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अन्तोगेहगत
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अन्तोदोस सूचित करना, स्वामी अर्थ को अपने अन्तर्गत रखना की श्रेणियों में से एक, घर की दासी का पुत्र - एत्थ चत्तारो - अन्तगधसम्पदानत्थत्ता अन्तोगधसाम्यत्थत्ता पन ममको दासा- अन्तोजातो, धनक्कीतो, करमरानीतो, सामं दासव्यं इच्चेव पञत्ति वत्तब्बा सिया, सद्द. 1.294; - हेतुअत्थ त्रि., उपगतो ति, तत्थ अन्तोजातो नाम जातिदासो घरदासिया प्रेर. अर्थ को सूचित करने वाला या उसका सङ्केतक - पुत्तो, महाव. अट्ट, 268; अन्तोजातो धनक्कीतो दासब्योपगतो
ओभाससीति वा अन्तोगधहेतुअथवचनं ओभासेसीति अत्थो वि. सयं, अभि. प. 515; तत्थ दासाति अन्तोजातका वा व. अट्ठ. 10.
धनक्कीता वा ... दासब्यं उपगता, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.6. अन्तोगेहगत त्रि., तत्पु. स., घर के अन्दर लाया हुआ, घर अन्तोजालीकत त्रि., शा. अ. जाल के अन्दर फंसा कर के भीतर पहुंचा हुआ - ... कुमुदभण्डिका नाम धञजाति लाया हुआ, ला. अ. ठीक से समझा हुआ - अन्तोजालीकता मासलूना अन्तोगेहगता होति, मि. प. 270.
एते, तव आणम्हि चक्खुम, अप. 1.18; सब्बे ते इमेहेव अन्तोगेहप्पवेसन नपुं.. तत्पु. स., घर के भीतर में प्रवेश द्वासट्ठिया वत्थूहि अन्तोजालीकता, दी. नि. 1.40; करना या प्रवेश - अन्तोगेहपवेसनस्सेव हि अयं दोसो, ध. अन्तोजालीकताति इमस्स मयह देसनाजालस्स अन्तोयेव प. अट्ठ. 2.21.
कता, दी. नि. अट्ठ. 1.108. अन्तोगेहाभिमुख त्रि.. ब. स., घर के अन्दर की ओर अपना अन्तोठित त्रि., [अन्तःस्थित], अन्दर में स्थित, भीतर विद्यमान मुख किया हुआ व्यक्ति - तस्मिं खणे मट्ठकुण्डली - अन्तो ठितमनुस्सा वेगेन पलापेसुंध. प. अट्ठ. 1.112;
अन्तोगेहाभिमुख निपन्नो होति, ध. प. अट्ठ. 1.17. अन्तोठितानि उग्गन्त्वा पथवीतलमारुहुँ, म. वं. 11.8. अन्तोघर नपुं.. अव्ययी. स., घर का भीतरी भाग, भीतरी अन्तो-तापनकिलेस पु., कर्म. स., भीतर मन को जलाने प्रकोष्ठ - अन्तोघरे कुसूले च कोट्टोन्तो कुच्छियं प्यथ, अभि. वाले क्लेश - अन्तो तापनकिलेसानं अभावा सीतलो जातोति प. 862; आमन्तयि अनुलादेविं सह अन्तोघरे जने, दी. वं. सीतिभूतो, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.7. 12.82; - चारी त्रि., घर के अन्दर चलने-फिरने वाला, घर अन्तोतुदक त्रि., भीतर ही भीतर चुभने वाला या पीड़ादायक के साथ सम्बद्ध - राजा अन्तोघरचारिनो मणिं परियेसित्वा - अब्भन्तरमनुप्पविठ्ठद्वेन पन अन्तोतुदकद्वेन दुन्निहरणीयढेन देथा ति बन्धापेसि, स. नि. अट्ठ. 1.129; - जन पु., तत्पु. स., घरेलू लोग, घर के लोग - अथ देवेसु च मनुस्सेसु च अन्तोदाह पु. [अन्तर्दाह], मन के अन्दर जल रही आग की ... देवता ... समचिन्तेसु ... नाम घरसामिको अन्तोघरजनानं, जलन, शोक, द्वेष आदि की अग्नि का दाह - ... अन्तोसोको गामसामिको गामवासीनं, खु. पा. अट्ठ. 97.
अन्तोपरिसोको अन्तोदाहो अन्तोपरिदाहो चेतसो परिज्झायना अन्तोजटा त्रि., ब. स., आन्तरिक रूप में उलझनों से दोमनस्सं सोकसल्लं, महानि. 92; अन्तोदाहोति अब्भन्तरदाहो, उलझा हुआ, मानसिक जटिलता से पीड़ित - अन्तोजटा महानि. अट्ठ. 201. बहिजटा, जटाय जटिता पजा, स. नि. 1(1).15; 1(1).292; अन्तोदुस्सन नपुं., कर्म. स. [अन्तर्दूषण], आन्तरिक प्रदूषण, अन्तोजटाति गाथाय जटाति तण्हाय जालिनिया अधिवचनं, मानसिक अविशुद्धि - अन्तोदुस्सनटेन गण्डतो, अ. नि. स. नि. अट्ठ. 1.46.
अट्ठ. 3.276; अन्तोदोसडेन गण्डतो, म. नि. अट्ठ. (म.प.) अन्तोजन पु., तत्पु. स., घर के भीतर के लोग, अपने 2.105. परिवार के लोग - अन्तोजनस्स च अत्तनो च पक्कमत्तं अन्तोदेवता स्त्री., शा. अ. घर के भीतर के देवता, ला. सब् दापेसि, जा. अट्ठ. 4.162; ... गुत्तिं संविदहस्सु अ. सास, श्वसुर एवं पति - अन्तोदेवता नमस्सितब्बाति, अन्तोजनस्मि बलकायस्मिं खत्तियेस अनुयन्तेस ... ध. प. अट्ठ. 1.222; अन्तोदेवता नमस्सितब्बा ति इदम्पि मिगपक्खीसु. दी. नि. 3.44; इदानि यत्थ सा संविदहितब्बा, सस्सुञ्च ससुरञ्च सामिकञ्च देवता विय दव वट्टतीति तं दस्सेन्तो अन्तोजनस्मिन्तिआदिमाह, दी. नि. अट्ठ. 3.31; सन्धाय वुत्तं ध. प. अट्ठ. 1.226; अ. नि. अट्ट. 1.307. यो सो भत्तु अब्भन्तरो अन्तोजनो दासाति वा ..., अ. नि. अन्तोदोस पु., कर्म. स. [अन्तर्दोष], आन्तरिक प्रदूषण, 2(1).33.
मानसिक प्रदूषण - सो हि सब्बदारुणो ... अन्तोदोसो अन्तोजात/अन्तोजातक त्रि., [अन्तर्जात], स्वामी के घर अन्तोपब्बलोहितोव होति, स. नि. अट्ट, 1.44-45; भिन्देतं में ही उत्पन्न एक प्रकार का दास, दासों की 3 या 4 प्रकार अन्तोदोससल्लान्ति, मि. प. 295.
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