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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अभयप्पद 463 अभाजनभूत अभयप्पद त्रि., [अभयप्रद], उन्मुक्ति देने वाला, सुरक्षा अभयाभिसेक पु., [अभयाभिषेक], म. वं. के एक अध्याय प्रदान करने वाला, निर्भय भाव को देने वाला - दो पु., प्र.. का शीर्षक, म. वं. परिच्छेद 10. वि., ए. व... अनाथानं भवं नाथो, भीतानं अभयप्पदो, अप. अभयुत्तर पु., क. श्रीलंका के अभयगिरि में अवस्थित 2.147. एक मठ का नाम - रं द्वि. वि., ए. व. - अभयभीरुता स्त्री., भयभीरु के भाव. का निषे., भयों अनुसम्पवच्छर नेत्वा विहार अभयुत्तरं तेसं पूजाविधि से नहीं डरना, कायरता या डरपोकपन का अभाव कातुं एवंरूपं नियोजयि, म. वं. 37.97; धातुं विहारं - य तृ. वि., ए. व. - कुसलूपदेसे... अनिवत्तितत्ता अभयुत्तरमेव नेत्वा पूजं विधातुं अनुवच्छरमेवरूपं. दाठा. वं. भयभीरुताय च, जा. अट्ठ 1.449; अनिवत्तितत्ता 5.67; ख. एक महास्तूप का नाम - अभयुत्तरं महाथूपं भयभीरुताय चाति भयभीरुताय अनिवत्तितताय च, तदे. वड्डत्वा चिनापयि, म. वं. 35.119; ग. एक परिवेण (कक्ष, कुसलुपदेसे... अनिवत्तितत्ताभयभीरुताय च. ध. प. अट्ठ... कोठरी) का नाम - कप्पूरपरिवेणं सो कारेसि अभयुत्तरे चू. 2.329. वं. 45.29. अभयमाता स्त्री., अभयमातु थेरी-गाथा की रचयित्री एक अभयूपरत त्रि., [अभयोपरत], किसी भय के कारण वैराग्य थेरी, थेरीगा. 33-34. को ग्रहण न करने वाला, भयरहित होकर वैराग्य लेने वाला अभयराजव्ह त्रि., ब. स., विजयवाहु द्वारा निर्मित - तो पु.. प्र. वि., ए. व. - ततो न उत्तर समन्नेसति वनग्गामपासादमठ का अभयराज नामक एक परिवेण - व्हं अभयूपरतो... तमेनं समन्नेसमानो एवं जानाति- अभयूपरतो पु., द्वि. वि., ए. व. - राजा तत्थ वनग्गामपासादहविहारक अयमायस्मा, म. नि. 1,400; अभयूपरतोति अभयो हुत्वा ... कारेत्वा भयराजव्हं परिवेणं च तस्स सो... अदा, चू. वं. उपरतो, अच्चन्तूपरतो सततूपरतोति अत्थो, न वा भयेन 88.51-52. उपरतोतिपि अभयूपरतो, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2),279; सो अभयवापी स्त्री०, अनुराधपुर की एक बाबड़ी या सरोवर का हिसब्बसो समुच्छिन्नभयो, तस्मा अभयूपरतोति, पु. प. अट्ट. नाम, अनुराधपुर के विस्तृत आयताकार जलाशय का नाम - पिया ष. वि., ए. व. - यक्खं तु चित्तराजानं हेट्ठा अभयूवर त्रि., अदण्डनीय, अभय-प्राप्त - रा पु.. प्र. वि., ब. अभयवापिया, म. वं. 10.84; पादे पितलुपेत्वापि जले क. - अभयूवरा इमे समणा सक्यपुत्तिया, नयिमे लब्मा अभयवापिया, म. वं. 26.20. किञ्चि कातुं, महाव. 94; - भाणवार नपुं., महा. के एक अभयवास पु., निश्चिन्त भाव से निवास, शान्ति के साथ भाग का शीर्षक, महाव. 91-104. निवास, सुरक्षित निवास - मिगानं पन अभयवासत्थाय अभरित त्रि., [अभरित], नहीं भरा हुआ, भीड़-भाड़ से रहित दिन्नत्ता मिगदायोति वुच्चति, दी. नि. अट्ठ. 2.55. - तो पु., प्र. वि., ए. व. - अप्फुटो असम्फुटो अभरितो वा, अभयसञा स्त्री., किसी चीज को भयरहित मानना, भय से दी. नि. अट्ठ. 2.152. रहित होने की समझ - जाय तृ. वि., ए. व. - अभव पु.. [अभव], विपत्ति, विनाश, दुर्भाग्य, हानि, अवृद्धि - भयदस्सनेन सभयेसु अभयसआय, सु. नि. अट्ठ. 1.8. वो प्र. वि., ए. व. - भवो च रुओ अभवो च रुओ, दासाह अभयसुत्त नपुं.. म. नि. के एक सुत्त का शीर्षक, म. नि. देवस्स परम्पि गन्त्वा , जा. अट्ठ. 7.178; - वेन तृ. वि., ए. 2.62. व. - अभवेनस्स न नन्दति, भवेनस्स नन्दति, दी. नि. अभया' स्त्री., [अभया], हरे, हरीतकी - अभया तु हरीतकी. 3.143. अभि. प. 569. अभस्सथ भिस्स से निष्पन्न, अद्य., प्र. पु.. ए. व., गिर पड़ा, अभया' स्त्री., एक थेरी (स्थविरा) का नाम, थेरीगा. की एक गिर गया - तस्स सोकपरेतस्स, वीणा कच्छा अभस्सथ, सु. गीति की रचना करने वाली कवयित्री का नाम, थेरीगा. नि. 451. 35-36. अभाजनभूत त्रि., [अभाजनभूत], अयोग्य, पात्रताविहीन, अमयाचल पु., [अभयाचल]. एक पर्वत का नाम, अभयगिरि अक्षम, असमर्थ, अपात्र, नालायक, निकम्मा - तो पु., प्र. - ले सप्त. वि., ए. व. - महालेखं च कारेसि परिवेणं वि., ए. व. - अयं अभाजनभूतोति मुखबन्धमस्स अकासि, अभयाचले. चू. वं. 48.135. सु. नि. अट्ट.2.232. 36. For Private and Personal Use Only
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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