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अप्पणिधान
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अप्पणिधान नपुं., पनिधान का निषे. [अप्रणिधान]. सुदृढ़ संकल्प का अभाव, दृढ़ इच्छाशक्ति का अभाव - चेतसो अप्पणिधानपच्चया न तदभिनन्दति, महानि. 156; अप्पणिधानपच्चयाति न पत्थनाठपनकारणेन, महानि. अट्ठ. 256. अप्पणिहित त्रि., पणिहित का निषे., प्रायः सुझत एवं अनिमित्त के साथ प्रयुक्त [अप्रणिहित], शा. अ. प्रणिधान या सुदृढ़ संकल्प से रहित, किसी सुनिश्चित उद्देश्य से रहित, ला. अ. किसी विशेष इच्छा को मन में रखकर नहीं की गयी (समाधि), इच्छामुक्त चित्त द्वारा की गयी समाधि, प्रणिधियों एवं राग आदि से मुक्त (चित्त की समाधि), इच्छाओं से मुक्त (निर्वाण), - तो पु., प्र. वि., ए. व. - सुञतो समाधि, अनिमित्तो समाधि, अप्पणिहितो समाधि - अयं वुच्चति ..., स. नि. 2(2).335; सुञतो ...., अनिमित्तो ..., अप्पणिहितो समाधि, दी. नि. 3.175%3; मि. प. 306; रागपणिधिआदीनं अभावा अप्पणिहितोति अयं सगुणतो कथा, दी. नि. अट्ठ. 169; ... सब्बपणिधीहि अप्पणिहितो होति निरोधगोचरो, पटि. म. 280; - ता स्त्री., प्र. वि., ए. व. - अयं विपस्सना अप्पणिहिता नाम होति.. ध. स. अट्ठ. 265; - तं नपुं., द्वि. वि., ए. व. - ... पठम झानं उपसम्पज्ज विहरति अप्पणिहितं, ध. स. 351; 507; - हितेन नपुं, तृ. वि., ए. व. - तत्थ कामयोगो ... अप्पणिहितेन विमोक्खमुखेन पहानं गच्छन्ति, नेत्ति. 97; ध. स. 352-356; सुञतञ्चानिमित्तञ्च, विमोक्खञ्चाप्पणिहितं. मि. प. 385; - पटिपदा स्त्री., तत्पु. स. [अप्रणिहितप्रतिपत्], 1. इच्छामुक्त निर्वाण की अवस्था तक पहुंचाने । वाला मार्ग - इतो परं ... सुद्धिकअप्पणिहिता अप्पणिहितपटिपदाति अयं देसनाभेदो होति, ध. स. अट्ठ. 264; 2. ध. स. की मातिका संख्या 523-527 का शीर्षक, ध. स. (पृ.) 133-135 ; - फलसमापत्ति स्त्री., तत्पु. स., इच्छामुक्त निर्वाण के फल की प्राप्ति - सेय्यत्थीदं ... सुञतफल समापत्ति अनिमित्तफल समापत्ति अप्पणिहितफलसमापत्ति, मि. प. 303; - मूलकपटिपदा स्त्री., ध, स. 352-356 का शीर्षक, ध, स. (पृ.) 94-95; - विमुत्त त्रि., अप्रणिहित समाधि द्वारा विमुक्त व्यक्ति, - त्तेन तृ. वि., ए. व. - असेक्खभागियं ... सद्धाविमुत्तेन, ..., सुञतविमुत्तेन, अनिमित्तविमुत्तेन, अप्पणिहितविमुत्तेन, ... चाति, नेत्ति. 162; - विमोक्ख पु., [अप्रणिहितविमोक्ष], अप्रणिहित समाधि द्वारा प्राप्त मुक्ति, इच्छा रहित चित्त वाली
अप्पटिक्ख निर्वाण की अवस्था, - क्खो प्र. वि., ए. व. - सुञतो अनिमित्तो चाति एत्थ अप्पणिहितविमोक्खोपि गहितोयेव, ध. प. अट्ठ. 1.344; - स्स ष. वि., ए. व. - अप्पणिहितविमोक्खस्स वसेन कायसक्खी, पटि. म. 246; - विमोक्खपटिपक्ख पु., तत्पु. स. [अप्रणिहितविमोक्षप्रतिपक्ष], अप्रणिहित निर्वाण का विरोधी- अप्पणिहितविमोक्खपटिपक्खो हि कामासवो, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).73; - विमोक्खमुख नपुं.. तत्पु. स. [अप्रणिहितविमोक्षमुख], अप्रणिहित निर्वाण के मार्ग का प्रारम्भिक चरण - ..., अप्पणिहितविमोक्खमुखं सीलक्खन्धो, नेत्ति. 75%; - तानु पस्सना स्त्री., तत्पु. स. [अप्रणिहितानुपश्यना], धर्मों में अनित्यता की अनुपश्यना के उपरान्त सुख की इच्छा से मुक्त दुःख की अनुपश्यना - .... अप्पणिहितानुपस्सना अभिजेय्या. पटि. म. 19; अप्पणिहितानुपस्सनाति अनिच्चानुपस्सनानन्तरं पवत्ता दुक्खानुपस्सनाव सुखपत्थनापजहनवसेन पणिधिअभावा
अप्पणिहितानुपस्सना नाम होति, पटि. म. अट्ठ. 1.89. अप्पतर त्रि०, अप्प से व्यु., तुल. विशे. [अल्पतर]. और भी अधिक कम, अपेक्षाकृत कम, और भी अधिक कम संख्या वाला, और भी अधिक छोटा, - रं नपुं., प्र. वि., ए. व. - यस्स रत्या विवसाने, आयु अप्पतरं सिया, जा. अट्ठ. 6.32; यस्स मातुकुच्छिम्हि ... रत्तिदिवातिक्कमेन अप्पतरं आयु होति, जा. अट्ठ. 6.33; - रेन पु./नपुं., तृ. वि., ए. व. - अप्पेव नाम भगवा अवन्तिदक्षिणापथे अप्पतरेन गणेन उपसम्पदं अनुजानेय्य, महाव. 269; - रे पु., सप्त. वि., ए. व. - एवं सत्तन्नं ... ततो अप्पतरेपि काले दस्सेन्तो तिद्वन्तु, भिक्खवेतिआदिमाह, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).311; - रानि नपुं॰, प्र. वि., ब. व. - ... पुब्बे अप्पतरानि चेव सिक्खापदानि अहेसुं बहुतरा च भिक्खु अञआय सण्ठहिंसु. म. नि. 2.117. अप्पता स्त्री., अप्प का भाव॰ [अल्पता], (कमी) न्यूनता, हलकापन - सो यमत्थं भञ्जति तस्स अप्पताय अप्पसावज्जो ध. स. अट्ठ. 144. अप्पटिक्ख त्रि., [अप्रतीक्ष्य], शा. अ. वह, जिसकी प्रतीक्षा न की जा सके, ला. अ. सम्मान न पाने योग्य, बुरे कर्म करने वाला - स वे तादिसको भिक्खु, अप्पटिक्खोति वुच्चति, परि. 313; ... लद्धपक्खो , ... अहिरिको, ... कण्हकम्मो, ... अनादरो, स वे तादिसको भिक्ख अपटिक्खोति वृच्चति न पटिक्खितब्बो न ओलोकेतब्बो, न सम्मन्नित्वा इस्सरियाधिपच्चजेडकडाने ठपेतब्बोति अत्थो, परि. अट्ठ. 212.
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