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अनुनतिस्स
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अनुलेपनमत्तिका अनुलतिस्स पब्बत पु., श्रीलङ्का के गङ्गराजि-क्षेत्र में स्थित सीलगन्धेन अनुलित्ता भगवतो पुत्ता सदेवकं लोक एक पर्वत तथा एक विहार का नाम - पाचीनतो सीलगन्धेन धूपेन्ति सम्पधूपेन्ति, मि. प. 303; स. उ. प. के अनळतिस्सपब्बतं गङ्गराजियं ति पाचीनदिसायं गङ्गराजियं रूप में चन्दनगन्धरसानुलित्त, चन्दनसारानु, चन्दनानु. अनुळातिस्सपब्बतं नाम विहारं न नियेलतिरसारागमंचा ति आदि के अन्त. द्रष्ट.; - सीलगन्ध त्रि., ब. स. नियेलतिस्सपब्बतरामविहारं च, म. वं. टी. 616(ना.). [अनुलिप्तशीलगन्ध], वह, जिसे शील रूपी सुगन्धित पदार्थ अनुला/अनुळा स्त्री., व्य. सं.. 1. कश्यप बुद्ध की एक का लेप या उबटन किया गया है, शीलवान् - परूळ्हकच्छलोमो प्रमुख शिष्या या अग्रश्राविका का नाम - तस्स भगवतो सो अनजितअमण्डितो अनलित्तसीलगन्धो, मि. प. 161. जातनगरं बाराणसी नाम अहोसि, ब्रह्मदत्तो नाम ब्राह्मणो अनुलिम्पति अनु + लिम्प का वर्त, प्र. पु., ए. व. पिता, धनवती नाम ब्राह्मणी माता, तिसो च भारद्वाजो च द्वे [अनुलिम्पति, अनुलिम्पते]. लेप करता है, उबटन करता अग्गसावका, सब्बमित्तो नामुपट्टाको, अनुळा च उरुवेला च है, लीपता या पोतता है, लेप लगाता है, आच्छादित कर वे अग्गसाविका, निग्रोधरुक्खो बोधि, ..., जा. अट्ठ. 1.53; देता है - कुसलो भिसक्को.... अन्तोसल्लं सुसिरगतं ... अनुळा उरुवेळा च, अहेसुंअग्गसाविका, बोधि तस्स भगवतो, वणं वूपसमेन्तो वणमुखं ... भेसज्जेन अनुलिम्पति निग्रोधोति पवुच्चति, बु. वं. 26.39; 2. वाराणसी के चूळसेट्ठी परिपच्चनाय, ..., मि. प. 120; - म्पिं अद्य., उ. पु., ए. की एक पुत्री का नाम - बाराणसियं ... चूळसेटि नाम व., मैंने अवलेपन किया - फलं बुद्धस्स दत्वान, अगळु अहोसि, सो कालं कत्वा पेतेसु निब्बत्ति, तस्स कायो .... अनुलिम्पहं, अप. 1.383; काळानुसारियं गरह, अनुलिम्पिं अहोसि, धीता पनस्स अनुला ... पे. व. अट्ठ. 93; तथागतं, अप. 1.356; - म्पेत्वा पू. का. कृ., लेप लगाकर 3. श्रीलङ्का के शासक देवानम्पिय तिस्स के भाई महानाग - सम्बुद्धमनुलिम्पेत्वा, सन्थविं लोकनायकं अप. 1.356; - की रानी तथा मुटसीव की उस पुत्री का नाम, जिसने म्पितब्ब सं. कृ., लेप किया जाना चाहिए- एवमेव सङ्घमित्रा से प्रव्रज्या ग्रहण की - ... अनुळा देवी पब्बजितुकामा खो, महाराज, योगिना ... मेत्ताभेसज्जेन मानसं अनलिम्पितब्ब हुत्वा रओ आरोचेसि, .... पारा. अट्ठ. 1.63; 4. खल्लाहनाग मि. प. 364; - म्पन नपुं., क्रि. ना. [अनुलेपन], लेप या एवं वट्टगामिणि की रानी का नाम - महाळिकनाम तं उबटन लगाने की क्रिया - सत्तग्गहणछेदनलेखनवेधनपुत्तहाने उपेसि च, तम्मातरं अनुळादेवि महसिं च अकासि सल्लुद्धरणवणधावन सो सनभे सज्जालिम्पनवमसो, म. वं. 33.35-36; 5. चोरगाग, सिव एवं वटुक की रानी नविरेचनानुवासनकिरियमनुसिक्खित्वा .... मि. प. 320; - का नाम - चोरनागरस देवी तु विसमं विसमानुला, ..., म. म्पेति प्रेर. का वर्त, प्र. पु., ए. व. [अनुलिम्पयति], लेप वं. 34.16-29.
लगवाता है, मलहम के लेप को लगवाता है - ... अनुलेपनीयं अनुळाप पु., अनु + Vलप से व्यु. [अनुलाप], कथन की अनुलिम्पेति, अनुवासनीयं अनुवासेति, मि. प. 166; ते
पुनरावृत्ति, पुनरुक्ति - मुहुम्भासानुलापो, अभि. प. 123. सदेवकं लोकं सीलवरचन्दनगन्धेन अनलिम्पयन्तीति, मि. अनुळार त्रि., उळार का निषे. [अनुदार]. छोटा, हल्का, वह, प. 236. जो बड़ा अथवा विशाल नहीं है; - क त्रि., उपरिवत् - अनुलेप पु०, अनु + लिप से व्यु., क्रि. ना. [अनुलेप], चतुरासीतिसहस्सानि पूजा च अनुळारिका, म. वं. 34.59; - मलहम लगाकर पट्टी या प्लास्टर बांध देना - निट्टिते त्त नपुं.. भाव. [अनुदारत्व]. हल्का-फुल्का या साधारण होने नवकम्मे च, अनुलेपमदासहं, अप. 1.269; दिस्सन्ति, भन्ते की अवस्था - तस्स च अप्पकत्ता अनुळारत्ता च आसनकान्ति नागसेन, वेज्जानं उपक्कमा भेसज्जपानानुलेपा, मि. प. आह, वि. व. अट्ट, 18.
152. अनुलित्त त्रि., अनु + लिम्प का भू. क. कृ. [अनुलिप्त]. अनुलेपदायक पु.. व्य. सं., दो स्थविरों के लिये प्रयुक्त वह, जिसे सुगन्धित तेल आदि का लेप लगाया गया है उपाधि - इत्थं सुदं ... अनुलेपदायको थेरो इमा गाथायो अथवा उबटन किया गया है - राजा न्हातानुलित्तो अभासित्थाति, अप. 1.176; 269-70. सुमण्डितप्पसाधितो नानग्गरसभोजनं भुजि, जा. अट्ठ. अनुलेपनमत्तिका स्त्री., तत्पु. स. [अनुलेपनमृत्तिका], लीपने1.257; जातिसुमनमल्लिकादीनं विय पुष्कं नहातानुलित्तस्स, पोतने के काम में प्रयुक्त मिट्टी - मत्तिकन्ति अनुलेपमत्तिक जिघच्छितस्स विय पणीतभोजनं, मि. प. 323; येन म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).128.
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