________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अनुभवन
275
अनुमग्गं स्सति भवि०, प्र. पु., ए. व., अनुभव करेगा - कत्तिकं अनुभावो, अनुभावो एव आनुभावो, पभावो, महन्तो, आनुभावो नानुभोस्सतीति, जा. अट्ठ. 1.477; - हिसि भवि., म. पु.. ए. येसं ते महानुभावा, सारत्थ. टी. 1.42; महानुभावे ... व., तुम अनुभव करोगे - अनुभोहिसि कामयुत्तो, थेरीगा. एकूनपञ्चसते परिग्गहेसि, पारा. अट्ठ. 1.6. 512.
अनुभावापेति अनु + भू के प्रेर. का वर्तः, प्र. पु., ए. व. अनुभवन नपुं., अनु + (भू का कृ. ना. [अनुभवन्], अनुभव [अनुभावयति], अनुभव या उपभोग कराता है - अनुभावापेती करना, सुख या दुख की वेदनाओं का संवेदन, कामभोगों ति पुग्गलो पुग्गलेन सम्पत्ति अनुभावापेति परिभोजेति, सद्द. 1.6. का आस्वाद - अनुभवनन्ति परिभुञ्जनं. सद्द. 1.86; इमरस अनुभासति अनु+भास का वर्त.. प्र. पु.. ए. व. [अनुभाषते]. मे दुक्खस्स अनुभवनत्थाय पुब्बनिमित्तं अहोसि, जा. अट्ठ पीछे या उत्तरकाल में बोलता है, दोहराता है, कही हुई बात 7.338; तस्स नन्दनवने सम्पत्तिं अनुभवनकालो विय तथागतस्स को पुनः कहता है; - न्ति वर्त., प्र. पु.. ब. व., - .... म. नि. अट्ठ (म.प.) 2.155; स. उ. प. के रूप में तदनुभासन्तीति तं अनुभासन्ति, ... भासितमनुभासन्तीति तेहि इट्ठानिट्ठानुभवन, कम्मविपाकानु, गन्धानु, दुक्खानु, सम्पत्तानु. भासितं सज्झायितं अनुसज्झायन्ति, दी. नि. अट्ठ. 1.221; के अन्त. द्रष्ट; - छान नपुं., तत्पु. स. [अनुभवनस्थान], ... तदनुभासन्ति भासितमनुभासन्ति .... दी. नि. 1.91; - अनुभव का स्थल या विषय - बहून नेरयिकसत्तानं सिंसु अद्य., प्र. पु., ब. व., वे लोग पीछे या बाद में बोले कम्मकरणानुभवनट्ठानं मित्तविन्दकस्स ... हुत्वा उपट्टासि, - अनुत्थुनिंसूति अनुभासिंसु, दी. नि. अट्ठ. 3.47. जा. अट्ठ. 4.3; द्रष्ट, कम्मकरण के अन्त; - योग्ग त्रि., अनुभूत' त्रि., अनु + Vभू का भू. क. कृ. [अनुभूत], वह, [अनुभवनयोग्य], सुख या दुख का अनुभव किये जाने जिसका अनुभव कर लिया गया है या जिसका उपभोग कर योग्य - इट्ठस्स च अनिट्ठस्स च अनुभवनयोग्गं, पे. व. अट्ठ. लिया गया है - अनुभूतं सुखदुक्खन्ति आदिसु वेदियने, 198; - रस त्रि., ब. स., अनुभव करने की क्रिया करने सद्द. 1.309; ... सम्पत्ति मनुस्सलोके मया अनुभूता, उदा. वाला/वाली - अनुभवनरसता पन सुखवेदनायमेव लभतीति अट्ठ, 326; सत्तेव वस्ससतानि, अनुभूतं यतो हि मे, पे. व. ... सब्बा अनुभवनरसा ति वत्वा अयमत्थो दीपितो, ध. स. 364, (पृ.) 122. अट्ठ. 155; - लक्खण त्रि.. ब. स. [अनुभवनलक्षण], वह, अनुभूत त्रि., [अणुभूत], वह, जिसे साधारण या गौण बना जिसका लक्षण अनुभव करना हो- वेदना अनुभवनलक्खणा दिया गया हो - अनुमज्झन्ति अनुभूतं मुदुतिखिणभावानं चा'ति, मि. प. 61; अनुभवनलक्खणा वेदना, मज्झं समाचरे, जा. अट्ठ. 4.171. विसयरसम्भोगरसा, सुखदुक्खपच्चुपट्टाना, फस्सपदट्ठाना, अनुभूयते अनु + ।भू. का कर्म. वा., वर्त.. प्र. पु., ए. व. उदा. अट्ठ. 35.
[अनुभूयते], अनुभव किया जाता है - सब्बा वित्य आनुभूयते. अनुभवितु पु., अनु + ।भू से व्यु., कर्तृ. कृ., अनुभव करने अभिभविय्यते अनुभुय्यतेति, सद्द. 1.21; क. व्या. 21; - वाला, भोगों में सुख अनुभव करने वाला - ... सुखं वा मान/य्यमान त्रि., वर्त. कृ. [अनुभूयमान], वह, जिसका अनुभविता सीलेन वा उपोसथकम्मेन वा ति. मि. प. 269%3; अनुभव किया जा रहा हो- यं रूपादिपञ्चकामगुणजातं पत्तं अनुभवती ति अनुभविता ..., सद्द. 71.
... एतरहि लद्धं अनुभुय्यमानं, उदा. अट्ठ. 286; अनुभूतन्ति अनुभवीयते अनु + Vभू के कर्म. वा. का वर्त, प्र. पु., ए. अनुभूयमानं मयाति अत्थो, पे. व. अट्ठ. 138; - मानत्त नपुं.. व. [अनुभूयते], अनुभव किया जाता है - अनुभवीयते ति । भाव. [अनुभूयमानत्व], अनुभव किये जाने की अवस्था, सम्पत्ति पुग्गलेन ..., सद्द. 1.6; - वियमान वर्त. कृ., अनुभव किये जाने की स्थिति- ... इममत्थं पेता एव किर अनुभव किया जा रहा - अत्तना अनुभवियमानं दुक्खं थेरस्स जानन्ति पच्चक्खतो अनुभुय्यमानत्ता, न मनुस्साति, पे. व. पवेदेसि, पे. व. अट्ठ. 29.
अट्ठ. 91. अनुभाग पु.. [अनुभाग], अपर भाग, बचा हुआ भाग, अनुपूरक अनुभोजन नपुं., भोजन का बचा हुआ भाग, भोजन का भाग - गहिते अनुभागे अओ भिक्खु आगच्छति, चूळव. अवशिष्ट अंश - महापालिम्हि दापेसि राजा राजानुभोजनं. 297; अनुभागन्ति पुन अपरम्पि भागं दातुं, चूळव. अट्ठ. 65. चू. वं. 37.181. अनुभाव पु., अनु + Vभू से व्यु. [अनुभाव], प्रभाव, क्षमता, अनुमग्गं अ., क्रि. वि. [अनुमार्ग], मार्ग के सहारे, रास्ते से शक्ति, सामर्थ्य, कृपा - अनु अन तंसमङ्गीनं भावेति वड्डेतीति होते हुए, मार्ग पर - कटाहकोपि बहु खादनीयभोजनीयं
For Private and Personal Use Only