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अन्त
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अन्तकर
अन्त' पु./नपुं.. [अन्त], अनेक अर्थों में प्रयुक्त, समीप, स. उ. प. के रूप में पदपूरणार्णक रूप में प्राप्त, यदा-कदा छोर, आखिरी किनारा, भीतर, समाप्ति, मृत्यु आदि प्रमुख पूर्णता समस्तता के अर्थ का सूचक - अन्तो सेदस्स अर्थ -- पदपूरणसमीपउम्मग्गादीसुपि हि अन्तसद्दो दिस्सति, अत्थिता वा नत्थिता वा कथं सक्का आतुन्ति कडं करेय्य, म. लीन. (दी.नि.टी.) 1.125; तत्थ अन्तोति अयं सद्दो नि. अट्ठ (मू.प.) 1(2).177; स. उ. प. के रूप में कम्म. (कर्म अन्तअब्भन्तरमरियादलामकपरभागकोट्ठासेसु दिस्सति, दी. की परिपूर्णता), सुत्त. (सम्पूर्ण सुत्तपिटक), वन (सम्पूर्ण वनक्षेत्र), नि. अट्ठ. 1.89; अन्तो नित्थ समीपे चावसाने पदपूरणे, आदि में ला. अ. में सम्पूर्णता या समाप्ति का सूचक. अभि. प. 791; प्रयोगगत अर्थ- क. किसी भी वस्तु का अन्त त्रि., [अन्त्य], शा. अ. सबसे अन्त में आने वाला, सब से अन्तिम किनारा या आखिरी छोर, असन्तुलित दृष्टि वह, जिसका अपना कोई अन्त, छोर या सीमा न हो (प्रायः (कोटि के पर्याय के रूप में प्रयुक्त) - कायबन्धनस्स अन्तो निषे. अनन्त में इसी अर्थ में प्राप्त) - तथागतो होति जीरति .... चूळव. 257; इदानि पनिमस्स मूलपरियायस्स अनन्तपञो. सु. नि. 472; अनित्थयन्तो परियन्तो पन्तो च अन्तं वा कोटिं वा न जानाम न पस्साम, म. नि. अट्ट. पच्छिमान्तिमा, अभि. प. 714; ला. अ. घटिया, सब से नीचे (मू.प.) 1(1).61; ख. सीमा, पार्श्वभाग, भीतर, अन्दर - आने वाला, तुच्छ - अन्तो नित्थि समीपे चावसाने पदपूरणे, एकमन्तं निसिन्नो खो मिलिन्दो राजा आयस्मन्तं नागसेनं अभि. प. 791; अन्तमिदं भिक्खवे, जीविकानं यदिदं पिण्डोलयं एतदवोच, मि. प. 28; ... अन्तं ओरतो भोगं कत्वा चीवर इतिवु. 64; स. नि. 2(1).86. निक्खिपितब्बं महाव. 52; ते थोकयेव ओदातं अन्ते आदियित्वा अन्त नपुं., [आन्त्र], आंत, छोटी आंत, बड़ी आंत - अन्तं तथेव सुद्धकाळकानं ... कारापेन्ति, पारा. 342; ग. एक अन्तगुणं उदरियं करीसं मत्थलुङ्ग खु. पा. (पृ.) 2; अन्तन्ति दूसरे से विरुद्ध दो बातें, दो प्रतिद्वन्द्वी या परस्पर, विरुद्ध पुरिसस्स द्वत्तिंस हत्था, इत्थिया ... विभ. अट्ठ. 229; तत्थ धर्म - द्वेमे, भिक्खवे, अन्ता पब्बजितेन न सेवितब्बा, महाव. अन्तस्स पूरो अन्तपूरो, सु. नि. अट्ट, 1.209; अथरस अन्तानि 13; एते खो, भिक्खवे, उभो अन्ते अनुपगम्म, मज्झिमा परिवत्तित्वा मुखेन निक्खमनाकारप्पत्तानि विय अहेसु. जा. पटिपदा तथागतेन अभिसम्बुद्धा, महाव. 13; एते ते. कच्चान, अट्ठ. 1.76. उभो अन्ते अनुपगम्म मज्झेन तथागतो धम्म देसेति, स. नि. अन्तक' पु., [अन्तक], शा. अ. अन्त कर देने वाला, मृत्यु, 1(2).17; वीततण्हो पुरा भेदा, पुबन्तमनिस्सितो, सु. नि. मरण, ला. अ. ब्राह्मण-परम्परा में यम तथा बौद्ध-परम्परा 855; पुबन्तमनिस्सितोति अतीतद्धादिभेदं पुब्बन्तमनिस्सितो, में मार - अन्तका वसवत्ती च पापिमा च पजापति, अभि. प. सु. नि. अट्ठ. 2.241; घ. सीमा, परिमाण, निश्चित संख्या, 43; अतित्त व कामेसु, अन्तको कुरुते वसं, ध. प. 48; ओर-छोर - नत्थि अन्तो कुतो अन्तो, न अन्तो पटिदिस्सति, अन्तको कुरुते वसन्ति मरणसङ्घातो अन्तको कन्दन्तं परिदेवन्तं जा. अट्ठ. 3.40; नत्थि अन्तोति ... कालपरिच्छेदो नत्थि, गहेत्वा गच्छन्तो अत्तनो वसं पापेतीति अत्थो, ध. प. अट्ठ जा. अट्ठ. 3.41; ..., पविसन्तानञ्च निक्खमन्तानञ्च अन्तो 1.206; एवं जानाहि पापिम, निहतो त्वमसि अन्तका ति, नत्थि, .... जा. अट्ठ. 1.473; ङ.(1) समाप्ति, जीवन का थेरीगा. 59; ततो एव बलविधमनविसयातिक्कमनेहि अन्तक अवसान या मृत्यु - तस्स तस्सेव पन्हस्स, अहं अन्तं करोमि लामकाचार, मार त्वं मया निहतो बाधितो असि.... थेरीगा. तेति, सु. नि. 517; एतम्हि तुम्हे पटिपन्ना, दुक्खस्सन्तं अट्ठ. 71. करिस्सथ, ध. प. 275; निधनो नित्थियं नासो कालोन्तो अन्तक नपुं., परिसमाप्ति, क्रम-विच्छेद - दिसा दसविधा चवनं भवे, अभि. प. 404; अन्तेनाति मरणेन, स. नि. अट्ठ लोके, यायतो नत्थि अन्तक, अप. 1.6. 1.74; ङ.(2). अन्तिम लक्ष्य या निर्वाण - यो वेदि अन्तक नपुं., आंत, केवल स. उ. प. में ही प्रयुक्त - द्वे जातिमरणरंस अन्तं. सु. नि. 471; जातिमरणस्स अन्तं नाम कायबन्धनानि - पट्टिकं, सूकरन्तकान्ति, चूळव. 257. निब्बानं वुच्चति, सु. नि. अट्ठ. 2.121; असङ्घतं अन्तं अनासवं, अन्तकम्म नपुं.. कर्म. स. [अन्तकर्मन], अन्त कर देना, सच्चञ्च पारं निपुणं सुदुद्दसं. स. नि. 2(2).343; पाठा. समाप्त या विनष्ट कर देना - सो अन्तकम्मनि, सद्द. 2.504; अनतं; च. व्याकरण के विशेष सन्दर्भ में स. उ. प. के रूप सा अन्तकम्मनि, सद्द. 2.489. में प्रयुक्त, असमान., एकवचन., ततिय, तद्धित., धात्व., अन्तकर त्रि., [अन्तकर], अन्त कर देने वाला, उच्छेद या निग्गहित., बहुवचन., व्यञ्जन, सर. के अन्त. द्रष्ट; छ. निरोध कर देने वाला - सद्धाय घरा निक्खम्म, दुक्खस्सन्तकरो
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