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अनुवत्ति
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अनुवस्सं
भिधेय्यलिङ्गभूतस्स आपसदस्स काय चित्तानी ति ... पुंसकलिङ्गरूपानं अभावतो, सद्द, 1.115. अनुवत्ति स्त्री., [अनुवृत्ति], क. अनुरूपता, अनुगामिता, निरन्तरता, सहमति, ख. व्याकरण के विशेष सन्दर्भ में -- अगले नियम में पिछले नियम की पुनरुक्ति, पिछले नियम का आगामी नियम पर निरन्तर जारी रहने वाला प्रभाव, पुनरुक्ति - पच्छा भुसत्थ सादिस्सानुपच्छिन्नानुवत्तिसु. अभि. प. 1174; धम्मानुवत्ती च अलीनता च, अत्थस्स द्वारा पमुखा छळेते ति, जा. अट्ठ. 1.350; धम्मानुवत्ती चाति तिविधस्स सुचरितधम्मस्स अनुवत्तनं, जा. अट्ठ. 1.351. अनुवत्तिक त्रि., अनुवत्ती से व्यु., [अनुवर्तिक], अनुयायी, अधीन, वशवर्ती, आज्ञाकारी, पूर्णरूप से निष्ठावान - अञ्जतरा मारकायिकाति नामवसेन ... मिच्छादिविका मारपक्खिका मारस्सनुवत्तिका एवमयं मारधेय्यं मारविसयं.... पारा. अठ्ठ. 2.7; स. उ. प. के रूप में किलेसानु. के अन्त. द्रष्ट... अनुवत्तित त्रि., अनु + Vवत के प्रेर. का भू. क. कृ., वह, जिसका अनुगमन या अनुसरण किसी के द्वारा किया गया है, अनुगत - अनुगताति चित्तेन अनुवत्तिता, उदा. अट्ठ.
मातापि पुत्तं अनुवदति, चूळव. 202; - न्ति ब. व. - सुद्धो होति भिक्खु अनापत्तिको, अनुवदन्ति च नं. चूळव. 183; ख. निन्दा करता है, आरोप लगाता है, आलोचना करता है - ति वर्तः, प्र. पु., ए. व. - अमूलकेन अब्रह्मचरियेन अनुद्धंसेतीति तस्मिं पुग्गले अविज्जमानेन अन्तिमवत्थुना अनुवदति चोदेति, पारा. अट्ठ. 2.69; - दियमानो कर्म. वा., वर्त. कृ., प्र. वि., ए. व., निन्दित या आरोपित किया जा रहा - चित्तेन अनुवदियमानो सन्थम्भेतुं न सक्खिस्सामि, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).293. अनुवदना स्त्री., अनु + Vवद से व्यु.. किसी कथन की पुनरुक्ति, पीछे बोला गया वचन या कथन, पीछे कहा गया निन्दात्मक अथवा प्रशंसापरक कथन - यो तत्थ अनुवादो अनुवदना अनुल्लपना अनुभणना अनुसम्पवङ्कता अभुस्सहनता अनुबलप्पदानं - इदं वुच्चति अनुवादाधिकरणं, चूळव. 196; अनुवदनाति आकारनिदस्सनमेत, उपवदनाति अत्थो, चूळव. अट्ठ. 39; तुल. अनुवाद, उपवाद. अनुवसति अनु+Vवस का वर्त०, प्र. पु., ए. व. [अनुवसति], किसी (स्थान) के बगल में बसता है - गामं उपवसति, गामं अनुवसति, सद्द. 3.717; - वासेय्य विधि., प्र. पु., ए. व., अनुकरण करे - सक्कच्चं अनुवासेय्य, स राजवसतिं वसे, जा. अट्ठ. 7.191; अनुवासेय्याति उपोसथवासं वसन्तो अनुवत्तेय्य, जा. अट्ठ. 7.192; - सित्वा पू. का. कृ., रह कर, निवास कर - हिय्योपि इधेव आगन्तब्बं भविस्सती ति, तत्येव अनुवसित्वा अनुवसित्वा आवसथपिण्डं भुञ्जन्ति, पाचि०
192.
98.
अनुवत्ती त्रि., [अनुवर्तिन], अनुगामी, आज्ञाकारी, अनुरूप केवल कर्म. स. के उ. प. के रूप में ही प्रयुक्त, उग्गतपान., करुणान., धम्मानु., भत्तुवसानु., मारपासानु, वेदनानु. के अन्त. द्रष्ट.. अनुवत्तेति अनु + Vवत के प्रेर. का वर्त, प्र. पु., ए. व. [अनुवर्तयति], अनुगमन या अनुसरण करता है, गतिशील बनाए रखता है, निरन्तर गतिशील रहने हेतु प्रेरित करता है, किसी के द्वारा गतिशील किये गये को आगे भी गतिशील कराता है - मया पवत्तितं चक्कं (सेलाति भगवा) धम्मचक्क अनुत्तरं सारिपुत्तो अनुवत्तेति, अनुजातो तथागतं, थेरगा. 826; 827; सु. नि. 561-62; - स्सति भवि., प्र. पु.. ए. व., अनुगमन कराएगा - अनुवत्तेस्सति सम्मा, वस्सेन्तो धम्मवडियो, अप. 1.20; - त्तये विधि., प्र. पु., ए. व., अनुसरण करे - पहाय इस्सरमदं, निवातमनुवत्तये, पे. व. 764; - त्तिंसु अद्य., प्र. पु., ब. व., अनुवर्तन किया, अनुगमन किया - ..., हन्द नं अनुवत्तामाति अनुवत्तिंसु, दी. नि. अट्ठ. 1.232. अनुवदति अनु + Vवद का वर्त, प्र. पु., ए. व. [अनुवदति], क. सहमत होता है, समर्थन करता है, प्रशंसा करता है -
अनुवस्स' त्रि., वह भिक्षु, जिसने एक वर्षावास पूरा किया है - अनुवस्सिको पब्बजितो, पस्स धम्मसुधम्मतं, थेरगा. 24; तत्थ अनुवस्सिकोति अनुगतो उपगतो वस्सं अनुवस्सो, अनुवस्सोव अनुवस्सिको, थेरगा. अट्ठ. 1.84; तुल. अनुवस्सिक. अनुवस्स नपुं., बाद में आने वाला वर्षावास, अभी तक न आया हुआ वर्षावास - अथ वा अनुगतं पच्छागतं अपगतं वरसं अनुवस्सं तं अस्स अस्थीति अनुवस्सिको, थेरगा. अट्ठ.
1.84.
अनुवस्सं अ., क्रि. वि. [अनुवर्षम्], प्रत्येक वर्षा-ऋतु में, वार्षिक रूप में - तेन खो पन समयेन भिक्खू अनुवस्सं सन्थतं कारापेन्ति, पारा. 344; कथहि नाम भिक्खुनियो अनुवस्सं वुढापेस्सन्ति, उपस्सयो न सम्मती ति, पाचि. 465; या पन भिक्खुनी अनुवस्सं वुढापेय्य पाचित्तियं, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.112.
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