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अभयप्पद
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अभाजनभूत अभयप्पद त्रि., [अभयप्रद], उन्मुक्ति देने वाला, सुरक्षा अभयाभिसेक पु., [अभयाभिषेक], म. वं. के एक अध्याय प्रदान करने वाला, निर्भय भाव को देने वाला - दो पु., प्र.. का शीर्षक, म. वं. परिच्छेद 10. वि., ए. व... अनाथानं भवं नाथो, भीतानं अभयप्पदो, अप. अभयुत्तर पु., क. श्रीलंका के अभयगिरि में अवस्थित 2.147.
एक मठ का नाम - रं द्वि. वि., ए. व. - अभयभीरुता स्त्री., भयभीरु के भाव. का निषे., भयों अनुसम्पवच्छर नेत्वा विहार अभयुत्तरं तेसं पूजाविधि से नहीं डरना, कायरता या डरपोकपन का अभाव कातुं एवंरूपं नियोजयि, म. वं. 37.97; धातुं विहारं - य तृ. वि., ए. व. - कुसलूपदेसे... अनिवत्तितत्ता अभयुत्तरमेव नेत्वा पूजं विधातुं अनुवच्छरमेवरूपं. दाठा. वं. भयभीरुताय च, जा. अट्ठ 1.449; अनिवत्तितत्ता 5.67; ख. एक महास्तूप का नाम - अभयुत्तरं महाथूपं भयभीरुताय चाति भयभीरुताय अनिवत्तितताय च, तदे. वड्डत्वा चिनापयि, म. वं. 35.119; ग. एक परिवेण (कक्ष, कुसलुपदेसे... अनिवत्तितत्ताभयभीरुताय च. ध. प. अट्ठ... कोठरी) का नाम - कप्पूरपरिवेणं सो कारेसि अभयुत्तरे चू. 2.329.
वं. 45.29. अभयमाता स्त्री., अभयमातु थेरी-गाथा की रचयित्री एक अभयूपरत त्रि., [अभयोपरत], किसी भय के कारण वैराग्य थेरी, थेरीगा. 33-34.
को ग्रहण न करने वाला, भयरहित होकर वैराग्य लेने वाला अभयराजव्ह त्रि., ब. स., विजयवाहु द्वारा निर्मित - तो पु.. प्र. वि., ए. व. - ततो न उत्तर समन्नेसति वनग्गामपासादमठ का अभयराज नामक एक परिवेण - व्हं अभयूपरतो... तमेनं समन्नेसमानो एवं जानाति- अभयूपरतो पु., द्वि. वि., ए. व. - राजा तत्थ वनग्गामपासादहविहारक अयमायस्मा, म. नि. 1,400; अभयूपरतोति अभयो हुत्वा ... कारेत्वा भयराजव्हं परिवेणं च तस्स सो... अदा, चू. वं. उपरतो, अच्चन्तूपरतो सततूपरतोति अत्थो, न वा भयेन 88.51-52.
उपरतोतिपि अभयूपरतो, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2),279; सो अभयवापी स्त्री०, अनुराधपुर की एक बाबड़ी या सरोवर का हिसब्बसो समुच्छिन्नभयो, तस्मा अभयूपरतोति, पु. प. अट्ट. नाम, अनुराधपुर के विस्तृत आयताकार जलाशय का नाम - पिया ष. वि., ए. व. - यक्खं तु चित्तराजानं हेट्ठा अभयूवर त्रि., अदण्डनीय, अभय-प्राप्त - रा पु.. प्र. वि., ब. अभयवापिया, म. वं. 10.84; पादे पितलुपेत्वापि जले क. - अभयूवरा इमे समणा सक्यपुत्तिया, नयिमे लब्मा अभयवापिया, म. वं. 26.20.
किञ्चि कातुं, महाव. 94; - भाणवार नपुं., महा. के एक अभयवास पु., निश्चिन्त भाव से निवास, शान्ति के साथ भाग का शीर्षक, महाव. 91-104. निवास, सुरक्षित निवास - मिगानं पन अभयवासत्थाय अभरित त्रि., [अभरित], नहीं भरा हुआ, भीड़-भाड़ से रहित दिन्नत्ता मिगदायोति वुच्चति, दी. नि. अट्ठ. 2.55. - तो पु., प्र. वि., ए. व. - अप्फुटो असम्फुटो अभरितो वा, अभयसञा स्त्री., किसी चीज को भयरहित मानना, भय से दी. नि. अट्ठ. 2.152. रहित होने की समझ - जाय तृ. वि., ए. व. - अभव पु.. [अभव], विपत्ति, विनाश, दुर्भाग्य, हानि, अवृद्धि -
भयदस्सनेन सभयेसु अभयसआय, सु. नि. अट्ठ. 1.8. वो प्र. वि., ए. व. - भवो च रुओ अभवो च रुओ, दासाह अभयसुत्त नपुं.. म. नि. के एक सुत्त का शीर्षक, म. नि. देवस्स परम्पि गन्त्वा , जा. अट्ठ. 7.178; - वेन तृ. वि., ए. 2.62.
व. - अभवेनस्स न नन्दति, भवेनस्स नन्दति, दी. नि. अभया' स्त्री., [अभया], हरे, हरीतकी - अभया तु हरीतकी. 3.143. अभि. प. 569.
अभस्सथ भिस्स से निष्पन्न, अद्य., प्र. पु.. ए. व., गिर पड़ा, अभया' स्त्री., एक थेरी (स्थविरा) का नाम, थेरीगा. की एक गिर गया - तस्स सोकपरेतस्स, वीणा कच्छा अभस्सथ, सु. गीति की रचना करने वाली कवयित्री का नाम, थेरीगा. नि. 451. 35-36.
अभाजनभूत त्रि., [अभाजनभूत], अयोग्य, पात्रताविहीन, अमयाचल पु., [अभयाचल]. एक पर्वत का नाम, अभयगिरि अक्षम, असमर्थ, अपात्र, नालायक, निकम्मा - तो पु., प्र. - ले सप्त. वि., ए. व. - महालेखं च कारेसि परिवेणं वि., ए. व. - अयं अभाजनभूतोति मुखबन्धमस्स अकासि, अभयाचले. चू. वं. 48.135.
सु. नि. अट्ट.2.232.
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