________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
300
अनुसयित चिरकालिक - अत्थि ते कोचि अनुसायिको आबाधोति, अस्थि मे, भो रखपाल, अनुसायिको आबाधो. म. नि. 2.266; थेरस्स किर वातपित्तसेम्हवसेन अनुसायिको आबाधो अत्थि, ..., स. नि. अट्ठ. 1.161; सो हि आयस्मा ... अप्पमत्तो आतापी ... पुसित्वा एकरस अनुस्सायिकस्स रोगस्स वसेन ततो परिहायि, ध. प. अट्ठ. 1.242; अप. आनुसायिक, अनुस्सायिक. अनुसयित त्रि., अनु + Vसी से व्यु., लम्बे समय से जुड़ा हुआ, जन्म से ही विद्यमान, स्वाभाविक रूप से भीतर विद्यमान - कण्हस्स सोत दीघरत्ता नु सयितं, सु. नि. 357; थेरगा. 1284; दीघरत्तानुसयितं, दिद्विगतमजानतं, पकप्पितं नामगोत्तं ..... सु. नि. अट्ठ. 2.174; अजानन्तानं सतानं हदये दीघरतं दिट्टिगतमनुसयितं. म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.310; - त्त नपुं.. अनुसयित का भाव., स्वाभाविक रूप में भीतर विद्यमान रहने की अवस्था - तस्स अनुसयितत्ता तं नामगोतं अजानन्ता नो पबुन्ति, .... म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.310; सु. नि. अट्ठ. 2.174. अनुस्सरण नपुं.. [अनुस्मरण], बाद में होने वाला स्मरण, पीछे आने वाली किसी की याद - फलदानेन बुद्धस्स,
गुणानुस्सरणेन च, अप. 2.141; अप. अनुसरण. अनुस्सरति/अनुसरति अनु + /सर का वर्त, प्र. पु., ए. व., यदा-कदा सं. अनुस्मरति के पालि-प्रतिरूप के रूप में भी प्रयुक्त [अनुस्मरति], अनुसरण करता है, अनुगमन करता है, किसी के पीछे दौड़ता भागता है, किसी की ओर लग जाता है - धम्म अनुस्सरतीति धम्मानुसारी, अ. नि. अट्ठ. 3.150; - न्ति ब. व. - उदाहु ते तक्कमनुस्सरन्ति, सु. नि. 891; - रं/रन्तो वर्त. कृ., पु., प्र. वि., ए. व. - याव अनुस्सरं कामे जा. अट्ठ. 4.154; अनुस्सरन्ति अनुस्सरन्तो, जा. अट्ठ. 4.155; -री अद्य., म. पु.. ए. व., पीछे लग गया - यं त्वं अनुसरी पुरे, जा. अट्ठ. 4.242; तत्थ अनुसरीति अनुबन्धि, जा. अट्ठ. 4.242; - रित/सट त्रि, भू. क. कृ. [अनुसृत], वह जिसका अनुसरण या अनुगमन किया गया है - सरितानीति अनुसटानि पयातानि ध. प. अट्ठ. 2307; ताहानुसयेन
अनुसटो लोकं सन्निवासोति... पटि म. 116, 118. अनुसवाति अनु + सु का वर्त., प्र. पु., ए. व. [अनुश्रृणोति].
द्रष्ट. अनुस्सवति के अन्त... अनुसार' पु., अनु + (सर से व्यु. [अनुसार], शा. अ. समनुरूपता, अनुगमन, के अनुसार, प्रयोग के अनुरूप, की अनुरूपता - एतेनानुसारेन पच्चेकबुद्धअरियसावकानम्पि
अनुसासक पूजाय हितसुखावहता वेदितब्बा, खु. पा. अट्ठ. 104; ला.अ. क. नक्शे कदम पर, दिशा का अनुसरण, पदचिह्नों का अनुसरण - मनुस्सा उक्कं आदाय चोरस्स पदानुसारेन तत्थ आगन्त्वा तस्स ... चोरो इतो आगतो, जा. अट्ठ. 3.29; नन्दा देसनानुसारेन आणं पेसेवा सोतापत्तिफलं पापुणि ध. प. अट्ठ. 2.65; ला.अ. ख. के बगल से, के पार्श्व में - गिरिकन्दरानुसारेन अत्तनो निवासानुरूपं फासुकट्ठानं ..., जा. अट्ठ. 1.11; ला.अ. ग. के द्वारा, से होकर - इध पनस्स सोतद्वारानुसारेन उपधारित न्ति वा उपधारण न्ति वा अत्थो, उदा. अट्ठ. 11; ला.अ. घ. की अनुरूपता में - वित्थारो पन अस्सलायनसुत्तानुसारेन वेदितब्बो, सु. नि. अट्ठ. 2.121. अनुसार पु., अनुस्सार का भाव. [अनुस्वार]. स्वर के बाद आने वाली बिन्दु या निग्गहीत-ध्वनि, जिसका उच्चारण नासिका का निग्रहण कर किया जाता है - ... आगमवसेन एवानुसारो होति न सभावतो ति दट्ठतब्ब, सद्द. 1.162. अनुसारी त्रि., अनुसार' से व्यु. [अनुसारी], अनुसरण या अनुगमन करने वाला, किसी उद्देश्य या प्राप्ति के पीछे लगा हुआ, किसी की अनुरूपता में कार्य कर रहा - रिनो पु.. प्र. वि., ब. व., अनुसरण करने वाले, सेवक, अनुचर, अनुयायी - तस्स तं वचनं सुत्वा, पण्डितस्सानुचारिनो, जा. अट्ठ. 6.272; स. उ. प. के रूप में अङ्गुमङ्गानु०, अङ्गानु.. अत्थानु., उजुमग्गानु, धम्मानु, धम्मनिमित्तानु, परघोसानु.. पीतिसुखानु., भवसोतानु., रूपन्तिमित्तानु.. वट्टानु.. विपथानु, सतानु., सद्धानु. के अन्त. द्रष्ट.. अनुसारेति अनु + Vसर का प्रेर., वर्त., प्र. पु., ए. व. [अनुसारयति], अनुसरण कराता है, पीछे भेजता है या पीछे लगा देता है;- रेय्य विधि., प्र. पु., ए. व., पीछे से भिजवा दे, पीछे लगवा दे - ततो राजा अजमज अनुसारेय्य अनुपेसेय्य अत्तनो परित्तकाय सेनाय बलं अनुपदं ददेय्य, मि. प. 34. अनुसास पु., अनुसासनी का अप., अनुशासन, शिक्षा - भिक्खू भगवा पकासेसि, नो च भिक्खुनो अनुसासन्ति, स. नि. 1(1).54; अनुसासन्ति अनुसिद्धिं स. नि. अट्ठ. 1.93. अनुसासक पु., अनु + सास से व्यु. [अनुशासक], अनुशासन या शिक्षा देने वाला, बुद्ध के निर्वाण के उपरान्त शिक्षा प्रदान करने वाला, शिक्षक, आचार्य - तत्थ अनुसासिता मे न भवेय्य पच्छाति अनुसासको ओवादको न भवेय्य दुल्लभत्ता ओवादकानं. .... जा. अट्ठ, 3.337; किं पनेत्थ अनुसासको
For Private and Personal Use Only