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अन्ध
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अन्धकार अन्धवेणूपमतं सद्दमत्तेनेव तानि गहेत्वा ..., अ. नि. अट्ठ. नि. अट्ट, 20; तत्थ अन्धकाति काळमक्खिकानं अधिवचनं. 2.155; - वेस पु., तत्पु. स. [अन्धवेश], अन्धे मनुष्य की पिङ्गलमक्खिकानन्ति एक, सु. नि. अट्ठ. 1.28. वेशभूषा, अन्धे मनुष्य का रूप- ... वधभयेन अन्धवेसं गहेत्वा अन्धविन्द पु., व्य. सं., मगध-क्षेत्र के एक प्राचीन नगर या पण्णसालं अगमासि, जा. अट्ठ, 3.370.
ग्राम का नाम - तेन ... महाकस्सपो अन्धकविन्दा राजगह अन्ध' पु., ए. व. एवं ब. व. में प्राप्त, व्य. सं. [अन्ध्र/ उपोसथं आगच्छन्तो ... वूळ्हो अहोसि, महाव. 137; तेन
आन्ध्र], आधुनिक आन्ध्र प्रदेश, उस प्रदेश के निवासी तथा .... वेलट्ठो कच्चानो राजगहा अन्धकविन्दं अद्धानमग्गप्पटिपन्नो वहां की भाषा - मिलक्खकं नाम यो कोचि अनरियको होति, महाव. 300; भगवता अन्धकविन्दे दसानिसंसे अन्धदमिलादि, पारा. अट्ठ. 1.203; -किय त्रि., आन्ध्र क्षेत्र सम्परसमानेन यागु अनुञआता, तदे. 384; - ब्राह्मण पु.. में नियुक्त या उस क्षेत्र से सम्बन्धित व्यक्ति - अन्धे नियुत्तो अन्धकविन्द नामक गांव का ब्राह्मण - सकटसतेहि ... अन्धकियो, क. व्या. 335; - भासा/कभासा स्त्री., तत्पु. ओकासं ... गावुतप्पमाणेपि ... अनुबन्धन्ति च स. [आन्ध्रभाषा], आन्ध्र जनपद की भाषा, तमिल भाषा/तेलुगु अन्धकविन्दब्राह्मणादयो विय, उदा. अट्ठ. 88; - वग्ग पु., भाषा - ये अन्धकभासादीसु अञ्जतराय, तेसं ताय ताय अ. नि. 2(1) के पञ्चकनिपात के एक वग्ग का नाम, अ. भासाय, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).147; - रट्ठ/करट्ठ नि. 2(1).128-133; - सुत्त नपुं. स. नि. 1(1) के सगाथवग्ग नपुं.. कर्म. स. [आन्ध्रराष्ट्र], आधुनिक काल का आन्ध्र के अर्न्तगत ब्रह्मसंयुत्त के दूसरे वग्ग के तीसरे सुत्त का राज्य - महिंसकमण्डलं अन्धरठ्ठन्ति वदन्ति, वजिर. टी. 25. शीर्षक, स. नि. 1(1).181-2. अन्धक पु., [आन्ध्रक], क. आन्ध्र प्रदेश का निवासी - माता अन्धकवेण्ड पु., व्य. सं. [अन्धकवृष्णि], देवगब्मा के एक दमिळी, पिता अन्धको, ... सचे पितुकप्पं पठमं सुणाति, सेवक का नाम, जो नन्दिगोपा का पति था - नन्दिगोपा अन्धकभासं भासिस्सति, विभ. अट्ठ366; अन्धका मुण्डका __... परिचारिका अहोसि, अन्धकवेण्डो नाम दासो तस्सा सब्बे, कोटला हनुविन्दका, अप. 1.394; ख. बौद्ध धर्म की सामिको आरक्खमकासि, जा. अट्ट, 4.71; कण्हदीपायनासज्ज, अट्ठारह शाखाओं या निकायों में से एक - अन्धका नाम इसिं अन्धकवेण्डयो, जा. अट्ठ. 5.259; - दासपुत्त पु., पुब्बसेलिया, अपरसेलिया, राजगिरिया, सद्धत्थिकाति इमे तत्पु. स., देवगमा के वे दस पुत्र, जिनका पालन पच्छा उप्पन्ननिकाया, कथा. अट्ठ. 153; सब्बे धम्मा अन्धकवेण्ड तथा उसकी भार्या नन्दिगोपा ने किया था - सतिपट्टाना ति लद्धि, सेय्यथापि एतरहि अन्धकानं, तदे; - मनुस्सा सन्निपतित्वा अन्धकवेण्डदासपुत्ता दस भातिका रष्टुं कट्ठकथा स्त्री., तत्पु. स., बौद्धधर्म की अन्धक शाखा के विलुम्पन्तीति राजङ्गे उपक्कोसिसु, जा. अट्ठ. 4.73; - पुत्त विनय पर लिखी गयी एक प्राचीन अट्ठकथा, जो वर्तमान में पु., तत्पु. स., उपरिवत् - यं वे पित्वा अन्धकवेण्डपुत्ता अप्राप्त है - अन्धकट्ठकथायं पन परतीरतो नदि ओतरित्वा समुद्दतीरे परिचारयन्ता, जा. अट्ठ. 5.17; अन्धकवेण्डपुत्ताति दस्सनुपचारतो दारुनि, पण्णनित्वा मग्गित्वा आनेति, अनापत्ति, दस भातिकराजानो, जा. अट्ठ. 5.18. वजिर. टी. 327; - कट्ठकथापाठ पु.. तत्पु. स., अन्धक- अन्धकार' पु./नपुं.. [अन्धकार], अंधेरा, अन्धापन - शाखा की प्राचीन अट्ठकथा में प्राप्त पाठ - अन्धकारो तमो नित्थि तिमिसं तिमिरं मतं, अभि. प. 70; तेन विकालगामप्पवेसनसिक्खापदेपि कत्थचि उपचार समयने होति अन्धकारो अन्धकारतिमिसा, दी. नि. 3.63-643; अतिक्कमन्तस्सा ति पाठो दिस्सतीति, सो अन्धकारोति तमो, दी. नि. अट्ठ. 3.44: अन्धकारा विधसिता. अन्धकट्ठकथापाठतो गहितोति आचरियो, वजिर. टी. 326; - अप. 1.90; ..., अन्धकार व खायति, थेरगा. 1037; भाषा स्त्री., तत्पु. स., आन्ध्र प्रदेश की भाषा - अन्धकभासं अन्धकारेन ओनद्धा, तण्हादासा सनेत्तिका, चूळव. 465%; भासिस्सति, विभ. अट्ठ. 366; - रट्ठ नपुं., कर्म स... पुरिसो अन्धकारा वा अन्धकारं गच्छेय्य, स. नि. 1(1).112; वर्तमानकालीन आन्ध्र प्रदेश, अन्य प्राचीननाम अहिंसक एतम्हा अन्धकारा अओ अन्धकारो महन्ततरो च भयानकतरो मण्डल या महीशासक मण्डल भी - महिंसकमण्डलं नाम चाति, स. नि. 3(2).515; अन्धकारे वा तेलपज्जोतं धारेय्य,
अन्धकरटुं यं यक्खपुररलृ ति वच्चति, सा. वं. 11(ना.). पारा. 6; अन्धकारेति काळपक्खचातुइसी अवरत्त-घनवनसण्डअन्धकमकस पु. , द्व. स., काली मक्खियां एवं मच्छर - मेघपटलेहि चतुरङ्गे तमासि, पारा. अट्ठ. 129. अन्धकमकसा न विज्जरे, कच्छे रुळहतिणे चरन्ति गावो, सु. अन्धकार त्रि., अंधीभूत, धुंधला, अस्पष्ट, अंधा, अज्ञानी,
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