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अभिनादित
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अभिनिग्गण्हाति
- टीका स्त्री., एक उत्तर-कालीन, अनुटीका - यो द्वि. वि., ब. व. - अभिधम्मत्थसङ्गहाभिधम्मावताराभिनवटीकायो सुमंगलसामिथेरो, सा. वं. 32(ना.); - योब्बन नपुं., कर्म स. [अभिनवयौवन], नवयौवन, किशोरावस्था, तरुणाई - नं द्वि. वि., ए. व. - अभियोब्बनं पतीति सुन्दरे अभिनवयोब्बनकाले सा नासिका इदानि जराय ... वरत्ता विय च जाता, थेरीगा. अट्ठ. 235. अभिनादित त्रि., अभि + निद के प्रेर. का भू. क. कृ. [अभिनादित], ध्वनिपूर्ण, शब्दों या गंजों से भर दिया गया, कोलाहल से परिपूर्ण किया हुआ - ता' पु., प्र. वि., ब. क. - भमरा पुष्फगन्धेन, समन्ता अभिनादिता, जा. अट्ठ. 7.294; समन्ता अभिनादिताति समन्ता अभिनदन्ता विचरन्ति, जा. अट्ठ. 7.296; - ता स्त्री.. प्र. वि., ए. व. - हंसेहि च कोञ्चेहि च अभिनादिता, पे. व. अट्ठ. 136. अभिनादेति अभि + निद के प्रेर. का वर्तः, प्र. पु., ए. व. [अभिनादयति], ध्वनि से भर देता है, कोलाहल से परिपूर्ण बना देता है - को नु सद्देन महता, अभिनादेति दद्दर जा. अट्ठ. 2.55; अभिनादेति ददरन्ति दद्दरं रजतपब्बतं एकनादं करोति, तदे.; - न्ति वत, प्र. पु.. ब. व. - अभिनादेन्ति पवनं, जा. अट्ठ. 7.294; - यित्थ अद्य, प्र. पु., ए. व. - दिसा इमायो अभिनादयित्थ जा. अट्ठ. 5.404; अभिनादयित्थाति यानसद्देन एकनिन्नादं अकासि, जा. अट्ट. 5.405. अभिनिकूजति अभि + नि + कूज का वर्त., प्र. पु.. ए. व. [अभिनिकूजति], शब्द करता है, कूजन करता है - जिं अद्य., उ. पु., ए. व. - म नाभिनिकूजहं, अप. 2.140; मञ्जुनाभिनिकूजहन्ति मधुरेन ... अभिनिजि ... अहन्ति अत्थो , अप. अट्ठ. 2.241. अभिनिकूजित अभि + नि + कूज का भू. क. कृ., पशुओं या पक्षियों के कलरव या कूजन से प्रतिध्वनित - तं नपुं... प्र. वि., ए. व. - पिङ्गलेनाभिकूजितं. जा. अट्ठ. 5.220; अभिकूजितन्ति एतेन तव सुनखेन... न जानाति, तदे; - ते सप्त. वि., ए. व., पशुओं या पक्षियों के कूजन से प्रति वनित होने पर - कोकिलाभिनिकूजिते. जा. अट्ठ. 5.294%; कोकिलाभिनिकूजितेति कुसराजकुले ... कोकिलेहि अभिनिकूजिते, जा. अट्ठ. 5.295. अमिनिक्खन्त त्रि., अभि + नि + ।कम का भू. क. कृ. [अभिनिष्क्रान्त], शा. अ. वह, जो घर से बाहर निकल गया है, ला. अ. वह, जिसने सांसारिक जीवन छोड़ दिया है, प्रव्रजित, गृहत्यागी, आसक्ति-रहित - न्तो पु., प्र. वि.,
ए. व. - बोधिसत्तो नेक्खम्ममभिनिक्खन्तो अपरिपक्कं
आणं .... मि. प. 264. अभिनिक्खम पु.. [अभिनिष्क्रम], निकलना, बाहर आना, उत्पन्न होना, प्रसव - मे सप्त. वि., ए. व. - जातितो अभिनिक्खमे, बु. वं. 1.70; अभिनिक्खमेति मातुकुच्छितो
अभिनिक्खमने पसवे, बु. वं. अट्ठ. 66. अभिनिक्खमति अभि + नि + कम का वर्तः, प्र. पु., ए. व. [अभिनिष्क्राम्यति], शा. अ. बाहर की ओर जाता है, बाहर निकलता है, गर्भ से बाहर निकलता है, ला. अ. गृहत्याग करता है, प्रव्रजित होता है - म्मेय्य विधि.. प्र. पु., ए. व. - गभो न सोत्थिना अभिनिक्खमेय्या ति, ध. स. अट्ठ. 136; - क्खमि अद्य., उ. पु., ए. व. - अभिनिक्खमि अमतपदं जिगीसं. थेरगा. 1113; - मिस्सं भवि., उ. पु.. ए. व. - अज्जेव तात भिनिक्खमिस्सं, थेरीगा. 480; - मित्वा/क्खम्म पू. का. कृ. - सद्धाय अभिनिक्खम्म, थेरगा. 249; कासायवत्थो अभिनिक्खमित्वा, सु. नि. 643 अभिनिक्खमित्वा सम्मासम्बोधिं अभिसम्बुद्धो, उदा. अट्ठ. 21. अमिनिक्खमन नपुं.. [अभिनिष्क्रमण], शा. अ. बाहर निकल जाना, प्रसव, ला. अ. सांसारिक या गृहस्थ जीवन को छोड़ना, प्रव्रजित होना - ने सप्त. वि., ए. व. - मातकच्छितो अभिनिक्खमने पसवे, बु. वं. अट्ठ.66; - नं प्र. वि., ए. व. - महाभिनिक्खमनं नाम अनच्छरियं, जा. अट्ठ. 6.2; साततिकाति अभिनिक्खमनकालतो पट्ठाय ...,ध. प. अट्ठ. 1.131; बोधिया महाभिनिक्खमनं निक्खन्तो, मि. प. 264%3; केवल स. उ. प. के रूप में द्रष्ट., कता., गभा., महा. के अन्त.. अभिनिक्खिपति अभि + नि+खिप का वर्त., प्र. पु., ए. व. [अभिनिक्षिपति], उतार फेंकता है, नीचे की ओर फेंकता है - पिंसु अद्य., प्र. पु.. ब. व. - तं ... अभिनिक्खिपिंसु, दा. वं. 3.12. अभिनिग्गण्हना स्त्री., अभि + नि + Vगह से व्यु., क्रि. ना., किसी को पकड़ लेना, अङ्ग को पकड़ कर ऐंठना, मजबूती के साथ पकड़ना, सुदृढ़ पकड़ - अभिनिग्गण्हना नाम अङ्गं गहेत्वा निप्पीळना, पारा. 174; - नाय च. वि., ए. व. - अभिनिग्गण्हनाय हत्थे वा बाहाय वा दळ्हं गहेत्वा ...पारा. अट्ठ. 2.111. अमिनिग्गण्हाति अभि + नि + गह का वर्त.. प्र. पु.. ए. व. [अभिनिग्रह्णाति], शा. अ. कस कर पकड़ लेता है - इत्थिया कायेन कायं आमसति ... अभिनिग्गण्हाति
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