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अनोमनाम
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अनोरपार
सुधम्मपुर निवासी एक थेर का नाम - सुधम्मपुरे हि 7.163; दद्दल्लमानं सिरिया अनोमवण्णं, दस्सेस पत्तं समापत्तिलाभी अनोमदरसी नाम थेरो ... निसीदि, सा. वं. असितव्हयस्स, सु. नि. 691; महासनं देवमनोमवण्णं, यो 58(ना.); ग. श्रीलङ्का के हत्थवनगल्लविहार के एक थेर का सप्पिना असक्खि भोजेतुमग्गिं, जा. अट्ठ. 7.48. नाम - अनोमदस्सिनामस्स महासामिस्स धीमतो, चू. वं. अनोमविरियत्त नपुं., अनोमवीरिय का भाव. [अनवमवीर्यत्व], 86.38.
अत्यन्त श्रेष्ठ वीर्य या पराक्रम वाला होना - अनोमनिक्कमोति अनोमनाम त्रि., ब. स. [अनवमनाम], शा. अ. वह व्यक्ति, सय्हो नाम सो बुद्धो, अनोमविरियत्ता पन अनोमनिक्कमोति जो अपने सम्पूर्ण गुणों एवं ज्ञान की उत्तमता के आधार पर वुत्तो, म. नि. अट्ठ. (उप.प.) 3.92-93. अत्यधिक प्रसिद्ध हों, ला. अ. गौतम बुद्ध तथा पदुमुत्तर अनोमविहारी त्रि, [अनवमविहारी], उत्तम या श्रेष्ठ व्यवहार बुद्ध की एक उपाधि - अनोमनाम सत्थारं हन्द पस्साम करने वाला, निकृष्ट रूप में आचरण न करने वाला, घटिया गोतम, सु. नि. 153; तत्थ अनोमेहि अलामकेहि जीवन न जीने वाला - अनोमनिक्कमोति अनोमविहारी सब्बाकारपरिपूरेहि गुणेहि नामं अस्साति अनोमनामो, जा. सेट्टविहारी, दी. नि. अट्ठ. 3.101. अट्ठ. 1.173; अनोमनाम निपुणत्थदस्सिं, पञ्जाददं कामालये अनोमसत्त/अनोमकसत्त त्रि.. ब. स. [बौ. सं. अनोमसत्त्व, असत्तं, स. नि. 1(1).37; 272; पञ्चमे अनोमनामन्ति । शा. अ. अत्यन्त उत्कृष्ट जीव, परिपूर्ण प्राणधारी, ला. अ. सब्बगुणसमन्नागतत्ता अवेकल्लनाम, स. नि. अट्ठ. 1.76. बुद्ध, बोधिसत्त्व, प्रत्येक-बुद्ध, अर्हत् एवं चक्रवर्ती राजा - अनोमनिक्कम त्रि., ब. स., अत्यन्त उत्कृष्ट वीर्य अथवा तमत्थं विदित्वा अनोमसत्तानं कम्मं नाम एवं विसुज्झती ति पराक्रम से युक्त - पब्बजम्पि च अनोमनिक्कमो, अग्गत सत्था .... जा. अट्ठ. 5.407; - परिभोग त्रि., तत्पु. स. वजति सब्बपाणिनं, दी. नि. 3.116; दुरन्नयो सङ्घो अथोपि [बौ. सं. अनोमसत्त्वपरिभोग], परिपूर्ण जीवधारी, उत्तम उज्जयो, अपरो मुनि सय्हो अनोमनिक्कमो. म. नि. 3.1163; व्यक्ति द्वारा अनुभव किये जाने योग्य भोगसाधन या संपत्ति अनोमनिक्कमोति सय्हो नाम सो बद्धो, अनोमवीरियत्ता पन -- अनोमसत्तपरिभोग, रतनं तेन वुच्चतीति, खु. पा. अट्ठ. अनोमनिक्कमोति वुत्तो, म. नि. अट्ठ. (उप.प.) 3.92-93. 136; उदा. अट्ठ. 247; - सम्मत त्रि., कर्म. स., अन्य लोगों अनोमपञ त्रि., ब. स. [अनवमप्रज्ञ], महती प्रज्ञा वाला, द्वारा परमश्रेष्ठ प्राणी के रूप में माना गया व्यक्ति - परिपूर्ण या सर्वोत्तम प्रज्ञा वाला, परिपूर्ण प्रज्ञा वाला - तथागतो हि लोके अनोमक सत्तसम्मतान पुच्छाम सत्थारमनोमपञ्ज, दिद्वेव धम्मे .... सु. नि. 345; अनुपनिस्सयसम्पन्नानं ... छन्नं सत्थारानं ... अपरिभोगो, अनोमपञ्जन्ति ओम वुच्चति परित्तं लामक, न ओमपझं. खु. पा. अट्ठ. 140. अनोमपझं महापञ्जन्ति अत्थो, सु. नि. अट्ठ. 2.73; एवं अनोमा स्त्री., व्य. सं., क. नारद बुद्ध की माता का नाम - करोन्ति ये सद्दहन्ति, वचनं अनोमपञ्जस्स, थेरीगा. 524; ये अनोमा नाम जनिका नारदस्स महेसिनो, बु. वं. 327; ख. सदहन्ति वचनं अनोमपञस्सा ति, ... परिपुण्णपञ्जस्स एक नदी का नाम - बोधिसत्तो एकरतेनेव तीणि रज्जानि सम्मासम्बुद्धस्स वचनं ये..., थेरीगा. अट्ठ. 318.
अतिक्कम्म तिंसयोजनमत्थके अनोमानदीतीरं पापुणि, जा. अनोमबुद्धिपुत्त पु. तत्पु. स., सर्वोत्कृष्ट अथवा परिपूर्ण अट्ठ. 1.74; अड्वरत्तसमये छन्नसहायोव कण्टकमारुय्ह प्रज्ञा वाले बुद्ध का पुत्र अथवा पुत्रस्थानीय - न निक्खमित्वा अनोमानदीतीरे पब्बजित्वा, जा. अट्ठ. 4.1083; सम्मासम्बुद्धपुत्तोति मंधारेहि, ... न अनोमबुद्धिपुत्तो, ... में अनोमानदीतीरे खग्गेन केसे छिन्दित्वा, सु. नि. अट्ठ. धारेही ति ... सिक्खापच्चक्खानं होति, पारा. अट्ठ. 1.202. 2.100; - टि. इसी नदी को पार कर राजकुमार सिद्धार्थ अनोममानी त्रि., स्वयं को परिपूर्ण एवं अद्वितीय मान कर ने राजकीय वेश एवं अलङ्कारों आदि सारथि छन्न को सौंप अभिमान करने वाला - परिपुण्णमानीति परिपुण्णमानी दिए थे तथा उससे एवं कन्थक-नामक अश्व से अन्तिम समत्तमानी अनोममानीतिमानेन मत्तो परिपुण्णमानी, महानि. विदा ली थी. 219.
अनोरपार त्रि., ब. स., शा. अ. वह, जिसका इस ओर का अनोमवण्ण त्रि., ब. स. [अनवमवर्ण], अत्यन्त उत्तम स्वरूप तट तथा पार दिखलाई न पड़े, बिना ओर छोर वाला, या आकृति वाला, अत्यधिक सुन्दर - आजञ्जमारुरह असीम, अनन्त - पुन चपरं महाराज, महासमुद्दो महन्तो अनोमवण्णो, पक्कामि वेहायसमन्तलिक्खेति, जा. अट्ठ. अनोरपारो, मि. प. 292.
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