Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar

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Page 617
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अलवणभोजी 590 अलात/आलात इदमाह, जा. अट्ठ. 5.146; सक्कट्ठानं नु खो तापसो पत्थेतीति 3.5; अलसकेनाति अजीरणेन आमरोगेन, लीन. (दी. नि. अलम्बुसं नाम देवकज तापसस्स तप भिन्दित्वा एही ति टी.) 3.5. पेसेसि, दी. नि. अट्ठ. 1.274; - जातक नपुं., जा. अट्ट, के अलसताळम्बर नपुं., समा. द्व. स., दो प्रकार के वाद्य - 523वें जातक का शीर्षक, जिसमें अलम्बुसा नामक एक अलसो च ताळम्बरञ्च अलसताळम्बरं मो. व्या. 3.19. अप्सरा के द्वारा इसिसिङ्ग नामक ऋषि को तपोभ्रष्ट करने अलसन्द' पु., व्य. सं., यूनानियों के अधीनस्थ एक द्वीप का के असफल प्रयास का कथानक दिया गया है, जा. अट्ठ. नाम, जहां यूनानी शासक मिलिन्द का जन्म हुआ - अत्थि, 5.145-156. भन्ते, अलसन्दो नाम दीपो, तत्थाहं जातोति, मि. प. 91; - अलवणमोजी त्रि., [अलवणभोजी]. बिना नमक का भोजन न्दं द्वि. वि., ए. व. - महासमुदं पविसित्वा वङ्ग तक्कोलं खाने वाला, नमकीन या नमकयुक्त भोजन न खाने वाला चीनं सोवीरं सुरलु अलसन्दं कोलपट्टनं सुवण्णभूमिं गच्छति - असुरियंपस्सानि मुखानि, अचन्दमुल्लोकिकानि मुखानि, मि. प. 324. असद्धभोजी, अलवणभोजी, अपुनगेय्या गाथा, सद्द. 3.744. अलसन्द' पु.. सिंहली सूचियों में उल्लिखित यूनानियों का अलस' त्रि., [अलस], आलसी, सुस्त, अकर्मण्य - सो पु.. एक सुदूरवर्ती बन्दरगाह - योननगरालसन्दा प्र. वि., ए. क. - निक्कोसज्जो अकिलासु, मन्दो तु योनमहाधम्मरक्खितो. म. वं. 29.39; योननगरालसन्दा ति अलसो प्यथ, अभि. प. 516: ... यथा-मनुस्सो, ... इल्लिसो, योनविसयम्हि अलसन्दा नाम नगरपरिवत्ततो ति वृत्तं होति, अलसो, महिसो सीसं कीसं. क. व्या. 675; अलसो म. वं. टी. 481. कोधपआणो, तं पराभवतो मुखं सु. नि. 96; अलसोति अलसन्दक पु., अलसन्दा नामक यूनानी नगर या द्वीप का जातिअलसो अच्चन्ताभिभूतो थिनेन ठितवाने ठितो एव होति, निवासी- का प्र. वि., ब. व. - अलसन्दका पल्लवका, सु. नि. अट्ट, 1.134; - सा स्त्री., प्र. वि., ए. व. - धम्मरा निग्गमानुसा, अप. 1.394. अकम्मकाया अलसा महग्घसा, अ. नि. 2(2).230; अलसाति अलसुण नपुं., लसुण का निषे॰ [अलशुन]. लहसुन से भिन्न निसिन्नहाने निसिन्नाव ठितवाने ठिताव होति, अ. नि. अठ्ठ. कुछ और - णे सप्त. वि., ए. व. - लसुणे अलसुणसआ 3.178; -- जातिक त्रि., [अलसजातिक], आलसी स्वभाव खादति, आपत्ति पाचित्तियस्स ... अलसुणे लसुणसआ वाला, स्वभाव से ही सुस्त या निष्क्रिय रहने वाला - का खादति, आपत्ति दुक्कटस्स, अलसुणे वेमतिका खादति, स्त्री., प्र. वि., ए. व. - अलसजातिका अम्हाक धीता, आपत्ति दुक्कटस्स, अलसुणे अलसुणसआ खादति, अनापत्ति एतिस्सा सामिको कञ्जिकमत्तम्पि न लभिस्सति म ति पाचि. 353-54. .... ध. प. अट्ट, 1.218; - कस्स पु., ष. वि., ए. व. - अलात'/आलात नपुं.. [अलात], आग का अंगार, अलाव, अञ्जतरस्स सत्तस्स अलसजातिकस्स एतदहोसि, दी. नि.. ___अधजली लकड़ी - तं प्र. वि., ए. क. - कुक्कुळो तुण्हभस्मस्मि 3.66; - ता स्त्री., अलस का भाव. [अलसता], आलस्य, अङ्गारो लातमम्मुकं, अभि. प. 36; जवतो पनस्स सरीरं निष्क्रियता, निकम्मापन, सुस्ती - य तृ. वि., ए. व. - अन्धकारे परिभमन्तं अलातं विय खायति, अ. नि. अट्ठ. एवमेवं अलसताय कम्मन्ते अप्पयोजेत्वा वप्पमङ्गलादीसु 2.284; - तं द्वि. वि., ए. व. - सा अलातं गहेत्वा निद्दायमाना पिण्डाय चरित्वा .... सु. नि. अट्ठ 1.112; अलसो विय निसीदित्वा वीहिखादनत्थाय एळके सम्पत्ते उहाय अलातेन अलसताय मन्तितं अत्थं ब्यापादेति, मि. प. 103; - भाव एळकं पहरि जा. अट्ठ. 1.462; - तानि ब. व. - सक्को पु., तत्पु. स. [अलसभाव], आलस्य, सुस्ती, निष्क्रियता - अलातानि समानेन्तो अग्गिं जालेसि, जा. अट्ठ. 1.78; - वेन तृ. वि., ए. व. - युवा बलीति पठमयोब्बने ठितो खण्ड नपुं., तत्पु. स. [अलातखण्ड], आग के अंगारो का बलसम्पन्नोपि हुत्वा अलसभावेन उपेतो होति, ध. प. अट्ठ. एक हिस्सा, अलाव का एक भाग -- ण्डं प्र. वि., ए. व. - 2.236. अलातखण्डं वा अङ्गारपिण्डो वा छारिका वा धूमो वा उपहाति, अलसक पु., [अलसक], पेट का एक रोग, अपच या विसुद्धि. 1.164; - तग्गिसिखा स्त्री., तत्पु. स. अजीर्णता का रोग, अतिभोजन - केन त. वि., ए. व. - [अलाताग्निशिखा], आग के अङ्गारों की लौ या लपट, अचेलो कोरक्खत्तियो सत्तमं दिवसं अलसकेन कालङ्करिस्सति, अलाव से बाहर निकल रही लौ -- बलवता पुरिसेन दी. नि. 3.5; अलसकेनाति अलसकव्याधिना, दी. नि. अट्ठ. आविञ्छनअलातग्गिसिखा विय उय्यानपाकारमत्थके For Private and Personal Use Only

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