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अनुपुब्बपटिपदा
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अनुपुब्बसेट्ठिपुत्त 3(1).218; एकादसमे अनुपुब्बनिरोधाति अनुपटिपाटिनिरोधा, अनुपुब्बविपस्सना स्त्री., कर्म. स. [अनुपूर्वविपश्यना], क्रमशः अ. नि. अट्ठ. 3.274.
विकसित विपश्यना-ज्ञान - तस्सेवं पवत्तानुपुब्बविपस्सनस्सेव अनुपुब्बपटिपदा स्त्री, कर्म. स. [अनुपूर्व-प्रतिपत्], क्रमशः सङ्घारारम्मणगोत्रभुञाणानन्तरं फलसमापत्तिवसेन निरोधे आगे बढ़ने वाली प्रगति, क्रमसङ्गत पद्धति से आगे बढ़ रहा चित्तमप्पेति, उदा. अट्ठ. 28-9; विसुद्धि. 2.340. मार्ग - ब्राह्मणानं दिस्सति अनुपुब्बसिक्खा अनुपुब्बकिरिया अनुपुब्बविहार पु., कर्म. स. [अनुपूर्वविहार], क्रमशः ऊपर अनुपुब्बपटिपदा ... म. नि. 3.50; इमस्मि धम्मविनये की ओर बढ़ रहे समाधि के चरण, ध्यानभावना की क्रमशः अनुपुब्बसिक्खा अनुपुब्बकिरिया अनुपुब्बपटिपदा, उदा. 130; अग्रसर हो रही अवस्थाएं - प्रथम ध्यान, द्वितीय ध्यान, अनुपुब्बपटिपदाय सत्त अनुपस्सना अट्ठारस महाविपस्सना तृतीय ध्यान, चतुर्थ ध्यान, आकाशानन्तायतन विज्ञानायतन, ..., उदा. अट्ठ. 247; इमस्मिं धम्मविनये अनुपुब्बसिक्खा नैवसंज्ञानासंज्ञायतन तथा संज्ञावेदयितृनिरोध - नव अनुपुब्बकिरिया अनुपुब्बपटिपदा, अ. नि. 3(1).41; (प्रायः अनुपुब्बविहारा, दी. नि. 3.211; अ. नि. 3(1).219; अनुपुब्बसिक्खा एवं अनुपुब्बकिरिया के साथ ही प्रयुक्त). अनुपुब्बविहाराति अनुपटिपाटिया समापज्जितब्बविहारा, दी. अनुपुब्बपदवण्णना क. स्त्री., कर्म. स. [अनुपूर्व-पदवर्णना], नि. अट्ठ. 3.209; अ. नि. अट्ठ. 3.275%; - समापत्ति स्त्री., पदों का क्रमसङ्गत पद्धति के सहारे किया गया व्याख्यान, तत्पु. स. [अनुपूर्वविहारसमापत्ति], नीचे से ऊपर की ओर ऐसी व्याख्या, जिसमें एक एक पद के अर्थ का वर्णन क्रमशः बढ़ रही ध्यान की प्रथम ध्यान आदि 9 अवस्थाओं मिलता हो - अयं मातिकाय अनुपुब्बपदवण्णना, ध. स. में प्राप्त मानसिक उपलब्धियां - नवयिमा, भिक्खवे, अट्ठ. 100.
अनुपुब्बविहारसमापत्तियो देसेस्सामि, अ. नि. 3(1).219; ... अनुपुब्बपब्मार पु., [बौ. सं. अनुपूर्वप्राग्भार], एक ढलान या नवानुपुब्बविहारसमापत्तियो अनुलोमप्पटिलोमं समापज्जीति, प्रपात के बाद दूसरी ढलान वाला, एक के बाद क्रमशः आ मि. प. 172; नवानुपुब्बविहारसमापत्तिञाणानि दसबलत्राणानि रही दूसरी ढलानों से युक्त - महासमुदो, भिक्खवे, अनुपुब्बनिन्नो च तथभावे वेदितब्बानि, उदा. अट्ठ. 107. अनुपुब्बपोणो अनुपुब्बपब्भारो, उदा. 128; चूळव. 393; अ. अनु पुब्बविहारि/ अनुपुब्बविहारी त्रि., कर्म. स. नि. 3(1).39.
[अनुपूर्वविहारी], ध्यान की प्रथम ध्यान आदि नौ अवस्थाओं अनुपुब्बपस्सद्धि स्त्री., कर्म. स. [अनुपूर्वप्रश्रब्धि], चार में क्रमशः आगे बढ़ने वाला - अनुपुब्बविहारि तत्थ सो, ध्यानों के दौरान क्रमशः प्राप्त शान्ति, क्रम से उदित उदा. 161; अनुपुब्बविहारि तत्थ सोति एवं तीसुपि ... उपशमभाव - अनुपुब्बपस्सद्धि अनुपुब्बपस्सद्धीति, आवुसो, सङ्घारगते अनुपस्सन्तो अनुक्कमेन ... अनुपुब्बविहारी समानो, वुच्चति ..., अ. नि. 3(1).260..
उदा. अट्ठ. 306. अनुपुब्बपोण त्रि.. ब. स. [अनुपूर्वप्रवण], क्रमशः नीचे की अनुपुब्बसमापत्ति स्त्री., कर्म. स. [अनुपूर्वसमापत्ति, ध्यान
ओर ढालू या ढलानदार हो रहा - महासमुद्दो, भिक्खवे, की नौ अवस्थाओं में अनुभव की जाने वाली क्रमशः प्राप्त अनुपुब्बनिन्नो अनुपुब्बपोणो अनुपुब्बपल्भारो, उदा. 128; चूळव. आध्यात्मिक उपलब्धियां - ... तिण्णं समाधीन 393; अ. नि. 3(1).39; तुल. अनुपुब्बन्नि तथा अनुपुब्बपब्भार पठमज्झानसमापत्तिआदीनञ्च नवन्नं अनपब्बसमापत्तीनं, म. (ऊपर).
नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).342. अनुपुब्बमुञ्चन नपुं., कर्म. [अनुपूर्वमोचन], क्रमशः प्राप्त अनुपुब्बसिक्खा स्त्री., कर्म. स. [अनुपूर्वशिक्षा], क्रमशः छुटकारा, क्रमबद्ध रूप में प्राप्त मुक्ति - एवं सत्तधा ... अथवा व्यवस्थित रूप से दी गयी अथवा प्राप्त की गयी शिक्षा अनुपुब्बतो, ... अनुपुब्बमुञ्चनतो, अप्पनातो, तयो च .... - इमस्स ... अनुपुब्बसिक्खा अनुपब्बकिरिया अनुपब्बपटिपदा आचिक्खितब्ब, विभ. अट्ठ. 216-17; एवं मनसिकरोन्तो यदिदं म. नि. 3.50; उदा. 130; तत्थ अनपब्बसिक्खाय तिस्सो अयमेते धम्मे अनब्बमुञ्चनतो मनसि करोति, ख पा. अट्ट 55. भिक्खा गहिता, उदा. अट्ठ. 246; प्रायः अनुपुब्बकिरिया एवं अनुपुब्बववत्थान नपुं, कर्म. स. [अनुपूर्वव्यवस्थान]. क्रमसङ्गत अनुपुब्बपटिपदा शब्दों के साथ ही प्रयुक्त. ढङ्ग से किया गया व्यवस्थापन, बातों की क्रमबद्ध रूप में अनुपुब्बसेट्टिपुत्त पु., एक व्यापारी के युवा पुत्र का उपनाम प्रस्तुति - अनुपुब्बववत्थाने, कारणञ्च विनिद्दिसे, खु. पा. -- सो एवं अनुपुब्बेन पुञकम्मरस कतत्ता अनुपुब्बसेहिपुत्तो अट्ठ. 4.
नाम जातो, ध. प. अट्ठ. 1.170.
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