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अनुवस्सक 291
अनुवाद अनुवस्सक त्रि., अनुवस्स से व्यु. [अनुवार्षिक], वार्षिक, तस्स हि गन्धो अनुवातं गच्छति, अ. नि. अट्ठ. 2.198; विलो. प्रतिवर्ष वाला -निवेसेसि, बलिं तेसं अजेसं चानुवस्सक, पटिवातं; - पटिवातं अ., क्रि. वि. [अनुवातप्रतिवातं]. हवा म. कं 10.86; अनुवस्सं समुतं सतसहस्सद्वयारह म. कं 7.73. के बहने की दिशा में तथा हवा बहने की प्रतिकूल दिशा में अनुवस्सिक त्रि., वह भिक्षु, जिसने एक वर्षावास पूरा किया - किञ्चि गन्धजातं यस्स अनुवातम्पि गन्धो गच्छति, है, एक वर्षावास को पूर्ण किया हुआ भिक्षु या प्रव्रजित व्यक्ति पटिवातम्पि गन्धो गच्छति, अनुवातपटिवातम्पि गन्धो गच्छतीति, - अनुवस्सिको पब्बजितो, पस्स धम्मसुधम्मतं, थेरगा. 24; अ. नि. 1(1).256. पब्बजितोति पब्बजं उपगतो, पब्बजितो हुत्वा उपगतवस्समत्तो अनुवातकरण नपुं., भिक्षु-चीवर की अतिरिक्त सिलाई अथवा एकवस्सिकोति अत्थो, थेरगा. अट्ठ. 1.84.
अनुवात का प्रबन्ध - न अनुवातकरणमत्तेन अत्थतं होति अनुवहना स्त्री., अनु + Vवह से व्यु., एक दूसरे से अविच्छिन्न कथिन, महाव. 331; अनु वातकरणमत्ते नाति रूप से जुड़ा हुआ क्रम, तांता, सिलसिला, अनुक्रम - पद्विअनुवातारोपनमत्तेन, महाव. अट्ठ. 369.
अनुबन्धनाति अनुवहना, विसुद्धि. 1.266; पारा. अट्ठ. 2.21. अनुवातमग्ग पु., कर्म, स. [अनुवातमार्ग], हवा के बहने अनुवाक पु., [अनुवाक], वैदिक-संहिता के उपविभागों में से वाली दिशा की ओर जा रहा मार्ग - सचे अनुवातमग्गेन न एक का नाम, वेद के उपभाग या अध्याय - देवदत्तस्स सक्का होति गन्तुं ..., विसुद्धि. 1.175. विसयोनुवाको, मो. व्या. 4.16; मासमधीतोनुवाको न चानेन अनुवाते अ., अव्ययी. स., हवा के बहने वाली दिशा में, वह गहितोति, मो. व्या. 2.3.(पृ.) 27.
दिशा, जिसकी ओर हवा हो, अनुकूल स्थिति में, अप्रतिकूल अनुवाचेति अनु + Vवच के प्रेर. का वर्त, प्र. पु., ए. व., दशा में - परिगहिस्सामि नन्ति अनुवाते ठत्वा तस्स पूर्वकाल में पढ़ाए गए विषय को पुनः पढ़ाता है, अनुवाचन सरीरगन्धं घायित्वा अयं अम्हे मारेत्वा मंसं खादितुकामो, करता है, बाद में पाठ करता है - तदनुगायन्ति तदनुभासन्ति जा. अट्ठ. 2.315; सक्को देवानमिन्दो ... खग्गं भासितमनुभासन्ति वाचितमनुवाचेन्ति, दी. नि. 1.91; म. नि. सीलवन्ते कल्याणधम्मे अनुवातं पञ्जलिको नमस्समानो 2.388; वाचितमनुवाचेन्तीति तेहि असं वाचितं अनुवाचेन्ति, अहासि, स. नि. 1(1).261; यो समं अनुवाते च, पटिवाते च म. नि. अट्ट (म.प.) 2.298; दी. नि. अट्ट. 1.221. वायति, विसुद्धि. 1.10. अनुवात पु., भिक्षु के चीवर में की गयी अतिरिक्त सिलाई - अनुवाद पु., [अनुवाद], क. निन्दा, दोषारोपण - न पकतत्तस्स पिमिअनुवातारोपनमत्तेनाति दीघतो अनुवातस्स आरोपनमत्तेन, भिक्खुनो उपोसथो ठपेतब्बो, ..., न अनुवादो पट्टपेतब्बो, वि. वि. टी. 2.182; अनुजानामि, भिक्खवे, अनुवातं परिभण्डं न .... चूळव. 10; न अनुवादोति विहारे जेट्टकट्ठानं न आरोपेतुन्ति, महाव. 388; अनुवातं परिभण्डन्ति अनुवातञ्चेव कातब्बं, चूळव. अट्ठ.9; यो तत्थ अनुवादोति यो अनुवदन्तेसु परिभण्डच्च, महाव. अट्ठ. 386; सो पच्चेकबुद्धो तत्थ उपवादो, चूळव. अट्ट. 39; ख. ऐश्वर्य या आधिपत्य के भाव चीवरकम्मं करोन्तो अनुवाते अप्पहोन्ते संहरित्वाव ठपेतुं से किया गया दोषारोपण - ... भिक्खुनियो भिक्खून उपोसथं आरद्धो, पे. व. अट्ठ. 62; - करण नपुं., भिक्षु के चीवर की ठपेन्ति, .... अनुवादं पट्टपेन्ति, ओकासं कारेन्ति, चोदेन्ति, अतिरिक्त सिलाई अथवा उसकी आपूर्ति - न सारेन्ति, चूळव. 441; अनुवादन्ति इस्सरियट्ठानं, वजिर. टी. अनुवातकरणमत्तेन अत्थतं होति कथिनं, महाव. 331; 490; ग. समर्थन, पक्षग्रहण, पक्ष के समर्थन में बोलना - यो अनुवातकरणमत्तेनाति पट्ठिअनुवातारोपनमत्तेन, महाव. अठ्ठ. तत्थ अनुवादो अनुवदना अनुल्लपना ... अनुबलप्पदानं -
इदं वुच्चति अनुवादाधिकरणं चूळव. 1.96; यो तत्थ अनुवादोति अनुवातं अ., क्रि. वि. [अनुवातं], हवा बहने की दिशा में, यो तेसु अनुवदन्तेसु उपवादो, चूळव. अट्ठ. 39; विपत्तियो वायुप्रवाह के अनुकूल रूप में, अनुकूल रूप में - अनुवातं चतस्सोव ... अनुवादो उपागतो, विन. वि. 2762; 2766%3; योजनसतं गन्धो गच्छति, अ. नि. 2(2).250; येसं अनुवातं 2768; स. उ. प. के रूप में अत्तानु, परानु., वादानु., सानु. येव गन्धो गच्छति, नो पटिवातं, अ. नि. 1(1).256; ..., येन के अन्त. द्रष्ट.; - मूल नपुं., निन्दा या दोषारोपण का सीलगन्धेन अनलित्ता भगवतो पत्ता सदेवकं लोकं कारण- छः अनुवादमूलानि अनुवादाधिकरणस्स मूलं, चूळव. सीलगन्धेन धूपेन्ति सम्पधूपेन्ति, दिसम्पि अनुदिसम्पि 197; - विमुत्त त्रि., निन्दा अथवा दोषारोपण से मुक्त - अनुवातम्पि पटिवातम्पि वायन्ति अतिवायन्ति, मि. प. 3033; अननुवज्जा चाति अनुवादविमुत्ता, सु. नि. अट्ठ. 2.112;
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