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अन्तरं
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अन्तरङ्ग
अन्तरं अ., क्रि. वि., अन्तर/अन्तरा से व्यु. [अन्तरं]. शा. अ. बीच में, मध्य में - अहं खलु महाराज, नागराजारिवन्तरं जा. अट्ठ. 5.346; तत्थ नागराजारिवन्तरन्ति पेळाय अभन्तरं पविट्ठो नागराजा विय, जा. अट्ठ. 5.347; ला. अ. (क) कर के क्रि. रू. के साथ (मुहावरे के रूप में) अतिक्रमण (करना), पार करना - .... इमे इमं सीमं अन्तरं कत्वा वसन्ता पस्सन्तु, ..., जा. अट्ठ. 2.178; ... दस द्वे योजनानि अन्तरं कत्वा अहु, पे. व. अट्ठ. 122; (ख). अन्दर या मन के भीतर (करना), अन्दर या मन की एकाग्रता का आलम्बन (बनाना) - सो कामरागयेव अन्तरं करित्वा झायति पज्झायति निज्झायति अपज्झायति, म. नि. 3.62; ततो एक .... आचरियस्स अन्तरं कत्वा नं भिन्दिस्सामा ति तयो ...
वन्दित्वा अट्ठसु. म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.235. अन्तरंस नपुं.. [अन्तरांस], दो कन्धों के बीच वाला प्रदेश अर्थात वक्षस्थल या सीना - चितन्तरंसोति अन्तरंसं वच्चति द्विन्नं कोट्टानं अन्तरं तं चितं परिपुण्णं अन्तरंसं अस्साति चितन्तरंसो, दी. नि. अट्ठ. 2.35; विततन्तरंसोति पुथुलअन्तरंसो,
जा. अट्ठ. 7.14. अन्तरकप्प पु., कर्म. स. [अन्तर्कल्प], महाकल्प के 64 उपप्रभेदों में से एक, प्रलय के काल एवं पुनःसृष्टि के कालों के बीच की संक्षिप्त समयावधि - ... कम्मे च अड्डकम्मे च द्वद्विपटिपदा द्वट्ठन्तरकप्पा छळाभिजातियो अट्ठ पुरिसभूमियो .... दी. नि. 1.47-48; द्वद्वन्तरकप्पाति एकस्मिं कप्पे चतुसद्धि अन्तरकप्पा नाम होन्ति, दी. नि. अट्ट, 1.134; अन्तरकप्पो च नामेस दुभिक्खन्तरकप्पो रोगन्तरकप्पो सत्थन्तरकप्पोति तिविधो, दी. नि. अट्ठ. 3.34; यो पन दुभिक्खकाले वा परिहीनसम्पत्तिकाले वा अन्तरकप्पे वा मनुस्सेसु निब्बत्तति, ..., अ. नि. अट्ठ. 2.112. अन्तरकरण नपुं.. अन्तरं करोति से व्यु., क्रि. ना., मन में कर लेना, ध्यान में कर लेना - अयं मं निस्साय अन्तरकरणं लभती ति, दी. नि. अट्ठ. 1.264; अ. नि. अट्ठ. 2.238; म. नि. अट्ठ (मू.प.) 1(1).357. अन्तरकाजक पु., [अन्तरकाचक]. दो ढोने वालों के बीच में बांस के डण्डे पर रस्सी से बंधा हुआ बोझा - न वहे उभतोकाजं, वट्टतन्तरकाजकं, विन. वि. 2818. अन्तरखज्जक नपुं., कर्म. स. [अन्तरखाद्यक], प्रातःकाल के अल्पाहार एवं मध्याह्न भोजन के बीच में खाया जाने वाला आहार - मनापं अन्तरखज्जकान्ति वा तण्हापरितस्सनाय परितस्सति, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.276; ... तेसं
अन्तरखज्जकं खादित्वा निसिन्नकाले वन्दित्वा एकमन्तं निसिन्नो समत्थिं पुच्छि, जा. अट्ठ. 1.378; - वेला स्त्री., प्रातः एवं मध्याह्न काल के बीच में खाए जाने वाले आहार को ग्रहण करने का समय - पुटबद्धानि मज्झमही ति च पुब्बण्हे अन्तरखज्जकवेलायमेव पेसेत्वा चेतियवानम्हि मज्झे पुटबन्धानि साटकानि ठपापयी ति अत्थो, म. वं. टी. 479(ना.). अन्तरगङ्गा स्त्री., व्य. सं. [अन्तरगङ्गा]. एक स्थान का नाम, जहां पर नदी का प्रवाह भूमि के भीतर में है - अन्तरगङ्गाय पन महावाचकालउपासको नाम अहोसि, अ. नि. अट्ठ. 2.109. अन्तरगब्म पु., अनन्तरगम का अप., द्रष्ट. अनन्तरगम के
अन्त.. अन्तरगवेसी त्रि.. [अन्तर्गवेषिन्], परछिद्रान्वेषी, दूसरों की कमी को खोजते रहने वाला - रन्धमेसीति अन्तरगवेसी, महानि. अट्ठ. 227. अन्तरघरं/अन्तरघरे अ. क्रि. वि., क. दो घरों के बीच में या गांव के अन्दर, ख. घर के भीतर, घर में - यो पन भिक्खु ... भिक्खुनिया अन्तरघरं पविट्ठाय हत्थतो खादनीय वा ... पटिग्गहेत्वा खादेय्य वा भुजेय्य वा. पाचि. 232; अन्तरघरन्ति न पल्लत्थिकाय अन्तरघरे निसीदिस्सामी ति एत्थ अन्तोनिवेसनं अन्तरघरं स. नि. अट्ठ. 2.31; भिक्खू तिण्णं चीवरानं अजतरं चीवरं अन्तरघरे निक्खिपित्वा . अतिरेकछारत्तं विप्पवसन्तीति, पारा. 390; अन्तरघरे निक्खिपितुन्ति अन्तोगामे निक्खिपितुं पारा. अट्ठ.2.280%; पासादिको होति अभिक्कन्तपटिक्कन्ते सुसंवुतो अन्तरघरे निसज्जाय, अ. नि. 3(2).171. अन्तरघरप्पवेसन नपुं.. घरों के भीतर में प्रवेश - अट्ठद्वानं .... सङ्घगणपुग्गल ... अन्तरघरप्पवेसनेसु कायेन
अप्पतिरूपकरणं, खु. पा. अट्ठ. 196. अन्तरघरसंयुत्त त्रि., घर के भीतर के विषयों से जुड़ा हुआ,
सम्बन्धित - अन्तरघरसंयुत्ता, सेसपत्तियो पन. उ. वि. 612. अन्तरङ्ग नपुं., [अन्तरङ्ग], किसी शब्द या नियम का आवश्यक
या भीतरी भाग - त्त नपुं.. अन्तरङ्ग का भाव. [अन्तरङ्गत्व, किसी शब्द या नियम का आवश्यक या भीतरी भाग होना - अन्तरङ्गत्ता अकारस्स, मो. व्या. 2.116; - धुर नपुं., कर्म. स., भीतरी मामलों या आन्तरिक विषयों से सम्बन्धित प्रशासनिक प्रमुख - अन्तरङ्गधुरं नाम कत्वा मच्चम्हि ठापयि, चू. वं. 69.32-35.
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