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अपरन्तकप्प
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अपरप्पच्चय
अन्तोगेहगता होति. मि. प. 270; सुरट्ठा अपरन्ता च, आगच्छन्ति अपरपच्चय अपरप्पच्चय के अन्त. द्रष्ट.. ममं घरं अप. 1.394.
__ अपरपजा स्त्री., कर्म. स. [अपरप्रजा], आगे जन्म लेने अपरन्तकप्प पु.. [अपरान्तकल्प], भावी जीवन के विषय में वाली सन्तानें, पौत्र, पौत्री आदि, भावी सन्ततिया, अगली कल्पना, जीवन के भविष्य से सम्बन्धित मत - तत्थ पीढ़ी - ..., अपरपजा चस्स पटिपूजेन्ति, दी. नि. 3.145; अनागतकोट्टाससडातं अपरन्तं कप्पेत्वा गण्हन्तीति अपरपजा चस्स पटिपूजेन्तीति सहायरस पुत्तधीतरो पजा अपरन्तकप्पिका, अपरन्तकप्पो वा एतेसं अत्थीति नाम, तेसं पन पुत्तधीतरो च नत्तुपनत्तका च अपरपजा नाम, अपरन्तकप्पिका, दी. नि. अट्ठ. 1.101.
दी. नि. अट्ठ. 3.125. अपरन्तकप्पिक त्रि., अपरन्तकप्प से व्यु. [अपरान्तकल्पिक, अपरपट्टिय अपरप्पट्टिय के अन्त. द्रष्ट.. भविष्य में जीवन की विद्यमानता का प्रतिपादन करने वाला, अपरपरियाय/अपरापरियाय पु., कर्म स., अपरापरिय या उनमें विश्वास रखने वाला - समणब्राह्मणा अपरन्तकप्पिका का अप॰ [अपरापर्य], जीवन की आगे चलने वाली यात्रा, अपरन्तानुदिहिनो, दी. नि. 1.26; तत्थ अनागतकोट्ठाससङ्घातं अगला जन्म, पुनर्जन्म - निरयम्पि गच्छतीतिआदि निरयादीहि अपरन्तं कप्पेत्वा गण्हन्तीति अपरन्तकप्पिका, अपरन्तकप्पो अविप्पमुत्तत्ता अपरपरियायवसेन तत्थ गमनं सन्धाय वुत्तं, वा एतेसं अत्थी ति अपरन्तकप्पिका, दी. नि. अट्ठ. 1.101. अ. नि. अट्ठ. 2.225; - वेदनीय त्रि., तत्पु. स. अपरन्तप त्रि., परन्तप का निषे. [अपरन्तप], दूसरों को [अपरापर्यवेदनीय], जन्मान्तरों में अनुभव किये जाने योग्य, कष्ट या पीड़ा न देने वाला - सो अनत्तन्तपो अपरन्तपो बारी-बारी से अनुभव किये जाने योग्य, एक एक कर दिद्वेव धम्मे निच्छातो निबुतो सीतीभूतो सुखप्पटिसंवेदी अनुभव किये जाने योग्य - उभिन्नमन्तरे पञ्चजवनचेतना ब्रह्मभूतेन अत्तना विहरति, दी. नि. 3.185; म. नि. 2.3; 81; अपरापरियवेदनीयकम्मं नाम होति, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 376-77.
2.242; दिद्वधम्मवेदनीयं उपपज्जवेदनीयं अपरपरियायवेदनीय, अपरन्तसहगत त्रि., तत्पु. स. [अपरान्तसहगत], भविष्य अ. नि. अट्ठ. 2.105; यं पन अपरपरियायवेदनीयं, तं या जीवन में आगे आने वाले भाग से सम्बन्धित - येपि ते, अञत्र अपरपरियाये वेदयितब्बफलं होति ... अत्थो, पे. व. चुन्द, अपरन्तसहगता दिद्विनिस्सया, ..., दी. नि. 3.102; अट्ठ. 209; - वेदनीयकम्म नपु., कर्म. स. इमेसञ्च, चुन्द, पुब्बन्तसहगतानं दिट्ठिनिस्सयानं इमेसञ्च [अपरापर्यवेदनीयकर्मन्], भावी जन्मों में अथवा क्रमशः अपरन्तसहगतानं दिविनिस्सयानं पहानाय ..., देसिता अनुभव किये जाने योग्य विपाक वाला कर्म - उभिन्न अन्तरे पञत्ता, दी. नि. 3.104-05.
पन पञ्चजवनचेतना अपरपरियायवेदनीयकम्मं नाम, अ. अपरन्तानुदिट्ठि' स्त्री., कर्म. स. [अपरान्तानुदृष्टि], भविष्य- नि. अट्ठ. 2.106; म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.242. विषयक, मिथ्या-दृष्टिकोण या मत, आगे आने वाले जीवन अपरपाद पु., केवल ब. व. में प्राप्त, पीछे वाले पैर - ततो के भाग से सम्बन्धित मिथ्या अवधारणा - अपरन्तं अनुगता अपरपादेसु, दळह, बन्धं लतागुणं, जा. अट्ठ. 3.330; दिट्टि अपरन्तानुदिति, ध. स. अट्ठ. 98; इमिना तत्थेव अपरपादेसूति पच्छापादेसु. तदे... आगता चतुचत्तालीस अपरन्तानुदिट्ठियो गहिता, ध. स. अपरप्पच्चय' त्रि., परपच्चय का निषे., ब. स. [अपरप्रत्यय], अट्ठ. 415; पुब्बन्तानुदिट्ठीनं असति, अपरन्तानुदिट्ठियो न दूसरों पर आश्रित या निर्भर न रहने वाला, आत्मनिर्भर, होन्ति, स. नि. 2(1).42; अपरन्तानुदिट्ठीनं असति, थामसो दूसरों पर श्रद्धा या भरोसा न रखने वाला - दिठ्ठधम्मा परामासो न होति, तदे...
... तिण्णविचिकिच्छा ... वेसारज्जप्पता अपरप्पच्चया अपरन्तानुदिट्ठिः त्रि., ब. स., भविष्य के जीवन के विषय सत्थुसासने भगवन्तं एतदवोचु, महाव. 16; नास्स परो में दृष्टिकोण रखने वाला या उस पर विश्वास रखने वाला पच्चयो, न परस्स सद्धाय एत्थ वत्ततीति अपरप्पच्चयो, दी. - ते च भोन्तो ... अपरन्तकप्पिका अपरन्तानुदिडिनो अपरन्तं नि. अट्ठ. 1.224; अपरप्पच्चयाति परप्पच्चयो खुच्चति परसद्धा
आरम्भ अनेकविहितानि... चतुचत्तारीसाय वत्थूहि, दी. नि. 1.26. परपत्तियायना, ताय विरहिताति अत्थो, अ. नि. अट्ठ. 3.100%; अपरन्तिका स्त्री., [अपरान्तिका], एक छन्द का नाम जिसके सच्छिकत्वाति अत्तनायेव पआय पच्चक्खं कत्वा, अपरप्पच्चयं प्रत्येक पाद में 12 वर्ण रहते हैं - अस्स या समकता अत्वाति अत्थो, सु. नि. अट्ठ. 1.124; म. नि. अट्ठ. (म.प.) परान्तिका, वुत्तो. 35.
2.76; यो सारो ब्रह्मचरियस्स, तस्मिं अपरपच्चया, स. नि.
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