो विय अत्तनो उपरि पतति, पे. व. अट्ठ. 39; -- पातठ्ठान नपुं., तत्पु. स. [अशतिपातस्थान], बिजली के गिरने वाला स्थान, वह स्थान, जहां वजपात हुआ है - नं प्र. वि., ए. व. - असनिपातद्वानं विय महानिखादनेन खतसन्धिमुखं विय च होति, स. नि. अट्ठ. 3.53; - विचक्क नपुं.. तत्पु. स. [अशनिविचक्र], आकाशीय बिजली का झुण्ड या तांता, बिजली का मण्डल या घेरा - क्कं प्र. वि., ए. व. - असनिविचक्कं आगच्छतु ..., असनि विचक्कन्ति खो, .... लाभसक्कारसिलोकस्सेतं अधिवचनं, स. नि. 1(2).208; तं असनिविचक्कं विय आकासे भेरवसई करोन्तं धूमायन्तं पज्जलन्तं ... निपति, स. नि. अट्ठ. 1.284; - वेग पु., तत्पु. स. [अशनिवेग]. बिजली का वेग या बिजली जैसी तेजी - गेन तृ. वि., ए. व. - तेनेवासनिवेगेन तत्थ कालङ्कतो अहं, अप. 1.104; - सद्द पु., तत्पु. स. [अशनिशब्द], बिजली की कड़क, बिजली गिरने की आवाज, ठनका - इंद्वि. वि., ए. व. - ततो अनिवत्तन्ता पुरतो असनिसबं विय सुणिस्सथ, जा. अट्ठ. 4.135.
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