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अनुस्सरति
अनुस्सावक विज्जति यं ... उपोसथं उपवसित्वा ... चातुमहाराजिकानं अनुस्सवसच्च त्रि., ब. स., वह जिसके लिये किंवदन्तियां ... एवमादीनि चेत्थ सुत्तानि अनुस्सरितब्बानि, खु. पा. अट्ट. या लोगों के बीच परम्परा से सुनी गयी बात ही सत्य हो 114; - रणीय सं. कृ., उपरिवत् - तस्मानुस्सरणीयेसु - इधेकच्चो सत्था अनुस्सविको होति अनुस्सवसच्चो, म. बुद्धादिसु सगारवो, सद्धम्मो. 587.
नि. 2.198; अनुस्सवसच्चोति सवनं सच्चतो गहेत्वा ठितो, अनुस्सरित त्रि., अनु + Vसर का भू. क. कृ. [अनुस्मृत]. म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.166. वह, जिसका अनुस्मरण या अनुचिन्तन किया गया है, बाद अनुस्सव-सुत त्रि.. तत्पु. स. [अनुश्रव-श्रुत], परम्परा से में अथवा अनुकूल रूप में स्मरण किया गया - अननस्सरिताव, सुनी जा रही बातों के द्वारा सुना गया, किंवदन्तियों द्वारा भिक्खवे, तेहि कप्पा अस्सु. ..., स. नि. 1(2).165. सुना गया - सो खो पनस्स आयस्मा सामं दिडो वा होति अनुस्सरितु पु.. अनु + (सर से व्यु., कर्तृ. ना. [अनुस्मर्तृ], अनुस्सवस्सुतो, म. नि. 2.137; 138. अनुस्मरण करने वाला, बहुत पहले किये गये काम अथवा अनुस्सविक त्रि., अनुस्सव से व्यु. [आनुश्रविक], परम्परा से बोले हए वचनों को स्मरण रखने वाला - ... चिरकतम्पि सुनी हुई बातों का अनुयायी, परम्परा से शिक्षा लेने वाला, चिरभासितम्पि सरिता अनुस्सरिता, म. नि. 2.20; अ. नि... परम्परा की बातों को सत्य मानने वाला- इधेकच्चो सत्था 2(1).10; सरिता अनुस्सरिताति तस्मिं कायेन चिरकते कायो अनुस्सविको होति अनुस्सवसच्चो म. नि. 2.198; अनुस्सविको नाम कायवित्ति, चिरभासिते वाचा नाम वचीवित्ति, म. होतीति अनुस्सवनिस्सितो होती, म. नि. अट्ठ. (म.प.) नि. अट्ठ. (म.प.) 2.22; अनुस्सरिताति अनुगन्त्वा सरिता, 2.166; - पसाद पु., किंवदन्तियों पर विश्वास, परम्परा पर
अपरापरं सरितुं समत्थोति अत्थो, अ. नि. अट्ठ. 2.288. श्रद्धा - ... अनुस्सवप्पसाद उप्पादेत्वा परस्स वडित भोजन अनुस्सव पु., अनु + सु से व्यु. [अनुश्रव], परम्परा से सुनी। भुञ्जमाना विय सोतापत्तिफले पतिहासि, अ. नि. अट्ठ. हुई बात, किंवदन्ती, वह कथन, जो परम्परा में लोग सुनते 1.186; 337; अनुस्सविकप्पसादन्ति अनुस्सवतो आगतप्पसाद आ रहे हैं - सद्धा, रुचि, अनुस्सवो, आकारपरिवितक्को, अ. नि. टी. 1.196. दिविनिज्झानक्खन्ति ..., म. नि. 2.388; अनुस्सवं इदानि अनुस्सविय त्रि., अनुस्सव से व्यु., परम्परा का अनुयायी, वदेसि. म. नि. 2.388; सम्मुखाति सम्मुखतो, न अनुरसवेन परम्परा में सुनी सुनाई बातों को सत्य मानने वाला - न परम्परायाति अत्थो, उदा. अट्ठ. 328; सा च खो युत्तिवसेनेव, अनुस्सवियोति व आमन्ता, ननु भगवा सयम्भूति? आमन्ता, न अनुस्सववसेन, सु. नि. अट्ठ. 1.81; - कथा स्त्री., तत्पु. हञ्चि भगवा सयम्भू ... अनुस्सवियो ति, कथा. 241; स. [अनुश्रवकथा], परम्परा से सुना गया कथन, पूर्वकाल अनुस्सवियोति अनुस्सवेन पटिविद्धधम्मो, कथा. अट्ठ. 178. से लोगों द्वारा कही जा रही बात - अनुस्सवेनाति अनुस्सवूपलब्ममत्तेन अ., क्रि. वि., केवल परम्परा या अनुस्सवकथायपि मा गण्हित्थ, अ. नि. अट्ठ. 2.176. किंवदन्ती से प्राप्त ज्ञान द्वारा - ... चक्खुविाणेन अनुस्सवति अनु + सु का वर्त, प्र. पु., ए. व. [अनुस्रवति], दिह्रिदस्सनेनेव वा दिढे अनुस्सपलब्भमत्तेनेव च सुते.....
शा. अ. पीछे पिघल कर बहता है, तरल रूप में बहना उदा. अट्ठ. 290. जारी रखता है, ला. अ. अभिभूत कर देता है; - न्ति ब. अनुस्सार/अनुस्वार पु., अनु + सर से व्यु. [अनुस्वार], व., अभिभूत करते हैं, वश में कर लेते हैं - सब्बुपादानकथा स्वर के बाद में आने वाली निग्गहित-नामक व्यञ्जनध्वनि, ... विहरन्तं आसवा नानुस्सवन्ति, ... स. नि. 1(1).47; जिसका उच्चारण नासिका का निग्रहण कर होता है तथा आसवा नानुस्सवन्तीति चक्खुतो रूपे सवन्ति आसवन्ति जिसे अनुनासिक एवं बिन्दु भी कहा गया है - सद्दसत्थे पन सन्दन्ति ... नानुस्सवन्ति नानुप्पवड्डन्ति, ..., स. नि. अठ्ठ. 2.57. तं अनुस्वारो ति वदन्ति, सद्द. 3.606; - सुति स्त्री., तत्पु. अनुस्सवप्पसन्न त्रि., तत्पु. स. [अनुश्रवप्रसन्न]. किंवदन्ती स. [अनुस्वारश्रुति], अनुस्वार की ध्वनि - चित्तं पुरिसं की बात पर विश्वास या भरोसा रखने वाला - कञ्जन्ति आदीनं अनुस्सारसुतिवसेन अञ्जमझं ..., सद्द. अनुस्सवप्पसन्नानं यदिदं काळी उपासिका कुलघरिका ति. 1.222. अ. नि. 1(1).37; ... ठानन्तरेसु ठपेन्तो इमं उपासिकं अनुस्सावक पु., अनु + सु के प्रेर, से व्यु., कर्तृ. ना. अनुस्सवप्पसन्नानं अग्गट्ठाने ठपेसीति, अ. नि. अट्ठ. [अनुश्रावक], शा. अ. पाठ करके सुनाने वाला, कहने 2.337.
वाला, ला. अ. विनय के कम्मवाचा का पाठ करने वाला
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