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अनोघतिण्ण 317
अनोतत्त अनोघतिण्ण त्रि., ओघतिण्ण का निषे. [अनोघतीर्ण]. वह, अनोजा एव च मे नामं होतूति पत्थनं पट्टपेसि, ध. प. अट्ठ. जिसमें क्लेशों अथवा अकुशलधर्मों के जलप्रवाह को पार 1.314; सा वयप्पत्ता महाकप्पिनरओ गेहं गन्त्वा अनोजादेवी नहीं किया है, क्लेशों से ग्रस्त चित्त वाला - ते चे मुनि ब्रूसि नाम अहोसि.ध. प. अट्ठ. 1.315; अनोजापुप्फसदिसवण्णताय अनोघतिण्णे, अथ को चरहि देवमनुस्सलोके. सु. नि. 1087. पनस्सा अनोजादेवीत्वेव नामं अहोसि, स. नि. अट्ठ. 1.240. अनोज/अणोज स्त्री., व्य. सं., लाल पुष्पों वाले एक वृक्ष । अनोज्ञात त्रि., अव + Vा के भू. क. कृ. अवजात का
या पौधे का नाम, जिसके पुष्पों की मालाएं बनाई जाती हैं निषे. [अनवज्ञात], वह, जो तिरस्कृत या अपमानित नहीं - चोटके ठपेत्वान, अनोज पुष्फमुत्तमं, अप. 1.117; किया गया, अनुपेक्षित - तेसु तेसु वा पन जनपदेसु कोरण्डका अनोजा च, पुफिता नागमल्लिका, जा. अट्ठ. अनोज्ञातं अनवआतं अहीळितं अपरिभूतं चित्तीकतं, एतं 7.304; - पुष्फ नपुं.. तत्पु. स., अनोज-नामक पौधे का उक्कट्ठ नाम, पाचि.8; तुल. एवं द्रष्ट. अनवजात तथा फूल - ... अनोजपुप्फचङ्कोटकं गहेत्वा अनुमोदनकाले सत्थारं अनुज्ञात. अनोजपुप्फेहि पूजेत्वा तं साटकं सत्थु पादमूले ठपेत्वा, अनोणत/अनोनत त्रि., ओनत का निषे. [अनवनत]. ..... ध. प. अट्ठ. 1.314; चकोटके ठपेत्वान, अनोज पुप्फमुत्तमं शा. अ. वह, जो नीचे को झुका हुआ न हो, ला. अ. .... अप. 1.117; - पुष्फचङ्गोटक पु.. तत्पु. स., अनोज- अशिष्ट, अविनम्र, उद्दण्ड - पुन चपर, महाराज, पब्बतो नामक पौधे के फूलों की टोकरी या मञ्जूषा - अतिरेकतरं अनुन्नतो अनोनतो, एवमेव खो, ... न करणीया, मि. प. कत्वा सत्थारं पूजेस्सामीति अनोजपुप्फवण्णेन सहस्समूलेन 356; अनोणतं चित्तं कोसज्जेन इञ्जतीति आनेज. उदा. साटकेन सद्धिं अनोजपुप्फचङ्कोटकं गहेत्वा, .... ध. प. अट्ठ. 150; अनोनतेन पविसितुं न सक्का , ध. प. अट्ठ. अट्ठ. 1.314; - पुष्फदाम नपुं., तत्पु. स., अनोज, नामक 1.324. पौधे के फूलों से बनी हुई माला - तत्थ अलातो एतदब्रवीति अनोणमन नपुं., ओनमन का निषे. [अनवनमन], शा. अ. सो किर कस्सपदसबलस्स चेत्तिये अनोजपुप्फदामेन पूजं नीचे की ओर नहीं झुकना, ला. अ. किसी के प्रति कत्वा ... संसारे संसरन्तो ... बहुं पापमकासि, जा. अट्ठ. आदरभाव प्रकट न करना, किसी की ओर प्रवृत्त न होना - 7.111; - पुष्फवण्ण त्रि., अनोज-नामक पौधे के फूलों के एत्थ च ... सुविदूरभावतो इद्धिया मूलभूतेहि अनोणमनादीहि समान रङ्गवाला - ... अतिरेकतरं कत्वा सत्थारं पूजेस्सामी ति सोळसहि ... आनेञ्जप्पत्तं ... आनेञ्जन्ति वुच्चति, उदा. अनोजपुप्फवण्णेन सहस्समूलेन साटकेन सद्धि.... ध. प. अट्ठ. 150. अट्ठ. 1.314; - पुष्फसदिसवण्णता स्त्री., भाव., अनोज- अनोणमितदण्डजात त्रि., गैर-लचीली छड़ी या कड़े एवं नामक पौधे के फूलों के समान वर्ण या रङ्ग होने की अवस्था सख्त डण्डे के समान, सख्त, दुर्नम्य एवं कठोर रूप में - ... अनोजापुप्फसदिसवण्णताय पनस्सा अनोजादेवीत्वेव उत्पन्न - सो धातो पीणितो परिपुण्णो निरन्तरो तन्दिकतो नाम अहोसि, अ. नि. अट्ठ. 1.240.
अनोणमितदण्डजातो पुनदेव तत्तकं भोजनं भुजेय्य, मि. प. अनोजका/अनोजक स्त्री./पु., लाल रङ्ग के फूलों वाले 224; अ. नि. अट्ठ. 1.345; अनोणमितदण्डजातोति यावदत्थं एक वृक्ष का नाम - पदुमकुमुदुप्पलकुवलयं, भोजनेन ओणमितु असक्कुणेय्यताय अनोणमनदण्डो विय योधिकबन्धुकनोजका च सन्ति, वि. व. 649; अनोजकापि जातो, अ. नि. टी. 1.203; पाठा. अनोन.. सन्तीति पाठं वत्वा अनोजकापीति कुत्तं होतीति अत्थं वदन्ति, अनोतत्त पु., व्य. सं., प्रायः दह के साथ स. प. रूप में वि. व. अट्ठ. 133.
प्रयुक्त, यदा-कदा अनवतत्त रूप में भी प्रयुक्त [बौ. सं. अनोजवन्तु त्रि., ओजवन्तु का निषे. [अनोजवत्], तेज से अनवतप्त], हिमालय पर्वत में अवस्थित सात विशाल विहीन, शक्ति या बल को न देने वाला, निष्प्रभावी - ...... सरोवरों में से एक, जिस पर सूर्य एवं चन्द्रमा का प्रकाश तावतकमेव असमयेन भुत्तं अनोजवन्तं होति, अ. नि. सीधा न पड़ने से तथा जल के सदा शीतल रहने से 2(1).240; अनोजवन्तं होतीति अकाले भुत्तं ओज हरितं न 'अनोतत्त' नाम पड़ा- चन्दिमसरिया दक्षिणेन वा उत्तरेन सक्कोति, अ. नि. अट्ठ. 3.84.
वा गच्छन्ता पब्बतन्तरेण तं ओभासेन्ति, उजु गच्छन्तो न अनोजा स्त्री., व्य. सं., अनोज-नामक वृक्ष के फूलों के ओभासेन्ति, तेनेवस्स अनोतत्तान्ति सङ्घा उदपादि, सु. नि. अनुकरण पर रखा गया एक राजकुमारी का नाम - ..., अट्ठ.2.145; अनोतत्तो तथा कण्णमुण्डो च रथकारका,
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