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अनोधिसो
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अनोमदस्सी
अनोधिसो अ., क्रि. वि., अनोधि से व्यु. [अनवधितः], बिना 2. अनोमदरसी बुद्ध के एक अग्रश्रावक या प्रधान शिष्य का किसी अवधि या सीमा के, सम्पूर्ण रूप से, निस्सीम रूप से नाम - अनोमदस्सिस्स पन भगवतो चन्दवती नाम नगरं - ओधिसो अनोधिसो दिसाफरणवसेन मेत्तं भावेत्तस्सापि, म. अहोसि ... निसभो च अनोमो च द्वे अग्गसावका.... जा. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).293; अत्थि अनोधिसो फरणा अट्ठ. 1.46; ध. प. अट्ठ. 1.61; 3. एक चक्रवर्ती राजा का मेत्ताचेतोविमुत्ति, पटि. म. 304.
नाम - पञ्चपासकप्पम्हि अनोमो नाम खत्तियो, अप. 1. अनोप त्रि., [अनूप], जल से भरा अथवा जल के समीप 363; 4. एक तापस का नाम - पब्भारकूट निस्साय, अनोमो वाला क्षेत्र, नदी तट, कछार - इमा ता हरितानूपा, इमा नाम तापसो, अप. 1.386; 5. नपुं. एक नगर का नाम - नज्जो सवन्तियो, जा. अट्ठ. 4.320.
तस्स भगवतो अनोमं नाम नगरं अहोसि, जा. अट्ठ. 1.49. अनोपम' त्रि., ब. स. [अनुपम]. वह, जिसकी कोई उपमा अनोमगुण त्रि., ब. स. [अनवमगुण]. उत्तम गुणों वाला, न हो, लाजवाब, सर्वोत्तम - सिद्धत्थं लोकपज्जोतं, अप्पमेय्यं उत्तम गुणों से विभूषित - अनोमगुणो सो भवं गोतमो, दी. अनोपमं अप. 1.76; अनोपमस्स विरजस्स, भगवतो तस्स नि. अट्ठ. 1.232. सावकोहमस्मि, म. नि. 2.54; ... अनोपमाय बुद्धसिरिया अनोमज्जति अनु + अव + vमज्ज का वर्त. प्र. पु., ए. व. विरोचमानं दिस्वा, जा. अट्ठ. 1.98.
[अन्वमार्जयति, अन्वमाष्टि], ऊपर से नीचे की ओर मलता अनोपम नपुं.. व्य. सं., वेस्सभू बुद्ध के पिता राजा सुप्पतीत है या रगड़ता है, साफ या स्वच्छ करता है, धोता है, निर्मल की राजधानी का नाम - सुप्पतितस्स ओ अनोपमं नाम करता है - मागण्डियो परिब्बाजको सकानेव सुदं गत्तानि नगरं राजधानी अहोसि, दी. नि. 2.6; पाठा. अनोम. पाणिना अनोमज्जति, म. नि. 2.187; - ज्जामि उ. पु., अनोपमा स्त्री., व्य. सं., थेरीगा. की 152वीं तथा 153वीं ए. व. - सो खो ... तमेव कार्य अस्सासेन्तो पाणिना गत्तानि गीतियों की रचनाकी एक थेरी का नाम - पितु मे अनोमज्जामि, म. नि. 1.114; - न्त वर्त. कृ. -- तस्स पेसयी दूतं, देथ मयह अनोपम, थेरीगा. 152-53; तस्सा ... पाणिना गत्तानि अनोमज्जतो पूतिमूलानि .... म. नि. रूपसम्पत्तिया अनोपमाति नामं अहोसि, थेरीगा. अट्ठ. ___1.114; 314; भगवतो गत्तानि पाणिना अनोमज्जन्तो भगवन्तं 153-54.
एतदवोच, स. नि. 3.292. अनोमासनीय त्रि., अव + vभास के सं. कृ., ओभासनीय का अनोमदस्सिक त्रि., ब. स. [अनवमदर्शिक], दिखने में निषे. [अनवभासनीय], अप्रकाश्य, वह, जिसे प्रकाशित अत्यन्त सुन्दर, सौन्दर्य में निकृष्ट न दिखने वाला, उत्कृष्ट करना आवश्यक न हो, अवभासित नहीं करने योग्य - सौन्दर्य से युक्त - या महेसित्तं कारेय्य, चक्कवत्तिस्स .... तमसा विसंसद्वत्ता केनचि अनोभासनीया लोकसभावाभावतो राजिनो, नारी सब्बङ्गकल्याणी, भत्तु चानोमदस्सिका. वि. व. ..., उदा. अट्ठ. 120.
191; भत्तु चानोमदस्सिकाति सामिकस्स अलामकदस्सना अनोभासित त्रि., अव + भास के भू. क. कृ. का निषे. सातिसयं दरसनीया पासादिका, वि. व. अट्ठ. 83. [अनवभासित], अप्रकाशित, आभा या उजाला से रहित - अनोमदस्सी' त्रि., सर्वोत्तम ज्ञान से युक्त, सर्वोत्तम पद अप्पदीपेति पदीपचन्दसूरियअग्गीसु ऐकनापि अनोभासिते. अर्थात् प्रत्येकबोधि को देख चुके बुद्ध या प्रत्येकबुद्ध - न पाचि. अट्ठ. 191.
किरत्थि अनोमदस्सिसु, पारिचरिया बुद्धसु अप्पिका, जा. अनोम' त्रि., ओम का निषे. [अनवम], वह, जो तुच्छ या अट्ठ. 3.361; 1.224; तत्थ अनोमदस्सिसूति अनोमस्स निकृष्ट न हो, घटिया न हो, उत्कृष्ट, उत्तम, हर तरह से अलामकस्स पच्चेकबोधिञाणस्स दिद्वत्ता पच्चेकबुद्धा ... परिपूर्ण - अयं मग्गो निय्यानिको ति सयंसमत्तं करोति अनोमदस्सिनो नाम, जा. अट्ठ. 3.361.. परिपण्णं करोति अनोमं करोति.... महानि. 46; किं भोजनं अनोमदस्सी ' पु.. व्य. सं., क. सातवें बुद्ध का नाम - भुञ्जथ वो अनोमा, बलञ्च वण्णो च अनप्परूपाति, जा. सोभितस्स अपरेन सम्बुद्धो द्विपदुत्तमो, अनोमदस्सी अमितयसो, अट्ठ. 3.459.
तेजस्सी दुरतिक्कमो, बु. वं. 322; 323; 324; 366; अप. अनोम' पु.. व्य. सं., 1. सोभित बुद्ध के उपस्थापक या 2.52; जा. अट्ठ. 1,46; एकस्मिं येव कप्पे तयो बुद्धा निब्बत्तिंस सेवक का नाम - तस्स पन भगवतो सुधम्म नाम नगरं अनोमदस्सी पदुमो नारदोति ..., जा. अट्ठ. 1.45; 54; ध. अहोसि ... अनोमो नामुपट्ठाको .... जा. अट्ठ. 1.45; प. अट्ठ. 1.49; 61; 64; अप. 1; 42; 352; ख. म्यां-मार के
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