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अन्तीयति
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अन्तेपुरिका में आपतित - ... अताणा असरणा असरणीभूता अनप्पसोकातुरा अन्तुरेळि पु.. व्य. सं., श्रीलङ्का के एक प्राचीनकालीन ग्राम अन्तिमपच्छिमगतिका एकन्तसोकपरायणा .... मि. प. 149; का नाम - अन्धकार अन्तुरेळि बालवं द्वारनायक, चूवं. 46.13. - पुरिस पु., कर्मस. [अन्तिमपुरुष], क, कुल का अन्ते अ., क्रि. वि. [अन्ते], पास में, समीप में, प्रायः स. उ. अन्तिम व्यक्ति, ख, सबसे घटिया या अधम मनुष्य - ... मा प. में पू. प. के रूप में प्राप्त - एत्थ अन्ते वसतीति खो मे त्वं अन्तिमपुरिसो अहोसि, म. नि. 2.273; तस्सायं अन्तेवासी, दी. नि. अट्ट, 1.36; सो गेहं पविसित्वा अन्तोउम्मारे अनुत्तानपदत्थो ... पुरिसन्त अन्तिमपुरिस .... सु. नि. अट्ट. ठत्वा दोवारिक पक्को सापेत्वा, ..... जा. अट्ठ. 1.335; 2.180; - भव पु., कर्म. स. [अन्तिमभव], अन्तिम जन्म - पाठा. अन्तो. सोयं अन्तिमभवो अनुप्पत्तो परिपक्कं बोधिजाणं छहि वस्सेहि अन्तेपुर/अन्तोपुर नपुं.. [अन्तःपुर], शा. अ. नगर का बुद्धो ... अग्गपुग्गलो, मि. प. 266; - वत्थु नपुं.. कर्म भीतरी भाग, भीतरी नगर, ला. अ. क. राजकीय प्रासाद, स. [अन्तिमवस्तु], शा. अ. अन्तिम मामला, ला. अ.. शाही महल - सो साकियानं विपुलं जनेत्वा पीति, अन्तेपुरम्हा गम्भीरतम अपराध, पाराजिक आपत्ति - अन्तिमवत्थं निग्गमा ब्रह्मचारी, सु. नि. 700; ओ अन्तेपुरे आसिं. अज्झापन्नको पटिजानाति, महाव. 151; अन्तिमवत्थुना आसि । गोपको अभिसम्मतो, अप. 1.185; सारथि विपस्सिस्स कुमारस्स भूतत्था सङ्घमज्झगा, म. वं. 37.38; सङ्गमज्झगा ति पटिस्सुत्वा ततोव अन्तेपुरं पच्चनिय्यासि, दी. नि. 2.20; पाराजिकावत्थुवीतिक्कमवसेन भूतत्था सच्चत्था अन्तिमवत्थुना कासाविया यन्तु अन्तेपुरन्तं, जा. अट्ठ. 4.404; ख. प्रासाद चोदना विनिच्छय करणत्थाय सङ्घमज्झंगता आसि अहोसीति का वह भाग, जहां रानियां रहती हैं, रनिवास - इत्थागारंतु अत्थो, म. वं. टी. 641(ना.); - समुस्सय पु., कर्म. स., ओरोधो सुद्धन्तोन्तेपुरं पि च, अभि. प. 215; बहिपि अन्तेपुरे अन्तिम संग्रह या सञ्चय, अन्तिम देह - रक्खा सुसंविहिता अहोसि. उदा. 90; अन्तेपुरेति इत्थागारस्स अन्तिमसमुस्सयमत्तावसेसं दुक्खं अकासीति वुत्तं होति. सञ्चरणद्वानभूते राजगेहस्स अब्भन्तरे यत्थ राजा म. नि. अट्ट (मू.प.) 1(1).94; - सरीरधारिता स्त्री... न्हानभोजनसयनादि करोति, उदा. अट्ठ. 150; ग. राजा की तत्पु. स., शरीर को अन्तिम बार धारण करना - रानियां, रानियों का समूह - तत्थ महाजने आगते राजापि ..... तेन संसारकारणसमुच्छेदो अन्तिमसरीरधारिता, अगमासि सद्धि अन्तेपुरेन सु. नि. अट्ठ. 1.57; - कथा
आणदस्सिताय सब्बगुणसम्भवो, सु. नि. अट्ठ. 2.124; - स्त्री., विन. वि. के एक खण्ड का शीर्षक, विन. वि. सारीर त्रि., ब. स., अपने अन्तिम शरीर को धारण करने 1177-1183; - जन पु. तत्पु. स. [अन्तःपुरजन]. राजा के वाला - स वे अन्तिमसारीरो, ध. प. 352; स वे महल में रहने वाले लोग - अत्थस्स छत्तचामरादिहत्थो अन्तिमसारीरोति एस कोटियं ठितसरीरो, ध. प. अट्ठ. परिजनो चेव अन्तेपुरजनो च ततो नानाकारक .... दी. 2.320; - सेय्या स्त्री, कर्म, स. [अन्तिमशय्या], अन्तिम नि. अट्ट. 2.190; - द्वार नपुं, तत्पु. स. [अन्तःपुरद्वार]. शय्या, मृत्यु की शय्या - यदा अन्तिमसेय्याय राजा के महल का द्वार, अन्तःपुर का द्वार - राजा पसेनदि जरारोगाभिपीळितो, सद्धम्मो. 278; - मण्डल नपुं.. कर्म. स. .... निक्खमित्वा अन्तेपुरद्वारा पठमं स्थविनीतं अभिरुहेय्य, [अन्तिममण्डल], सबसे अन्दर वाला मण्डल, सबसे छोटा म. नि. 1.2063; - पालक पु., तत्पु. स. [अन्तःपुरपालक]. मण्डल या क्षेत्र, अनेक क्षेत्रों के मध्य में अवस्थित सभी के राजा के अन्तःपुर का रक्षक, राजप्रासाद का रक्षक - सो भीतर का क्षेत्र - जनपदचारिकं चरन्ता च महामण्डल सपिवारो ... नागदन्तकेसु ओलग्गिते अन्तेपुरपालके च मज्झिमण्डल अन्तिममण्डल इमेसं तिण्णं मण्डलान .... भाजनानि भिन्दित्वा ... रतनघरद्वारानि..... जा. अट्ठ. अञ्जतरस्मि मण्डले चरन्ति, पारा. अट्ठ. 1.150; तत्थ 6.286; - प्पवेसन नपुं., तत्पु. स., राजप्रासाद या अन्तःपुर अन्तिममण्डलन्ति, खुद्दकमण्डलं. इतरेसं वा मण्डलानं में प्रवेश - अपिच अन्तेपुरप्पवेसने वृत्तादीनववसेनपेत्थ अत्थो अन्तोगधत्ता अन्तिममण्डलं, अब्भन्तरिममण्डलन्ति वुत्तं होति, वेदितब्बो, जा. अट्ठ, 4.200; - सिक्खापद नपुं., तत्पु. स., सारत्थ. टी. 1.396.
क. अन्तःपुर से सम्बन्धित विनय शिक्षापद, ख. पाचि. के अन्तीयति ।अन्त के कर्म. वा. का वर्त, प्र. पु., ए. व., वें वर्ग के पहले सुत्त का शीर्षक, पाचि. 209-213. बांधा जाता है - अन्तीयति बन्धीयति अन्तगुणेना ति अन्तं अन्तेपुरिका स्त्री., अन्तेपुर से व्यु. [अन्तःपुरिका]. राजा के सद्द. 2.360.
रनिवास में रहने वाली नारी- ततो सोळससहस्सा अन्तेपुरिका
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