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अम्बट्ठकोलक
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अम्बपन्ति
व. - ब्राह्मणस्स पोक्खरसातितस्स अम्बट्टो नाम माणवो अन्तेवासी होति, दी. नि. 1.76; - कुल नपुं., अम्बट्ट का परिवार या कुल - स्स ष. वि., ए. व. - अम्बट्टकुलस्स खत्तिय, ... अहुं, जा. अट्ठ. 3.366; अम्बट्टकुलस्साति कुटुम्बियकुलस्स, जा. अह. 3.367. अम्बट्ठकोलक पु., श्रीलङ्का के एक जिला का नाम - के सप्त. वि., ए. व. - जम्बुदीपा इध आगम्म देसे अम्बट्ठकोलके चू. वं. 39.21; - लेणम्हि नपुं., सप्त. वि., ए. व. - पुरतो दक्खिणे पस्से अट्ठयोजनमत्थके, अम्बट्ठकोललेणम्हि रजतं उपपज्जथ. म. वं. 28.20. अम्बट्ठज पु., चौदह चक्रवर्ती राजाओं का पदनाम -
सत्तसत्ततिकप्पसते, अम्बट्ठजसनामका, अप. 1.116. अम्बट्ठवंस पु., अम्बठ्ठ गोत्र के मनुष्यों की कुलपरम्परा या वंश- सं द्वि. वि., ए. व. - एवं सक्यवंसं पकासेत्वा इदानि
अम्बठ्ठवंसं पकासेन्तो..., दी. नि. अट्ट, 1.212. अम्बट्टवेस्स पु., द्व. स., सदा ब. क. में, अम्बष्ट लोग एवं वैश्य लोग - स्सेहि तृ. वि., ब. व. - समा अम्बद्ववेस्सेहि, जा. अट्ट, 4.326. अम्बट्ठसुत्त नपुं॰, दी. नि. के एक सुत्त का शीर्षक, दी. नि. 1.76-96. अम्बट्ठा' स्त्री., [अम्बष्ठा, एक पौधे का नाम, जूही का पौधा - अम्बट्ठा च तथा पाठा कटुका अटुकरोहिणी, अभि. प. 582. अम्बठ्ठा' स्त्री., जादू-टोने की एक विद्या - टुं द्वि. वि., ए. व. - धनुअगमीनयं अम्बट्ठ नाम विज्ज अदासि दी. नि. अट्ठ. 1.214. अम्बढि नपुं.. [आम्रास्थि]. आम की गुठली या आंठी- डिं द्वि. वि., ए. व. - "इमं अम्बढिं इधेव पंसुं वियूहित्वा रोपेही ति, ध, प, अट्ठ. 2.119; - हीहि तृ. वि., ब. क. - कण्डम्बो नाम अयन्ति वत्वा ते उच्छिडअम्बट्ठीहि पहरिंस. ध. प. अट्ट, 2.119; - क नपुं., उपरिवत् - कं द्वि. वि., ए. व. - अम्बद्धिकं अदा राजा तं सयं तत्थ रोपयि, म. वं. 15.42. अम्बण नपुं., पानी मापने का छोटी डोंगी जैसा एक जलपात्र, द्रोण या द्रोणी जैसा जलपात्र - णं प्र. वि., ए. व. - दीघफलक... दण्डमुग्गरो, अम्बणं राजनदोणि... सङ्के दिन्नं गरुभण्ड, चूळ व. अट्ट, 82; अम्बणन्ति फलकेहि पोक्खरणीसदिसं कतपानीयभाजनं, सारत्थ. टी. 3.366. अम्बति ।अबि का वर्त, प्र. पु., ए. व., शब्द करता है, ध्वनि करता है - अबि सद्दे अम्बति, अम्बा अम्बु, सद्द. 2.406.
अम्बतरुण नपुं, कर्म. स. [आम्रतरुण], आम का कोमल फल, जिसका प्रयोग अम्बपान बनाने के लिए होता था - णानि द्वि. वि., ब. व. - आमेहि करोन्तेन अम्बतरुणानि भिन्दित्वा उदके पक्खिपित्वा, ..., महाव. अट्ठ. 361. अम्बतित्थ' नपुं., चेतिय क्षेत्र के भद्दवतिका के समीप में स्थित एक तीर्थ- त्थं द्वि. वि., ए. व. - भगवा अम्बतित्थं
अगमासि, जा. अट्ट, 1.344. अम्बतित्थ पु.. अम्बतित्थ का निवासी एक जटिल - अथ
खो आयस्मा सागतो येन अम्बतित्थस्स जटिलस्स अस्समो तेनुपसङ्कमि, पाचि. 148. अम्बतित्थक क. पु.. एक नाग - को प्र. वि., ए. व. - अम्बतित्थे जटिलस्स अस्समे अम्बतित्थको नाम नागो आसीविसो घोरविसो..., जा. अट्ठ. 1.344; ख. नपुं., श्रीलङ्का का एक स्थान - कं द्वि. वि., ए. व. - गहेत्वा दमिळे तत्थ आगन्त्वा अम्बतित्थक, म. वं. 25.7. अम्बत्थल नपुं., श्रीलङ्का में मिस्सक पर्वत का एक पठार - ले सप्त. वि., ए. व. - अट्ठासि सीलकूटम्हि रुचिरम्बत्थले वरे, म. वं. 13.20; - मग्ग पु., अम्बत्थल की ओर जाने वाला मार्ग - ग्गं द्वि. वि., ए. व. - मिगो अम्बत्थलमग्गं गहेत्वा पलायितुं आरभि, पारा. अट्ट, 1.52; - महाथूप पु., अम्बत्थल पर स्थित एक विशाल स्तूप - लं द्वि. वि., ए. व. -- अम्बत्थलमहाथूपं कारापेसि महीपति, म. वं. 34.71. अम्बदान नपुं.. [आम्रदान], आम के फलों का दान - नेन
तृ. वि., ए. व. - इमिना मधुदानेन अम्बदानेन चूभयं अप. 1.116. अम्बदायक पु., एक स्थविर, जिसने बुद्ध को आम के फलों का दान दिया था- को प्र. वि., ए. व. - इत्थं सदं आयस्मा अम्बदायको थेरो इमा गाथायो अभासित्थाति, अप. 1.116. अम्बदुग्गमहावापी स्त्री, श्रीलङ्का के एक सरोवर का नाम - पिं द्वि. वि., ए. व. - अम्बदुग्गमहावापिं भयोलुप्पलमेव च, म. वं. 34.33. अम्बदोहळिनी विशे., [आम्रदोहदिनी], आमों की अत्यधिक इच्छा करने वाली गर्भवती स्त्री - नी प्र. वि., ए. व. - तस्स
भरिया अम्बदोहळिनी हुत्वा तं आह, जा. अट्ट. 3.24. अम्बपक्क नपुं., कर्म स. [आम्रपक्व], पका हुआ आम का फल- कं द्वि. वि., ए. व. - अम्बपक्कंदकं सितं, सद्द. 1.237; - कानि ब. व. - अम्बे रक्खन्तो पतितानि
अम्बपक्कानि खादन्तो विचरति, जा. अट्ठ. 3.117. अम्बपन्ति स्त्री., तत्पु. स. [आम्रपंक्ति], आमों की कतार या पंक्ति - तीहि तृ. वि., ब. व. - सो आवासो समन्ततो
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