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अम्भ 544
अम्मणक अम्म' 'शब्द करने के अर्थ वाली एक धातु - देभ अभि दभि अम्म अ., मूलतः स्त्रियों को बुलाने हेतु प्रयुक्त अम्मा का सद्दे, सद्द. 2.408; अम्ब सद्दे, मो. धा. 168.
संबो., ए. व. [अम्ब]. निम्नलिखित रूप से नारियों के अम्भ नपुं.. [अम्भस्], जल - एत्थ च अम्भो वुच्चति उदक आमन्त्रण या उन्हें बुलाने/पुकारने हेतु प्रयुक्त निपा., क. ..... अम्भति सदं करोतीति अम्भो ति वुच्चति, सद्द. 2.408. सन्तानों द्वारा मां के लिए प्रयुक्त - "मतं वा अम्म रोदन्ति अम्भो/हम्भो अ., निपा., विस्मय, तिरस्कार, प्रशंसा जैसे ... जीवन्तं मं अम्म पस्सन्ती, कस्मा में अम्म रोदसीति, अनेक अर्थों का सूचक [बौ. सं. हम्भो/हम्भोः], क. किसी थेरगा. 44; अम्म, रोदन्ता नाम आतका मित्ता वा अत्तनो व्यक्ति का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए या उसे जातकं मित्तं वा मतं उद्दिस्स रोदन्ति परलोक गतत्ता, पुकारने हेतु प्रायः संबो., ए. व. में प्रयुक्त नाम के साथ थेरगा. अट्ठ. 1.120; ख. पुत्री के लिए प्रयुक्त - "अम्म, प्रयुक्त, ऐ, ओ, अरे - अम्भो पुरिसाति आलपनाधिवचनमेतं. पब्बजितुं सक्खिस्ससी ति आह, ध. प. अट्ठ. 1.277; पिता पारा, 87; 'अम्भो पुरिस, किं तुम्हिमिना पापकेन दुज्जीवितेन, पनस्सा सालं गच्छन्तो आह-'अम्म परसन्तको मे साटको पारा 86; ... अम्भो पुरिस, भरियं नेसी ति, मि. प. 46; आरोपितो .... ध. प. अट्ठ. 2.98; ग. सामान्य रूप से आतुसो, अम्भो हम्भो, हरे अरे हे इच्चेते एकवचनपथवचनवसेन किसी भी नारी के लिए प्रयुक्त - "अम्म, किं वदेसि, पुरिसानं आमन्तणे, सद्द. 3.894-95; ख. चेतावनी देने, मव्ह उपवानपुप्फेहि तेन पूजा कता ति, ध. प. अट्ठ. 1.275; डांटने-फटकारने तथा किसी बात पर आपत्ति प्रकट करने घ. प्रायः 'तात' के साथ प्रयोग में आने पर माता-पिता को तथा तिरस्कार जैसे अर्थों का सूचक - ... अम्भो न किर सम्बोधित करने हेतु प्रयुक्त - अम्मताता न मय्ह एवरूपायत्थो सद्धेय्यं यं वातो पब्बतं वहे. जा. अट्ठ. 3.52; "अम्भो पुरिस .... ध. प. अट्ठ. 2.39; "अम्मताता, अनुजानाथ मं पब्बजितु न्ति यं त्वं जनपदकल्याणिं इच्छसि कामेसि, म. नि. 2.234; आह, उदा. अट्ठ. 57; ङ. 'अम्मा' के रूप में प्रयोग में अम्भो, रुक्ख-पुब्बे त्वं ओलम्बकं चारेन्तो विय उजकमेव आने पर किन्हीं भी अन्य लोगों को सम्बोटि फलानि पातेसि, जा. अठ्ठ. 1.175; "अम्भो, समण, तव त करने हेतु प्रयुक्त - अम्मा, तुम्हेपि उट्ठहथ, यागु पिसितासनो पिसाचो उपट्टितो ति महन्तं ... अत्तानं सन्धाय पचथ, भत्तं पचथा ति विचरित्वा आरोचेही ति, ध. प. यक्खो वदति, उदा. अट्ठ.54; ग. कभी कभी प्रशंसा एवं अट्ठ. 1.132; च. कभी कभी 'अम्मताता' रूप में भी प्रयुक्त अनुमोदन का भी सूचक, अहा हा ! वाह, क्या कहना -- होने पर बहुत सारे लोगों के समूह का सम्बोधन - अम्भो अम्भो नाममिदं इमिस्सा, जा. अट्ठ. 5.203; तमेनं जनो "अम्मताता, एकेककुलतो एकेको पुरिसो फरसुवासिआदीनि दिस्वा एवं वदेय्य “अम्भो, किमेविदं हरीयति जञ्जजअं गहेत्वा अरज... आहरित्वा अय्यानं वसनट्ठानं करोतु ति. विया ति, म. नि. 1.38.
ध. प. अट्ठ. 1.313. अम्भोद पु.. [अम्भोद], शा. अ. जल देने वाला, ला. अ. अम्मण नपुं.. [तुल. अर्मण], क. द्रोणी, डोंगी - णं प्र. वि., मेघ, बादल - हारहसहिमम्भोदपण्डरायातिचारुया .... चू. ए. व. - दोणी त्वित्थो तथाम्मणं, अभि. प. 668; अम्मणं वं. 73.134.
दोनियं चेकादसदोणप्पमाणके, अभि. प. 1032; ख नहाने अम्भोधर पु.. [अम्भोधर]. शा. अ. जल को धारण करने के लिए प्रयुक्त डोंगी के आकार की नांद, कण्डाल या वाला, ला. अ. मेघ, बादल - महीतलावतिण्णम्भोष्ट बालटी - णं द्वि. वि., ए. व. - सत्था अम्बणं आहरापेत्वा रिसंसयकारिहि यन्तरूपेहि हत्थीहि हत्थालंकारधारिहि, चू. उण्होदकं आसिञ्चित्वा .... ध. प. अट्ठ. 1.182; ग. ग्यारह वं. 85.18.
द्रोणों की बराबरी वाली बड़ी माप की एक इकाई, भारी अम्भोधि पु., [अम्भोधि], शा. अ. जल को संजोकर रखने वजन - णं प्र. वि., ए. व. - चेकादस दोणा तु अम्मणं, वाला, ला. अ. समुद्र, सागर - निजपुञ्जमहम्भोलि अभि. प. 484; पिंसापयित्वा निसदे एक पंसनमम्मणं, म. वं. निनदभमकारिहि ... निनादेहि विवडितं. चू. वं. 85.45. 30.9; - णानि ब. व. - वीहीनं अड्ढचूळञ्च वाहा अम्भोरासि पु.. [अम्भोराशि], शा. अ. जल का ढेर, ला. वीहिसत्तम्बणानि द्वे च तुम्बा..., मि. प. 112; ततो उपपड्डपड अ. समुद्र, सागर - इत्थं राजा बुद्धिमा बुद्धसद्धो च पंसू द्वे अम्मणानि च, म. वं. 30.7. संसारम्भोरासिसंतारसेतु निस्सेणिं वासेससग्गाय गन्तुं .... अम्मणक नपुं., अम्मण (डोंगी) से व्यु., डोंगी, छोटी नौका, अकासि, चू. वं. 85.122.
द्रोणी- के सप्त. वि., ए. व. - एकस्मिं अम्बणके निपज्जापेत्वा
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