Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar

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Page 662
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अवितथ 635 अविदित अवितथ त्रि., वितथ का निषे. [अवितथ], सही, सत्य, यथार्थ, पूर्ण, वह, जो झूठा न हो, सच्चा - थं नपुं., प्र. वि., ए. व. - सम्मा'व्ययं चा वितथं सच्चं तच्छं यथातथं, अभि. प. 127; भूतं तथं अवितथं तिपुक्खलं तं नयं आह, नेत्ति. 5; सभावस्स अमोघताय अवितथं स. नि. अट्ट, 3.328; - थानि ब. व. - तथानि अवितथानि अनञ्जथानि, ... तथमेतं अवितथमेतं अनाथमेतं इमानि खो, भिक्खवे, चत्तारि तथानि अवितथानि अनथानि, स. नि. 3(2).493; म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).54; - था स्त्री., प्र. वि., ए. व. - भगवता अभिसम्बुद्धोति एवम्पि अभिसम्बोधि तथा अवितथा अनजथा, उदा. अट्ठ. 120; - ग्गाहक त्रि., [अवितथग्राहक], यथार्थ या सत्य का ग्रहण करने वाला, सच्चाई को पकड़ लेने वाला - कस्स नपुं., ष. वि., ए. व. - अरियाणस्साति अरियस्स अवितथगाहकस्स आणस्स तेन पटिवेधञाणं विय पच्चपेक्खणजाणम्पि गहितं होति, विसुद्धि. महाटी. 2.181; - ता स्त्री., भाव. [अवितथता], यथार्थता, सच्चाई, झूठा या मिथ्या न रहना, अविसंवादिता - या तत्र तथता अवितथता अनञथता इदप्पच्चयता, स. नि. 1(2).24; सामग्गिं उपगतेसु पच्चयेसु मुहत्तम्पि ततो निब्बत्तानं धम्मानं असम्भवाभावतो अवितथाताति, स. नि. अट्ठ. 2.37; विसुद्धि. 2.147; - नाम त्रि०, ब. स. [अवितथनामन्]. यथार्थ नाम वाला, गुणों या लक्षणों के अनुरूप नाम वाला - मो पु.. प्र. वि., ए. व. - सच्चनामोति तच्छनामो भूतनामो आगुं अकरणेनेव नागोति एवं अवितथनामो, अ. नि. अट्ठ. 3.114; - भाव पु., [अवितथभाव], झूठे या दूसरे रूप का न होना, यथार्थता, सत्यता - वेन तृ. वि., ए. व. - अवितथभावेन सच्चानि चाति अरियसच्चानि, इतिवु. अट्ठ. 75; - वचन त्रि., ब. स. [अवितथवचन], यथार्थ या सत्य वचन बोलने वाला, अपनी कही बात को न काटने वाला, सत्यवादी - तो प. वि., ए. व. - अवितथवचनतो सच्चवादीति एवमत्थो दहब्बो, सु. नि. अट्ट, 1.89; - वादी त्रि., [अवितथवादिन]. सत्यवादी, सच बोलने वाला - ननु भगवा सच्चवादी कालवादी भूतवादी तथवादी अवितथवादी अनजथवादीति?, कथा. 64; ... अवितथवादीति सङ्घयं गच्छेय्य, पारा, अट्ट, 1.97. अवितिण्णकंख त्रि., ब. स. [अवितीर्णकांक्ष], सन्देह या शङ्का के ऊपर नहीं उठा हुआ, संशयालु, शङ्का भरी मनोवृत्ति वाला - लो पु., प्र. वि., ए. व. - इधेव धम्म अविभावयित्वा, अवितिण्णकडो मरणं उपेति, सु. नि. 320; सयं अजानं अवितिण्णकङ्को, किं सो परे सक्खति निज्झपेतं. स. नि. 322; -ङ्ख पु., द्वि. वि., ए. व. - मन्ताहुती यज्ञमुतूपसेवना, सोधेन्ति मच्चं अवितिण्णकडं सु. नि. 252; अवितिण्णकवन्ति किलेससुद्धिया वा भवसुद्धिया वा अवितिण्णविचिकिच्छं... सु. नि. अट्ठ. 1.266. अवित्थनता स्त्री., अवित्थन का भाव., कठोरता या भारीपन का अभाव, हलकापन, भारीपन का न होना - ता प्र. वि., ए. व. - सङ्कारक्खन्धस्स लहुता लहुपरिणामता अदन्धनता अवित्थनता, ध. स. 42, 43; अवित्थनताति मानादिकिलेसभारस्स अभावेन अथद्धता, ध. स. अट्ठ. 194. अवित्थायन्तु त्रि., वर्त. कृ. [अविस्त्यायत्], नहीं घबड़ा रहा, मोहग्रस्त या संशयग्रस्त नहीं हो रहा - यन्तेन पु., तृ. वि., ए. व. - न हि सक्का अखीणासवेन असम्बद्धन अवित्थायन्तेन पदीपसहस्सं जालेन्तेन विय, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).255; तेसु कत्थचिपि असम्मुव्हनतो अवित्थायन्तेन ..., म. नि. टी. (म.प.) 2.258. अवित्थार पु., वित्थार का निषे. [अविस्तार], विस्तार का अभाव, संक्षेप - रेन तृ. वि., ए. व. - पुट्ठो खो पन पहाभिनीतो हापेत्वा लम्बित्वा अपरिपूरं अवित्थारेन परस्स वण्णं भासिता होति, अ. नि. 1(2).90... अविदित त्रि., विद के भू. क. कृ. का निषे. [अविदित, नहीं जाना हुआ, अज्ञात, अनुभव में न आया हुआ - तं नपुं.. प्र. वि., ए. व. - नत्थि किञ्चि ब्रह्मनो अविदितं, नत्थि किञ्चि ब्रह्मनो असच्छिकतान्ति, दी. नि. 1.202; अय्यो देवदत्तो महानुभावो, एतस्स अविदितं नाम नत्थी ति, दी. नि. अट्ट, 1.115; - तो पु., प्र. वि., ए. व. - यमहं सत्थु अनारोचेत्वा सब्रह्मचारीहि च अविदितो इध यथानिसिन्नोव परिनिब्बायिस्सामि, उदा. अट्ठ. 348; - ता ब. व- न आगता वा गता वा अस्सासपस्सासा अविदिता होन्ति, पटि. म. 165; - कम्मापदान त्रि., ब. स. [अविदितकर्मापदान], वह, जिसके गुण या उत्कृष्ट कर्म विदित न हों, अप्रकट गुणों एवं कर्मों वाला - तत्थ अज्ञातोति अपाकटगुणो अविदितकम्मावदानो, जा. अट्ठ. 7.186; - तग्ग त्रि., ब. स. [अविदिताग्र], अज्ञात आदि एवं अन्त वाला, वह, जिसके प्रारम्भ एवं अन्त का ज्ञान न हो - अनमतग्गोयन्ति अयं संसारो अविदितग्गो, चूळनि. अट्ट. 31; वस्ससतं वस्ससहस्सं जाणेन अनुगन्त्वापि अनमतग्गो अविदितग्गो, स. नि. अठ्ठ. 2.139; - त्त नपुं., भाव. [अविदिताग्रत्व], आदि या प्रारम्भ का अज्ञात होना - त्ता प. वि., ए. व. - आणेन अनुगन्वापि अमतग्गत्ता अविदितग्गत्ता इमिना दीघेन अद्धना सत्तानं For Private and Personal Use Only

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