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अभिधम्मनय
अभिधम्मनय पु.. अभिधर्म की पद्धति येन तृ. वि. ए. व. अभिधम्मनयेन चत्तारो आसवा वेदितब्बार उदा. अड्ड. 142; - ये सप्त. वि., ए. व. अभिधम्मनये दुरासदे .....अभि. अव. 30; - ञ्ञत्रि, अभिधर्म की पद्धति का ज्ञाता - हं पु. प्र. वि. ए. व. अभिधम्मनयहं कथावत्युविसुखिया, अप. 1.34 समुह पु.. अभिधर्मनय का सागर, अभिधर्म की पद्धति का समुद्रदं द्वि. वि. ए. व. अभिधम्मनयसमुद्द अधिगछि ध. स. अड्ड. 82.
अभिधम्मनिद्देस पु. तत्पु, स. अभिधर्म की विस्तृत व्याख्या या विश्लेषण तो प. वि. ए. व.- सुत्तन्तपरियायतो
अभिधम्मनिद्देसतोति दुविध, विभ. अट्ठ. 7. अभिधम्मपद नपुं., अभिधर्म का शब्द या पद, अभिधर्म का उद्धरण दानि द्वि. वि. ब. व. आभिधम्मिको भण, तात् अभिधम्मपदानीति, मि. प. 15.
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अभिधम्मपरिचय पु. अभिधर्म-विषयक विचार-विमर्श, अभिधर्म का गम्भीर अनुचिन्तन रतनधरसताहे पन अभिधम्मपरिचयवसेनेव विहासीति, उदा. अड्ड. 42. अभिधम्मपरियाय पु., अभिधर्म की व्याख्या का विशिष्ट स्वरूप, अभिधम्म का विशिष्ट निर्वाचन प्रकार यो प्र. वि. ए. व. सुतन्तपरियायो च अभिधम्मपरियायो ध. दी. नि. अड. 3.157 यं द्वि. वि. ए. व. अभिधम्मपरियायं पत्वा कोसल्लसम्भूतनिहस्थ सुखविपाकट्टेन दी. नि. अड्ड. 3.60येन तृ. वि. ए. व. अभिधम्मपरियायेन अनिमित्तमग्गो नाम नत्थीति, ध. स. अट्ठ. 267. अभिधम्मपाळि स्त्री. अभिधम्मपिटक
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लियं सप्त. वि., व. अभिधम्मपाळियमेव वृत्तं तेवीसतिविधं रूपं, म. नि. अट्ठ. ( मू.प.) 1 ( 1 ) 231. अभिधम्मपिटक नपुं., बुद्धवचनों के तीन पिटकों में किए गए विभाजन में तीसरा ग्रन्थः इसमें सात ग्रन्थ समाहित हैं। जिनके नाम इस प्रकार है- धम्मसङ्गणि, विभङ्ग, धातुकथा, पुग्गलपञ्ञत्ति, कथावत्थु, यमक तथा पद्वान इसमें परमार्थ देशना (परमत्थदेसना) है के सप्त वि. ए. व. अभिधम्मपिटके अधिपञ्ञासिक्खा, दी. नि. अट्ठ. 1.20; - कं प्र. वि. ए. व. अन्तरधायति तदा पठमं अभिधम्मपिटकं नस्सति विभ अड. 407. अभिधम्मभाजनीय नपुं विभङ्ग में अध्यायों की विषयवस्तु के विवेचन के तीन प्रकारों में से एक, अभिधम्म या अभिधम्ममातिका के आधार पर धर्मों का विवेचन - इदानि अभिधम्मभाजनीयं होति, विभ. अट्ठ 33; तुल० सुत्तन्तभाजनीय एवं पञ्हापुच्छक.
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अभिधम्मिक
अभिधम्ममहण्णवपार नपुं. अभिधर्म के महान सागर का दूसरी ओर का तट, अभिधर्ममहार्णव का दूसरी ओर का तट रं द्वि. वि. ए. व. सो अभिधम्ममहण्णवपारं दुत्तरमुत्तरमुत्तरतेव, अभि. अव. 57. अभिधम्ममहापुर नपुं. अभिधर्म का महान् नगर रद्वि. कि. ए. द. भिक्खून पविसन्तानं, अभिधम्ममहापुरं अभि.
अव. 2.
अभिधम्ममहोदधि पु. [ अभिधर्ममहोदधि], अभिधर्म का महान् सागर, अभिधर्म का महार्णव, अभिधर्म का विराट समुद्र धिं द्वि. वि. ए. व. सुदुत्तरं... अभिधम्ममहोदधि, अभि.
अव. 2.
अभिधम्ममिस्सक त्रि., [ अभिधर्ममिश्रक], अभिधर्म से मिला हुआ, अभिधर्म से मिश्रित कं स्त्री. द्वि. वि. ए. व. अभिधम्मकथन्ति अभिधम्ममिस्सकं कथं अ. नि. अड्ड.
3.133.
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अभिधम्मविनयोगाळह त्रि. [ अभिधर्मविनया-वगाढ], अभिधर्म और विनय की गंभीरता में डूबा हुआ अभिधर्म एवं विनय के साथ सङ्गति रखने वाला / वाली - कहा स्त्री० प्र० वि. ए. व. अभिधम्मविनयोगाळ्हा, सुत्तजालसमतिता नागसेनकथा चित्रा, मि. प. 1.
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अभिधम्मसिङ्घाटक
अभिधम्मविरोध पु., अभिधर्म के साथ विरोध या असहमति धो प्र. वि., ए. व. सुत्तो परसति अभिधम्मविरोधो आपज्जति पारा. अट्ठ. 2.98. अभिधम्मसंयुक्त्त त्रि. [ अभिधर्मसंयुक्त] अभिधर्म के साथ जुड़ा हुआ, अभिधर्म के प्रतिपाद्यों से युक्त त्ताय तृ. वि. ए. व. - अभिधम्मसंयुत्ताय कथाय... मि. प. 57. अभिधम्मसिङ्गाटक त्रि. ब. स. [ अभिधर्मश्रृङ्गाटक]. अभिधर्म-रूपी चौराहा वाला सतिपट्टानवीथिक मि. प. 302. अभिधम्मावतार पु. बुद्धदत्त द्वारा विरचित अभिधर्म से सम्बद्ध एक संग्रह-ग्रन्थ रेन तू. कि. ए. व. अभिधम्मावतारेन, अभिधम्ममहोदधिं अभि. अव 17 टीका स्त्री०, क. वाचिस्सर महासामी के द्वारा विरचित पोराणटीका, ख. सुमङ्गल थेर द्वारा विरचित अभिनवटीका काय द्वि. वि., ब॰ व॰ अभिधमत्थसङ्गहाभिधम्मावतारभिनवटीकायो सुमंगलसामिधेरो, सा. व. 32 (ना.).
अभिधम्मिक त्रि. [ अभिधार्मिक ], अभिधर्म का अध्येता, अभिधर्म को पढ़ने वाला, आभिधर्मिक, अभिधर्म के गूढ़ रहस्यों को जानने वाला म्मिको पु०, प्र. वि., ए. व. विनयमधीते ति वेनयिको, विनयमधीते वा एवं सुत्तन्तिको
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