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अनेकसहस्स
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अनेकानत्थानुबन्ध
अनेकसहस्स त्रि., द्वि. स. [अनेकसहस्र], क. एकवचनान्त नामों के साथ आने पर, कई हजारों वाला, कई हजारों से युक्त - सा एसा, भग्गव, परिसा महा होति अनेकसता अनेकसहस्सा, दी. नि. 3.12; ... सो अनेकसहस्सं भिक्खुसङ्घ परिहरिस्सति, मि. प. 157; ख. बहुवचनान्त नामों के साथ प्रयुक्त होने पर, अनेक सहस्र, कई हजार - अथापि सो सत्तो ... ओलोकेन्तस्स अनेकसहस्सानं सत्तानं मज्झे ठितोपि .... म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).350. अनेकसाख त्रि.. ब. स. [अनेकशाख], बहुत सी कमानियों या तिल्लियों वाला - अनेकसाखञ्च सहस्समण्डलं, छत्तं मरू धारयुमन्तलिक्खे, सु. नि. 693; अनेकसाखन्ति रतनमयानेकसतपटिट्ठानहीरक लीन. (दी.नि.टी.) 2.26... अनेकसारीरिक त्रि., [अनेकशारीरिक]. अनेक शरीरों से सम्बद्ध, अनेक शरीरों से उत्पन्न, बहुत सारे लोगों के हितों से जुड़ा हुआ - सब्बेते अनेकसारीरिकं पुचप्पटिपदं पटिपन्ना होन्ति, अ. नि. 1(1).1963; अनेकसारीरिकन्ति अनेकसरीरसम्भवं, स. नि. अट्ठ. 2.174. अनेकसाहस्सधन त्रि., ब. स. [अनेकसहस्रधन], कई हजारों की संख्या में धन रखने वाला - इद्धानि फीतानि कुलानि अस्सु, अनेकसाहस्सधनानि लोके जा. अट्ठ. 5.16. अनेकसूप त्रि., ब. स. [अनेकसूप]. अनेक प्रकार के रसीले
खाद्य पदार्थों से युक्त, अनेक प्रकार की चटनियों से युक्त (भोजन)- सो अहोसि पिण्डपातो अनेकसूपो अनेकव्यञ्जनो अनेकरसन्यजनो, उदा. 101%; अनेकसू पोति मुग्गमासादिसूपेहि चेव खज्जविकतीहि च अनेकविधसूपो, उदा. अट्ठ, 160; ... पिण्डपातं भुञ्जति विचितकाळकं अनेकसूपं अनेकव्यञ्जनं, म. नि. 1.48; - रसव्यञ्जन त्रि., ब. स. [अनेकसूपरसव्यञ्जन], अनेक प्रकार की चटनियों, रसीले पदार्थों तथा व्यञ्जनों से युक्त - अनेकसूपरसब्यञ्जनोति अनेकेहि सूपेहि चेव ब्यञ्जनेहि च मधुरादिमूलरसानञ्चेव सभिन्नरसानञ्च अभिव्यञ्जको, नानग्गरससूपब्यञ्जनोति अत्थो, उदा. अट्ठ. 160; - व्यञ्जन त्रि., ब. स. [अनेकसूपव्यञ्जन], अनेक तरह की चटनियों एवं व्यञ्जनों वाला - सा अनेकसूपव्यञ्जनं बहुभत्तं पचि,
जा. अट्ठ. 6.194. अनेकसेतिमिन्द पु., व्य. सं., पेगू एवं म्यां-मां के शासक बयिन्नौङ्ग का नाम - अनेकसेतिभिन्दो किर राजा योनकरटुं विजयकाले पठम सासनस्स पतिद्वानभूतं इदं तिकत्वा .... सा. वं. 49(ना.).
अनेकसो अ, क्रि. वि. [अनेकशः], कई बार, बारम्बार, पुनःपुनः - लोलवत्थु अनेकसो वित्थारितमेव, जा. अट्ठ. 3.196. अनेकस्सर त्रि., ब. स. [अनेकस्वर], एक से अधिक स्वरों वाला, बहुस्वरीय - धातुस्स अन्तो क्वचि लोपो होति यदानेकसरस्स, अनेकसरस्सेति किमत्थं, पाति, याति, दाति, भाति, वाति, क. व्या. 523. अनेकाकार त्रि., ब. स. [अनेकाकार], अनेक आकारों या स्वरूपों वाला, प्रायः स. प. के पू. प. के रूप में प्रयुक्त; - वोकार त्रि., ब. स. [अनेकाकारव्यवकार], विभिन्न आकारों एवं विशेषताओं वाला - एवं महाथेरो अनेकाकारवोकार रतनत्तयगुणेसु अविभूतेसु ... पटिसंवेदन्तो निसीदि, उदा. अट्ठ. 217-18; ... अनेकाकारवोकारं असुभभावनानुयोगमनुयुत्ता विहरन्ति, पारा. 81; पुब्बेव मया ... वत्वा अनेककारवोकारं वचीदुच्चरितसन्निस्सितं आदीनवं पे. व. अट्ठ. 10; - वोकिण्ण त्रि., तत्पु. स. [अनेकाकारव्यवकीर्ण], उपरिवत् - अनेकाकारवोकिण्णो अनेककारणसम्मिस्सोति वृत्तं होति, पारा. अट्ठ. 2.5; - सम्पन्न त्रि., तत्पु. स. [अनेकाकारसम्पन्न]. अनेक प्रकार के अच्छे गुणों से परिपूर्ण, बहुत सारी विशिष्टताओं से युक्त - अनेकाकारसम्पन्ने, सारिपुत्तम्हि निब्बुते, थेरगा. 1167; अनेकाकारसम्पन्न, पयिरुपासन्ति गोतमन्ति, थेरगा. 1260; अनेकाकारसम्पन्नन्ति अनेकेहि गुणेहि समन्नागतं, स. नि. अट्ठ. 1.250; - सम्मिस्स त्रि., ब. स., अनेक प्रकार के आकारों एवं विशिष्टताओं से समन्वित - अनेकाकारवोकिण्णो अनेककारणसम्मिस्सोति वृत्तं होति, पारा. अट्ठ. 2.5. अनेकादीनव त्रि., ब. स., बहुत सारी विपत्तियों से परिपूर्ण - ... समुद्दो अनेकादीनवो, मा गमी ति निवारेसि, जा. अट्ठ. 4.2. अनेकाधिवचन नपुं, तत्पु. स. [अनेकाधिवचन], बहुवचन
को सूचित करने वाली अभिव्यक्ति, केवल स. प. के पू. प. के रूप में प्रयुक्त; - कुसल त्रि., तत्पु. स., बहुवचनवाचक शब्दों के प्रयोग में कुशल - अयञ्च वुच्चति अत्थकुसलो ... एकाधिवचनकुसलो अनेकाधिवचनकु सलो, ...
जनपदनिरुत्तियो, नेत्ति. 29. अनेकानत्थानुबन्ध त्रि., ब. स. [अनेकानर्थानुबन्ध], अनेक प्रकार के अनर्थों अथवा अहितकारक बातों के साथ जुड़ा हुआ, बहुत से हानिकारक एवं विघ्नकारक तत्त्वों से युक्त - ... तेसं मनुस्सानं आपानभूमिरमणीयेसु ... अनेकानत्थानुबन्धेसु घोरासरहकटुकफलेसु..., उदा. अट्ठ. 297.
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