Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar

View full book text
Previous | Next

Page 705
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir असबल 678 असम दुष्ट लोगों के प्रति भक्तिभाव रखने वाला - त्ति पु., प्र. वि., ए. व. - असप्पुरिसो असप्पुरिसभत्ति होति, म. नि. 3. 69; - मन्ती त्रि., [असत्पुरुषमन्त्रिन्], असज्जन की तरह मन्त्रणा या परामर्श देने वाला - न्ती पु., प्र. वि., ए. व. - असप्पुरिसो ... असप्पुरिसमन्ती होति, म. नि. 3.69; - वाच त्रि., ब. स. [असत्पुरुषवाक्], असज्जन के समान वाणी बोलने वाला -- चो पु., प्र. वि., ए. व. -- असप्पुरिसो ... असप्पुरिसवाचो होति, म. नि. 3.69; - संसग्ग पु., तत्पु. स. [असत्पुरुषसंसर्ग], असज्जन लोगों का साथ या संगति, दुष्ट लोगों से मेल-जोल - ग्गो प्र. वि., ए. व. - असप्पुरिससंसग्गो, दुक्खन्तो कटुकुद्रयो ति, जा. अट्ठ. 5.229; - संसेव पु., तत्पु. स. [असत्पुरुषसंसेवन, नपुं.]. असज्जनों के साथ मेल-जोल - वो प्र. वि., ए. व. - असप्पुरिससंसेवो परिपूरो असद्धम्मस्सवनं परिपूरेति, अ. नि. 3(2).94; -- सम्भत्ति त्रि., ब. स. [असत्पुरुषसंभक्तिक], असज्जनों का साथ करने वाला - नो पु., प्र. वि., ब. व. - ..., असप्पुरिससम्भत्तिनो, ..., भिक्खवे, निगण्ठा, अ. नि. 3(2).124. असबल त्रि., सबल का निषे., तत्पु. स. [अशबल], धब्बों से रहित, अमिश्रित, विशुद्ध, खण्डों या भागों में अविभक्त, अखण्ड - लेहि नपुं., तृ. वि., ब. व. - अरियकन्तेहि सीलेहि समन्नागतो होति अखण्डेहि अच्छिद्देहि असबलेहि अकम्मासेहि... समाधिसंवत्तनिकेहि, दी. नि. 2.74; स. नि. 2(2).265. असब्बकालिकत्त नपुं, भाव. [असार्वकालिकत्व], सभी कालों से सम्बद्ध न रहना, सदा विद्यमान न रहना - त्ता प. वि., ए. व. - असब्बकालिकत्ता पन न गहिता, अ. नि. अट्ठ. 3.272. असब्बञ्जू त्रि., सब्बभू का निषे०, तत्पु. स. [असर्वज्ञ], सर्वज्ञ न होना, सभी कुछ के ज्ञान की शक्ति से रहित होना - पु., प्र. वि., ए. व. - तेन हि, भन्ते नागसेन, बुद्धो असब्बञ्जूति, मि. प. 112; - क्षुता स्त्री., भाव. [असर्वज्ञता], सर्वज्ञ न होना, सर्वज्ञता का अभाव - य तृ. वि., ए. व. - उदाहु असब्बञ्जताय ओसक्कितं, मि. प. 218. असब्बत्थगामी त्रि., सब्बत्थगामी का निषे०, तत्पु. स. [असर्वत्रगामिन्], सदा एवं सर्वत्र लागू न होने वाला, एक से अधिक सन्दर्भो में लागू न होने वाला/वाली-मिं स्त्री., द्वि. वि., ए. व. - असब्बत्थगामि वाचं, बालो सब्बत्थ भासति, जा. अट्ठ. 1.429; या वाचा ओपम्मवसेन सब्बत्थ न गच्छति तं असब्बत्थगामि वाचं बालो दन्धपुग्गलो सब्बत्थ भासति, जा. अट्ठ. 1.430. असब्बधातुक त्रि., सब्बधातुक का निषे., व्याकरण में प्रयुक्त पारिभाषिक शब्द [असार्वधातुक], आख्यात विभक्तियों में वर्तमान, अनुज्ञा, विधि एवं अनद्यतन भूत की चार विभक्तियां 'सब्बधातुक' कहलाती हैं, इनके अतिरिक्त शेष विभक्त्यिां असब्बधातुक कही गई हैं, सार्वधातुक से भिन्न (आख्यातविभक्तियां) - के पु., सप्त. वि., ए. व. - असरसेव धातुस्स भू होति वा असब्बधातुके परे, क. व्या. 509; सद्द. 3.834. असब्बनाम नपुं., सब्बनाम का निषे., तत्पु. स., व्याकरण में ही प्रयुक्त [असर्वनाम], सब्ब जैसे सर्वनामों से भिन्न (शब्द) - मेसु सप्त. वि., ब. व. - इदानि असब्बनामेसु सङ्गहो वुच्चते, सद्द. 1.271; - त्त नपुं., भाव. [असर्वनाममत्व], सर्वनाम न होना - त्ता प. वि., ए. व. - असब्बनामत्ता च सब्बथा पिपरिसकचित्तनयेन एव योजेतब्बो, सद्द. 1.271. असब्बनामिक त्रि., [असार्वनामिक], सर्वनाम शब्दों के अन्तर्गत न आने वाला (शब्द) - केसु पु., सप्त. वि., ब. व. - सब्बनामेसु गम्हन्ति असब्बनामिकेसु पि, सद्द. 1.271. असब्बप्पयोग पु., सब्बप्पयोग का निषे. [असर्वप्रयोग], सर्वत्र न होने वाला प्रयोग, आंशिक प्रयोग, बचा हुआ या अवशिष्ट विषयों पर प्रयोग - गे सप्त. वि., ए. व. - सिस असब्बप्पयोगे, सद्द. 2.567. असब्बसङ्गाहकवचन नपुं., सब्बसङ्गाहकवचन का निषे०, तत्पु. स. [असर्वसंग्राहकवचन], सभी का संग्रह न करने वाला वचन, सीमित आशय वाला वचन - नं प्र. वि., ए. व. - असब्बसङ्गाहकवचनं इदं गावीसद्देन इत्थिया येव गहेतब्बत्ता तिचे ..., सद्द. 1.211. असब्बसाधारण त्रि., सब्बसाधारण का निषे. [असर्वसाधारण], असामान्य, विशिष्ट - णं नपुं., प्र. वि., ए. व. - ... छन्नवुतिया वचनेहि सब्बसाधारण असब्बसाधारणञ्च पदमालानयं ब्रूम, सद्द, 2.318. असब्भ त्रि., सब्भ का निषे., तत्पु. स. [असभ्य], सभा के बीच नहीं करने या नहीं बोलने योग्य, शिष्ट या भद्रजनों के लिए अनुपयुक्त, अभव्य, अकुशल - डमो पु., प्र. वि., ए. व. -- मातुगामो नामेस असब्भो अकतञ्जू जा. अट्ठ. 3.465; - डमा प. वि., ए. व. - ओवदेय्यानुसासेय्य, असभा च निवारये, ध. प. 77; असभा चाति अकुसलधम्मा च निवारेय्य, For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761