________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
अभिजप्पा
अभिजप्पा स्त्री. प्र. वि. ए. व. इच्छा, कामना, लालसा, अभिलाषा, आकांक्षा, तृष्णा अभिजप्पा खो मे उदपादि, म. नि. 3. 199; अभिजप्पाति देवलोकाभिमुखं... तण्हा उदपादि म. नि. अ. (उप.प.) 3.153 अभिजप्पा ति करित्या तत्थ लोको अभिलित्तो नाम भवति नेत्ति 13. अभिजप्पी त्रि, चाह कर रहा, आकांक्षी अभिलाषी - प्पिनं पु. ष. वि. ब. व. एतन्हि बनानं दुक्खं कामलाभाभिजप्पिनंं अ. नि. 2(2).67; कामलाभाभिजप्पिनन्ति कामलाभं पत्थेन्तानं, अ. नि. अट्ठ. 3.118.
अभिजवति अभि + √जू का वर्त. प्र. पु. ए. व. प्रसन्नता के साथ तीव्र गति से आगे की ओर बढ़ता है, वेग के साथ आगे को बढ़ता है न्ति ब. व. नाभिजवन्ति न ताणमुपेन्सि सु. नि. 673: नाभिजवन्तीति न सुमुखभावेन अभिमुखा जवन्ति सु. नि. अड. 2.181. अभिजात त्रि. अभि + √जन का भू. क. कृ. [अभिजात]. ऊंचे कुल में उत्पन्न, कुलीन तो पु. प्र. वि. ए. व. - बुधेभिजातो कुलजे, अभि. प. 1074; अभिजातोति अतिक्कमित्वा उपोसथकुले जातो, जा. अदु. 4.209 ता पु. ब. व. अभिजाता च कुञ्जरा जा. अट्ठ. 4. 208 - तं द्वि. वि. ए. व. खत्तियं जातिसम्पन्नंं अभिजातं यसस्सिन्ं स.नि. 1 ( 1 ) 85 ता स्त्री. प्र. वि. ए. व. खत्तियो च विदेहानं, अभिजाता समुद्दजाति, जा० अट्ठ. 7.7; - कुलकुलीन त्रि.. उच्चकुल वाले परिवार से सम्बद्ध उत्तम वंश में उत्पन्न स्स पु. ष. वि., ए. व. जो खतियस्स अभिजातकुलकुलीनरस... अभिशित्तरस मि. प. 323द्वान नपुं॰, जन्मस्थान, उद्भव स्थान ने सप्त. वि., ए. व. - अभिजातद्वाने किमिपरिगतोव हुत्वा अट्ठो अहितो, थेरीगा.
-
"
1
www.kobatirth.org
-
-
...
अट्ट. 293.
"
अभिजाति स्त्री. क. बुद्ध का जन्म श्रेष्ठ जन्मतिं द्वि. वि., ए. व. विसाखपुण्णमाय पच्चूससमये अभिजातं पापुणि, उदा. अह्न 118: तीन ष. वि. ब. व संगतिया धन्नं अभिजातीनं तं तं अभिजातिं उपगमनेन, जा. अह. 5.225 - क्खण पु., [क्षण], किसी के जन्म का क्षण अभिजातिक्खणे पनस्स पटिसन्धिग्गहणक्खणे... पातुरहेसुं उदा. अड. 119: ख प्राणियों की प्रजाति या जन्माधारित प्रभेद यो प्र. वि. ब. व. छळाभिजातियो दी. नि. 1.48; छळाभिजातियोति कण्हाभिजाति....इमा छ अभिजातियो वदति दी. नि. अड्ड. 1.134 तीसु सप्त. वि. ए. व. - छस्वेवाभिजातीसु सुखदुक्खं पटिसंवेदेति दी. नि. 1.47:
470
अभिजायति
वत्तितत्र प्रत्येक अभिजाति या प्रजाति विशेष में आचरण किया गया तं नपुं. द्वि. वि. ए. व. सब्बभवाभवगतीसु अभिजातिवत्तितमनुचरितं जानाति मि. प. 213 हेतु प. वि०, प्रतिरू, निपा०, किसी विशेष प्रजाति में जन्म ग्रहण करने के कारण से - सत्ता अभिजातिहेतु सुखदुक्खं पटिसंवेदेन्ति, म. नि. 3.8; केवल स. उ. प. के रूप में कण्हा.. नीला, परमसुक्का, लोहिन, सुक्का, हलिद्धा., के अन्त. द्रष्ट..
अमिजातिता स्त्री. अभिजाति का भाव [अभिजातित्व]. जन्म ग्रहण करना, उत्पन्न होना, उत्पत्तिभाव यतृ. वि. ए. व. सम्मासम्बुद्धस्स उरे वायामजनिताभिजातिताय ओरसपुत्ती, वि. व. अट्ठ. 182. अभिजातिपरिशुद्ध त्रि.. [अभिजातिपरिशुद्ध ]. स्वभाव से ही परिशुद्ध शुद्ध प्रकृति वाला द्धस्स पु. ष वि.. ए. व. जातिमन्तस्स अभिजातिपरिसुद्धस्स मज्जननिघसनपरिसोधनेन करणीयं न होति. मि. प. 203.
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
-
-
अभिजानन नपुं,, अभि + √ञा का क्रि० ना० [ अभिजानन ], अभिनिश्चयन निश्चयात्मक ज्ञान नाय च. वि., ए. व.
अभिज्ञायाति सब्बस्सापि अभिज्ञेय्यस्स अभिजाननाय उदा. अट्ठ. 184.
"
अभिजानाति अभि + √ञा का वर्त० प्र० पु०, ए. व. [ अभिजानाति), क अभिज्ञा नामक विशिष्ट आन्तरिक ज्ञान द्वारा जानता है, ज्ञात-परिज्ञा द्वारा धर्मो को अनित्य, दुख एवं अनात्म रूप में जानता है सो सब्बं धम्मं अभिजानाति, म. नि. 1.320, सोपि पथविं पथवितो अभिजानाति म. नि. 1.5; अभिजानातीति... अभिविसिद्धेन आणेन जानाति, म. नि. अट्ट. ( मू.प.) 1 (1) 46. अभिजानातीति अनिच्च दुक्ख अनत्ताति आतपरिञाय अभिजानाति, म. नि. अट्ठ० ( मू०प.) 1 (2) 194; ख. स्मरण करता है, ध्यान में किसी तथ्य के प्रति जागरुक या चैतन्य होता है नामि वर्त, उ. पु. ए. नाभिजानामि सङ्घप्पं अनरियं दोससंहितन्ति, थेरगा. 48: मेत्तञ्च अभिजानामि, अप्पमाणं सुभावितं, थेरगा. 647; अभिजानामीति अभिमुखतो जानामि थेरगा. अड. 2.204नासि म. पु. ए. व. अभिजानासि नो त्वं महाराज इमं पञ्हें अत्रे समणब्राह्मणे पुच्छिता' ति? दी. नि. 1.46. अभिजायति अभि + √जन का वर्त. प्र. पु. ए. व. [अभिजायति, अभि + जन का भा० वा०] हो जाता है, बन जाता है, (किसी विशेष) अभिजाति का हो जाता है यो ओगहणे थम्भोरिवाभिजायति, सु. नि. 216: एकच्चो सुक्काभिजातियो
व.
-
For Private and Personal Use Only
-