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अनुरूप
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अनुलग्ग होना - अनुरुद्ध कामे, काम इच्छा, अनुपुब्बो रुधधातु अनुरोदति अनु + रुद का वर्त.. प्र. पु., ए. व. [अनुरोदति]. इच्छायं वत्तति, अनुरुद्धो अनुरोध, अनुस्मा ति कि विरोधो किसी वस्तु की चाह में रोता है, अभीप्सित को उद्देश्य बना तत्थ अनुरुद्धो ति अनुरुज्झति पणीतं पणीतं वत्थु कामेती कर रोता है - यथापि दारको चन्द, गच्छन्तमनरोदति, पे. ति अनुरुद्धो, अनुरोधो ति अनुकूलता, अयं पाळी, सो उप्पन्नं व. 91; जा. अट्ठ. 3.143; सो हि विज्जमानचन्दं अनुरोदति, लाभं अनुरुज्झति अलाभे पटिविरुज्झतीति, सद्द. 2.485%3; जा. अट्ठ. 3.143; अनुरोदतीति मय्हं रथचक्कं गहेत्वा प्रयोग के लिए द्रष्ट. अनुरुज्झति, अनुरुद्ध आदि के अन्त.. देही ति अनुरोदति, पे. व. अट्ठ. 55. अनुरूप त्रि., [अनुरूप], उचित या समान प्रकृति वाला, अनुरोध पु., अनु + रुध से व्यु. [अनुरोध], विनती, एकदम मिलता-जुलता, योग्य, उपयुक्त, अनुकूल, सुखद आराधना, इच्छापूर्ति हेतु निवेदन, लिहाज, विचार, समरूपता, (ष. वि. में अन्त होने वाले पदों के साथ या समास में अनुकूलता - थानुरोधोनुवत्तनं, अभि. प. 345; ... अनुरोधो प्रयुक्त)- अत्थेन अत्थिको तरस अत्थत्थिकभावस्स अनुरूप ति अनुकूलता, विसुद्धि. 2.485; ... समानताय च अत्तनि किलेसग्गिवूपसमेन सन्तं, .... सु. नि. अट्ठ. 2.120; अनुरोधं विनेन्तो एवं ..., सु. नि. अट्ठ. 2.192; अनुरोधोति तस्मास्स अनुरूपसेनासनं दस्सेन्तो भगवा अरअगतो अनुकूलता, सद्द. 2.485; - विरोध पु.. ए. व. एवं ब. व. वातिआदिमाह, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).259; ... अननुरूप में प्रयुक्त, द्व. स. [अनुरोधविरोध]. शा. अ. अनुकूल एवं विहारं पहाय अनुरूपे विहारे विहरन्तेन ..., विसुद्धि. 1.88; विपरीतभाव, स्वीकृति एवं निषेध, ला. अ. राग एवं द्वेष - अञञ्च बहुं अत्तनो अनुरूपं वदन्तो अट्टासि जा. अट्ठ. सो एवं अनुरोधविरोधं समापन्नो यं किञ्चि वेदनं वेदेति सखं 1.100; पुब्बे पन तेन कतस्स कम्मरस अनुरूपमेव मरणं वा दुक्खं वा ..., म. नि. 1.338; अनुरोधविरोधन्ति रागञ्चेव पत्तो, ध. प. अट्ठ. 2.39; - पा स्त्री०, उपयुक्त समान, दोसञ्च, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).206; अनुरोधविरोधेहि, एकदम मिलती जुलती- सण्हतुङ्गसदिसी चाति सण्हा तुङ्गा विप्पमुत्तो तथागतो ति, स. नि. 1(1).132; चतुत्थे सेसमुखावयवानं अनुरूपाच, थेरीगा. अट्ठ. 235; - पं नपुं. अनुरोधविरोधेसूति रागपटिघेसु. स. नि. अट्ठ. 1.156; - क्रि. वि., ष. वि. में अन्त होने वाले पदों के साथ अथवा स. विप्पमुत्त त्रि., राग और द्वेष की अकुशल चित्तवृत्तियों से उ. प. के रूप में प्रयुक्त [अनुरूपं], सरलतापूर्वक, सुखदरूप पूरी तरह से मुक्त - योगानुभावो हि एस, यदिदं में, अनुकूलता में, अनुरूपं, मो. व्या. 3.2; - तो प. वि. अनुरोधविरोधविप्पमुत्तो अरतिरतिसहो अभूतपक्खेपभूताप्रतिरू. निपा., क्रि. वि., सप्त. वि. में अन्त होने वाले पदों पनयनविरहितो च होति, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).255; - के साथ अथवा स. उ. प. के रूप में प्रयुक्त [अनुरूपतः], विप्पहीन त्रि., वह, जिसने राग और द्वेष को पूरी तरह सङ्गति में, सरलता के साथ, अनुकूल रूप में - से नष्ट कर लिया है - अनुरोधविरोधविप्पहीनो, सम्मा सो उक्कंसरसावकंसस्स, अन्तरे अनुरूपतो, अभि. अव. 100%; लोके परिब्बजेय्य, सु. नि. 364; ततियगाथाय अत्थानुरूपतो सद, अत्थं सद्दानुरूपत्तो, सद्द. 1.44; स. उ. अनुरोधविरोधविप्पहीनो ति सब्बवत्थूसु पहीनरागदोसो. सु. प. के रूप में अज्झासयानु., अत्थानु., अननु, अधिप्पायानु०, नि. अट्ठ.2.86; 192; - समतिक्कन्त त्रि., [अनुरोधविरोधअपराधानु, अभिसमयानु., आविभावानु. इच्छानु, ओकासानु, समतिक्रान्त], वह, जो राग और द्वेष के अकुशल मनोभावों कम्मानु.. कालानु, आणबलानु., तथानु, तदनु, पञानु.. को पार कर चुका है, राग एवं द्वेष पर विजय पा चुका पटिञानु, पाळिनयानु.. मगधभासानु., यथानु., योगानु.. व्यक्ति - अनुनयपटिघविप्पहीनो उग्घातिनिघातिवीतिवत्तो वचीदुच्चरितानु, वयानु, विभावानु.. सकसकभासानु, सद्दानु, अनुरोधविरोधसमतिक्कन्तो, महानि. 82; अनुरोधविरोधससानु, सुभानु के अन्त. द्रष्ट; - त्त नपुं, भाव. [अनुरूपत्व]. मतिक्कन्तोति अनुनयञ्च पटिघञ्च सम्मा अतिक्कन्तो, समानता, अनुकूलता, हितकरता - मतिया अनुरूपत्ता, महानि. अट्ट, 194; - समापन्न त्रि., [अनुरोधविरोधसमापन्न], अनुमज्जनलक्खणो, अभि. अव. 122; - समावभूत त्रि., राग और द्वेष से ग्रस्त - सो एवं अनरोधविरोधसमापन्नो न [अनुरूपस्वभावभूत], किसी की प्राप्ति में सहायक स्वभाव । परिमच्चति जातिया जराय मरणेन ... दोमनस्सेहि उपायासेहि वाला, अनुरूप स्वभाव वाला - धम्मानुधम्मप्पटिपन्नोति अ. नि. 3(1).9; म. नि. 1.338. लोकुत्तरस्स निब्बानधम्मस्स अनुधम्मभूतं पटिपदं पटिपन्नो, । अनुलग्ग त्रि., [अनुलग्न], साथ में लगा हुआ, पीछे से जोड़ा हुआ, अनुधम्मभूतन्ति अनुरूपसभावभूतं, स. नि. अट्ठ. 2.31. अनुगत - अन्वासत्ताति अनुलग्गा वोकिण्णा, उदा. अट्ठ. 177.
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