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असत्तगोदावर
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सं नपुं. एवं अज्ञमञ्ञअसदिसं भिक्खुसहस्सं
असत्तगोदावरं अ०, अव्ययी. स० [असप्तगोदावर], वह क्षेत्र, जहां गोदावरी, सात शाखाओं में विभक्त नहीं हुई है सत्तगोदावरं असत्तगोदावर क. व्या. 328; सद्द. 3.759. असत्य नपुं सत्य का निषे, तत्पु, स. [अशस्त्र] शस्त्र का अभाव, बिना शस्त्र के - त्थेन तृ. वि., ए. व. अदण्डेन असत्थेन, दमेसि उत्तमे दमे, अप. 1.355. असत्थाराम / अस्सत्थाराम पु०, एक आराम का नाम महि सप्त. वि. ए. व. पियदस्सी मुनिवरो अस्सत्थारामम्हि निबुतो. बु. व. 15.27. असत्थावचर त्रि.. [अशस्त्रावचर] शस्त्रों का प्रयोग न करने वाला शस्त्रों के प्रति अभिरुचि न रखने वाला रा स्त्री०, प्र. वि., ब.व. ता च खो अदण्डावचरा असत्थावचरा, इति... अकलहो, स. नि. 1 ( 1 ) . 259. असदिस त्रि. ब. स. [ असदृश ]. क. 1. भिन्न असमान, दूसरी तरह का दूसरे से नहीं मिलता-जुलता द्वि. वि., ए. व. मापेसि, ध. प. अ. 1.141 सो पु. प्र. वि., ए. व. सब्बो हि सदिसो होति, नत्थि कामे असादिसो जा. अड. 6.248; क. 2. अद्वितीय, बेजोड़ अनुपम सो पु०, प्र. वि., ए. व. अनुत्तरो असदिसो अपटिभागोति, ध. प. अड. 1.237; असमो... असदिसो अतुलो... मि. प. 302 तेज - त्रि, ब० स० [असदृशतेजस्], अतुलनीय तेज से युक्त - जो पु. प्र. वि. ए. व. असमत्थतेजो असदिसतेजो तव अग्गि न तप्पेय्य, जा. अट्ठ. 7.54; ता स्त्री. भाव [असादृश्य, नपुं. ], अतुलनीयता, अनुपम या बेजोड़ होनाअगेधता ... दुरनुबोधता दुल्लभता असदिसता बुद्धधम्मस्स मि. ए. 257 दान नपुं. कर्म, स. अतुलनीय दान, अनुपम दान ने सप्त वि. ए. व. असदिसदाने पनेस लाभो मत्यक पत्तो, दी. नि. अ. 2.221 दानवत्थु नपुं.. ध. प. अ. की एक कथा, ध. प. अट्ठ. 2.105-108; त्रि.. ब. स. [असदृशरूप] अनुपम स्वरूप वाला, दूसरों से भिन्न विशिष्ट स्वरूप वाला पं पु०, द्वि॰ वि॰, ए. व. अञ्ञेहि पासादेहि असदिसरूपं ... पासाद..., ध. प. अह. 2.74 पो पु. प्र. वि. ए. व. असदिसरूपो नाथो, आरूपं यं चतुविधं आह घ. स. अ. 253 वग्ग पु.. जा. अट्ठ का एक वर्ग, जा. अट्ठ. 2.72-93; वचन त्रि. ब. स., अतुलनीय अर्थ का सूचक, अद्वितीय (अकेला) अर्थ का प्रकाशक नो पु. प्र. वि. ए. व. एकसद्दोहि सङ्घावचनो च होति असदिसवचनो च, सद्द० 1.283;
रूप
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असद्धम्म
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संयोग पु तत्पु, स० [असदृशसंयोग] दो असमानों के बीच संयोग या मेल - गे सप्त. वि., ए. व. - असदिससंयोगे चनो उप्पन्ना पुत्ता.. पापुणिस्सन्ति दी. नि. अड. 1.210: ख. पु०, व्य० सं०, एक राजकुमार का नाम तस्स नामग्गहणदिवसे असदिसकुमारो ति नाम अकंसु जा. अड. 2.72; - कुमार पु०, एक राजकुमार, उपरिवत्; जातक नपुं.. एक जातक कथा का शीर्षक: जा० अट्ठ. 2.72-75. असद त्रि. ब. स. [अशब्द] शब्दरहित, कोलाहलरहित, शान्त नीरव कल्लअसदे असदो निस्सदो... सद. 2.437. असद्दहन नपुं., श्रद्धा का अभाव, अश्रद्धा, अविश्वास - नं द्वि. वि., ए. व. रज्ञ असदहनं आरम्भ कथेसि, जा, अङ्ग
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4.45.
असद्धम्म पु. सद्धम्म का निषे, तत्पु. स. [असद्धर्म]. क. मिथ्या- सिद्धान्त, भ्रान्त धारणा, ख. लोभ, द्वेष एवं मोह आदि अकुशल धर्म पापमयी मनोवृत्तियां म्मेहि तृ. वि. ब. व. तत्थ असद्धम्मेहीति असतं धम्मेहि, असन्तेहि वा धम्मेहि, इतिवु, अड. 244 असद्धम्मेहि अभिभूतो परियादिन्नचित्तो
अर्तकिच्छा इतिवु 62 म्मा प्र. वि. ब. व इमे खो भिक्खवे चत्तारो असद्धम्मा, अ. नि. 1 (2) 54 सत्तविधेन पापं सत्त असद्धम्मा, जा. अट्ठ. 3.254; ग. मैथुन-धर्म असद्धम्मो च बसलधम्मो मीळहसुखं पिच सद. 2.408: गामधम्मो असद्धम्मो व्यवायो मेथुनं रति अभि. प. 317म्मं पु.. द्वि. वि. ए. व. तत्थ नाम त्वं मोधपुरिस, यं त्वं असद्धम्मं गामधम्मं... समापज्जिस्ससि, पारा 22; असद्धम्मन्ति असतं नीचजनानं धम्मं पारा अड. 1.170;म्मेन पु.. तृ. वि., ए. व. मातुगामोपि ते असद्धम्मेन निमन्तेन्ति म. नि. 2.121: असद्धम्मेन निमन्तेन्तीति... मेथुनधम्मेन निमन्तेन्ति, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.117; पटिसेवन नपु.. [असद्धर्मप्रतिसेवन], मैथुन का सेवन, मैथुनक्रिया में आनन्द - नाय च. वि. ए. व. सायन्हे पनस्सा असद्धम्मपटिसेवनाय चित्तं नमति, स. नि. अ. 3.124 पूरण त्रि.. तत्पु, स.. भ्रान्त धारणाओं या मिथ्या सिद्धान्तो का प्रचारक णा पु.. प्र. वि. ब. क. यथा यथा असद्धम्मपुरणा पूरणादयो, स 1.58; - रत त्रि. तत्पु. स. [ असद्धर्मरत] दुराचार या अकुशल कर्मों के करने में लगा हुआ असमाहित सङ्कयो असद्धम्मरतो मगो. अ. नि. 1 ( 2 ) 27 युत त्रि. दुराचार के साथ जुड़ा हुआ, बुरे आचार-विचार से जुड़ा हुआ अस्थि सद्धम्मसंयुक्त्ता, असद्धम्मयुतापि च उत्त. वि. 438 सज्जत्ति स्त्री. तत्पु. स. मिथ्या या भ्रान्त धर्म की शिक्षा अयञ्च
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