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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अन्तरेन बीच रास्ते पर मार्ग के ख. अन्तरा के आशय में मध्य में - तस्मि अत्थते थेरो इदं कूटागारं अन्तरे अप्पतिट्ठहित्वा रञ्ञा दिट्ठकालेयेव ... परिनिब्बायि, अ० नि० अड्ड. 2.131... पुरे वा पच्छा वा अन्तरे वा अनन्तरे वा धनं देति, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.11; ग. ष. वि. में अन्त होने वाले पद के साथ प्रयुक्त, दो या अनेकों, मध्य में बीचो-बीच हिन्नं पन नगरानं अन्तरे उभयनगरवासीनम्पि लुम्बिनीवनं नाम मङ्गलसालवनं अतिथ जा. अट्ठ. 1.63; सावत्थिया च जेतवनस्स च अन्तरे सकटानि मोचयिंसु ध. प. अड. 141. एकसट्टिया अरहन्तानं अन्तरे पञ्चवग्गियाने अब्भन्तरो अगतो. ध. प. अड. 1.53: अम्हाकं पनन्तरे राजा नाम नत्थि ... जा. अट्ठ. 2.291 घ. साथ में विषय में बारे में - किर मम अन्तरे एवं वुत्तन्ति, ध. प. अट्ठ. 2.238; अहिंसकमानवो तुम्हाकं अन्तरे दुमतीति मज्ञमाति म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.235. तया ... 336 अन्तरेन अ., अन्तर से व्यु. तृ. वि. प्रतिरू, निपा., क्रि.वि. [ अन्तरेण]. क. बीच से होकर मध्य में, बीच में, कालावधि में अन्तरेन हत्थं पवेसेत्वा, म. नि. अट्ठ. 3.495 (सिआमी सं.): ख, द्वि. वि. में अन्त होने वाले पद के साथ, बीच में, मध्य में - चुतूपपाते असति नेविध न हुरं न उभयमन्तरेन, स. नि. 2 ( 2 ) . 65; ये पन उभयमन्तरेना ति वचनं गर्हत्वा अन्तराभव इच्छन्ति, ते सं... स. नि. अड्ड. 3.19; ग. ष. वि. में अन्त होने वाले पद के साथ, बीच में मध्य में सत्तन्नं त्वेव कायानमन्तरेन सत्यं विवरमनुपततीति दी. नि. 1.50 -- अन्तरेन यमकसालानं उत्तरसीसकं मञ्चकं पञ्ञपेहि दी. नि. 2.104; समतित्तिको तेलपत्तो अन्तरेन च महाजनकायस्स.... जा. अट्ठ. 1.376; घ. प. वि. में अन्त होने वाले पदों के साथ प्रयुक्त होने पर बिना या वर्जन के अर्थ वाला निपा, अन्तरेन परोपदेसा सामं येव सच्चानि अभिसम्भूज्झि इच्च एवमादि, सद. 3.733: तु विना नाना अन्तरेन रितेपृथु अभि. प. 1137. अन्तलिक्ख नपुं [अन्तरिक्ष ] आकाश एवं पृथ्वी के बीच वाला प्रदेश, वायुमण्डल, वातावरण, आकाश, नभमण्डल अन्तलिक्खं खमादिव्यपथों मं गगनाम्बरं अभि. प. 45: आकासो अम्बर अब्भं अन्तलिक्खं अयं नभः सह 2.442: सूरियोव ओभासयमन्तलिक्खन्ति उदा. 71; सूरियो अब्भुग्गतो अत्तनो पभाय अन्तलिक्खं ओभासेन्तोव अन्धकार विधमेन्तोतिद्वति, उदा. अ. 41: यानीध भूतानि 0, यथा अन्तवण्ण समागतानि भुम्मानि वा यानि च अन्तलिक्खे, सु. नि. 224 गत्रि [ अन्तरिक्षग], अन्तरिक्ष में गमन करने वाला, आकाशमार्ग पर चलने वाला - तमोनुदा ते पन अन्तलिकखगा, अ. नि. 1 ( 1 ) 244 अन्तलिक्खगाति आकासङ्गमा, अ. नि. अट्ठ. 2.193 - चर त्रि., [अन्तरिक्षचर] आकाशमार्ग पर विचरण करने वाला - अन्तलिक्खचरो आसिं, चक्कवत्ती महब्बलो, बु. वं. 14.11; अन्तलिक्खचरोति चक्करतनं पुरखत्या आकासचरो, बु. वं. अड्ड. 235 अन्तलिक्खचरो पासो खायं चरति मानसो ति ध. स. अट्ट. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 185; - भवन नपुं, तत्पु. स. [अन्तरिक्षभवन ], आकाश में स्थित भवन नान्तलिक्खभवनेन नाङ्गपुत्तपिनेन वा जा. अट्ठ. 3.191. अन्तलिक्खेचरत्रि अन्तलिक्खचर का अप. [अन्तरिक्षचर] अन्तरिक्ष या आकाश में विचरण करने वाला मनोमया पीतिभक्खा सयंपभा अन्तलिक्खेचरा सुभट्ठायिनो चिरं दीघमद्धानं तिद्वन्ति, अ. नि. 3 ( 2 ) .50. अन्तलुत्ति स्त्री, तत्पु, स. [अन्तलुप्ति ], अन्तिम वर्ण का लोप दिसा स्वानश्वान्तलुति च सह 3.857. अन्तलोप पु०, तत्पु॰ स॰ [अन्तलोप], अन्तिम वर्ण (स्वर या व्यञ्जन) का लोप दिसा स्वानस्वान्तलोपो च. क. व्या. 601. अन्तवन्तु त्रि, अन्त से व्यु [ अन्तवत् ], वह, जिसका अन्त या विनाश अवश्य होता है, परिसीमित, वह जिसका कोई न कोई छोर या किनारा रहता है, सुनिश्चित प्रमाण वाला, असर्वगत अन्तवा अयं लोको परिवटुमो दी. नि. 1.19 अन्तवा अत्ता होति, दी० नि० 1.26; अन्तवा लोको, इदमेव सच्चं मोघमञ्ञन्ति, उदा. 145 अन्तवाति सपरियन्तो परिवटुमो परिच्छिन्नपमाणो न सब्बगतोति अत्थो, उदा. अट्ठ. 277. अन्तवग्ग पु. स. नि. के खन्धसंयुक्त्त के 11वें वग्ग का नाम, स. नि. 2 (1).141-42. अन्तवट्टि स्त्री. कर्म. स. उदर के भीतर विद्यमान आंत या अंतड़ी एकवीसतिया ठानेसु ओभग्गा अन्तवट्टि, विभ. 31. 229; अन्तवद्दीहि रुक्खं परिक्खिपित्वा लोहितपञ्चकुलिकानि करोम जा. अनु. 3.138. अन्तवण्ण पु. ब. स. [अन्त्यवर्ण] सबसे अधम जाति में उत्पन्न मनुष्य, अन्तिम वर्ण में जन्म ग्रहण करने वाला व्यक्ति सुद्दोन्तवण्णो वसलो ककिष्ण मागधादयो, अभि. प. 503. ... For Private and Personal Use Only
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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