Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar
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अवभासति/ओभासति
614
अवय
गम्भीर. आदि के अन्त. द्रष्ट. - क त्रि., [अवभासक]. नि. अट्ठ. 2.53; - ञिस्सति भवि., प्र. पु., ए. व. - एस प्रकाश बिखेरने वाला, चमकाने वाला, प्रकाशित कर देने दासो, तस्मा तं पगब्भताय एवं वदेतीति अवमञिस्सति, वाला, सिद्धिमग्गावभासक के अन्त. द्रष्ट..
जा. अट्ठ. 7.164. अवभासति/ओभासति अव + vभास का वर्त, प्र. पु., ए. अवमञन नपुं., अव + Vमन से व्यु., क्रि. ना. [अवमानन], व., ओभासति रूप में ही प्राप्त [अवभासति], प्रकाशित होता अपमान, तुच्छ समझना, हीन मानना - नं प्र. वि., ए. व. है, चमकता है - ओभासति ताव सो किमि, उदा. 156; - - मक्खं असहमानोति एत्थ पन अत्तनि परेहि कतं अवमञनं भासित त्रि., भू. क. कृ. [अवभासित, किसी के द्वारा मक्खोति वुच्चति, सद्द. 2.523. प्रकाशित किया हुआ या प्रदीप्त किया हुआ - ता पु.. प्र. अवमद्दन नपुं.. अव + Vमद्द से व्यु., क्रि. ना. [अवमर्दन]. वि., ब. व. - सब्बञाणसतरंसिपज्जोतेनावभासिता, कुचल देना, प्रहार करना, तोड़ देना, मर्दन कर देना - ने सद्धम्मो. 590.
सप्त. वि., ए. व. - अञ्चपूजागते वञ्च गमने किञ्चावमद्दने, अवमुञ्जति अव + 'भुज का वर्त., प्र. पु.. ए. व. [अवभुक्ते], धा. मं. 9.. अपङ्ग के समान अनुचित रूप में या घटिया रूप में खाता अवमयूर त्रि०, मयूरों से भरा हुआ, अत्यधिक मयूरों वाला - है, हीन रूप में उपभोग करता है - भोत्तुं निमि. कृ.-. रं नपुं.. प्र. वि., ए. व. - अवकुटुं कोकिलाय वनमवकोकिलं. .. स्वाहं एवं अवभोत्तुं न उस्सहामीति वदति, जा. अट्ट अवमयूरं, मो. व्या. 3.13. 3.239; - भुत्त त्रि., भू. क. कृ. [अवभुक्त], अनुचित रूप अवमान पु.. [अवमान]. असम्मान, अपमान - अवमानं में भोग किया गया - त्तं द्वि. वि., ए. व. - रुओ हि किच्चं तिरोक्कारो परिभवोप्यनादरो, अभि. प. 172; - नो प्र. वि.. अनिप्फादेन्तो तं अवभुत्तं भुञ्जति, तदे...
ए. व. - अदु पुत्तेहि अवमानो कतो, जा. अट्ठ. 5.381; - नं अवभूत त्रि., अव + भू, भू. क. कृ. [अवभूत], घटिया, हीन, द्वि. वि., ए. व. - ... कस्मा इमस्स दुट्ठमक्कटस्स अवमानं तुच्छ, निकृष्ट - ता स्त्री, प्र. वि., ए. व. -- अवभूताव अयं । सहसि, जा. अट्ट, 2.317; - प्पत्त त्रि., ब. स. [अवमानप्राप्त]. धनजानी ब्राह्मणी .... म. नि. 2.433; अवभूतावाति अवद्धिभूता असम्मान का विषय, वह, जिसे असम्मान मिला है - त्ता अवमङ्गलभूतायेव, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.318; अवभूताति स्त्री, प्र. वि., ए. क- सा अवमानपत्ता हुवा...ध. प. अट्ठ. 1.398 अधोभूता अधोभावो सत्तानं अवड्डि अवमङ्गलन्ति आह - अवमानित त्रि., [अवमानित], अपमानित, तिरस्कृत - ता
अवधिभूता अवमङ्गलभूतायेवाति, लीन. (म.नि.टी.) 2.209. पु., प्र. वि., ब. व. - अवञ्जितावगणिता परिभूतावमानिता, अवमङ्गल त्रि., [अपमङ्गल], बुरे लक्षणों वाला, अपशकुनो से अभि. प. 756; - तो पु., प्र. वि., ए. व. - सो भरियाय भरा, दुर्भाग्य का सूचक, अमङ्गलजनक - लं नपुं.. प्र. वि.. अवमानितो निबिन्नमानसो अझं कझं आनेसि, पे. व. ए. व. - इदहि अवमङ्गलं काळकण्णिसदिसं.... जा. अट्ठ. अट्ठ. 31. 1.355; सब्बकल्याणधम्मानं, अवमङ्गलमुहितं, ना. रू. प. अवमानेत्वा अव + /मन के प्रेर. का पू. का. कृ., अपमानित 1304 - वत्थ नपुं, कर्म. स. [अवमङ्गलवस्त्र], अमङ्गलसूचक करके - ... अवमानेत्वा रहा पब्बाजेसि, जा. अट्ठ. 5.235. वस्त्र, कफन, मृतशरीर को आच्छादित करने वाला वस्त्र - अवमुख त्रि., ब. स. [अवमुख]. अधोमुख, नीचे की ओर त्थं प्र. वि., ए. व. - सिवेय्यकं नाम उत्तरकुरुसु सिवथिकं मुख को किया हुआ - खं नपुं., द्वि. वि., ए. व. - तत्थ अवमङ्गलवत्थं, महाव. अट्ठ. 376.
अवपतितन्ति अवमुखं पतितं उद्धपादं अधोमुखं पतितं. थेरगा. अवमञ्जति अव +/मन का वर्त., प्र. पु., ए. व. [अवमन्यते]. अट्ठ. 1.345. अपमान भरी दृष्टि से देखता है, तुच्छ समझता है, तिरस्कार अवमोचन नपुं.. [अवमोचन]. ढीला करना, मुक्त करना, करता है, बुरा व्यवहार करता है - परिभवे अवजाननं, स्वतन्त्र करना - ने सप्त. वि., ए. व. - सुत्त अवमोचने, अवमति , सद्द. 3.882; - तु अनु०, प्र. पु., ए. व. - सद्द. 2.540.
ओचिनायतूति 'नीहरथेतं काळकण्णिन्ति अवमञ्जत, अवय त्रि., ब. स. [अव्यय]. किसी भी प्रकार की अल्पता या अवजानातूति अत्थो, जा. अट्ठ.6.4; - थ/ञि अद्य, प्र. न्यूनता से रहित, व्यय या क्षति से रहित - या पु.. प्र. वि., पु., ए. व. - पतिं भरियावमञथाति भरिया च ... पति ब. व. - समवयसढेसनोति एत्थ अवयाति अनूना, दी. नि. अवमञ्जथ, परिभवि अवमञि न सक्कच्चं उपट्ठासि, सु. अट्ट, 3.215; अ. नि. अट्ठ. 2.292.
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