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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुपुब्बपटिपदा 266 अनुपुब्बसेट्ठिपुत्त 3(1).218; एकादसमे अनुपुब्बनिरोधाति अनुपटिपाटिनिरोधा, अनुपुब्बविपस्सना स्त्री., कर्म. स. [अनुपूर्वविपश्यना], क्रमशः अ. नि. अट्ठ. 3.274. विकसित विपश्यना-ज्ञान - तस्सेवं पवत्तानुपुब्बविपस्सनस्सेव अनुपुब्बपटिपदा स्त्री, कर्म. स. [अनुपूर्व-प्रतिपत्], क्रमशः सङ्घारारम्मणगोत्रभुञाणानन्तरं फलसमापत्तिवसेन निरोधे आगे बढ़ने वाली प्रगति, क्रमसङ्गत पद्धति से आगे बढ़ रहा चित्तमप्पेति, उदा. अट्ठ. 28-9; विसुद्धि. 2.340. मार्ग - ब्राह्मणानं दिस्सति अनुपुब्बसिक्खा अनुपुब्बकिरिया अनुपुब्बविहार पु., कर्म. स. [अनुपूर्वविहार], क्रमशः ऊपर अनुपुब्बपटिपदा ... म. नि. 3.50; इमस्मि धम्मविनये की ओर बढ़ रहे समाधि के चरण, ध्यानभावना की क्रमशः अनुपुब्बसिक्खा अनुपुब्बकिरिया अनुपुब्बपटिपदा, उदा. 130; अग्रसर हो रही अवस्थाएं - प्रथम ध्यान, द्वितीय ध्यान, अनुपुब्बपटिपदाय सत्त अनुपस्सना अट्ठारस महाविपस्सना तृतीय ध्यान, चतुर्थ ध्यान, आकाशानन्तायतन विज्ञानायतन, ..., उदा. अट्ठ. 247; इमस्मिं धम्मविनये अनुपुब्बसिक्खा नैवसंज्ञानासंज्ञायतन तथा संज्ञावेदयितृनिरोध - नव अनुपुब्बकिरिया अनुपुब्बपटिपदा, अ. नि. 3(1).41; (प्रायः अनुपुब्बविहारा, दी. नि. 3.211; अ. नि. 3(1).219; अनुपुब्बसिक्खा एवं अनुपुब्बकिरिया के साथ ही प्रयुक्त). अनुपुब्बविहाराति अनुपटिपाटिया समापज्जितब्बविहारा, दी. अनुपुब्बपदवण्णना क. स्त्री., कर्म. स. [अनुपूर्व-पदवर्णना], नि. अट्ठ. 3.209; अ. नि. अट्ठ. 3.275%; - समापत्ति स्त्री., पदों का क्रमसङ्गत पद्धति के सहारे किया गया व्याख्यान, तत्पु. स. [अनुपूर्वविहारसमापत्ति], नीचे से ऊपर की ओर ऐसी व्याख्या, जिसमें एक एक पद के अर्थ का वर्णन क्रमशः बढ़ रही ध्यान की प्रथम ध्यान आदि 9 अवस्थाओं मिलता हो - अयं मातिकाय अनुपुब्बपदवण्णना, ध. स. में प्राप्त मानसिक उपलब्धियां - नवयिमा, भिक्खवे, अट्ठ. 100. अनुपुब्बविहारसमापत्तियो देसेस्सामि, अ. नि. 3(1).219; ... अनुपुब्बपब्मार पु., [बौ. सं. अनुपूर्वप्राग्भार], एक ढलान या नवानुपुब्बविहारसमापत्तियो अनुलोमप्पटिलोमं समापज्जीति, प्रपात के बाद दूसरी ढलान वाला, एक के बाद क्रमशः आ मि. प. 172; नवानुपुब्बविहारसमापत्तिञाणानि दसबलत्राणानि रही दूसरी ढलानों से युक्त - महासमुदो, भिक्खवे, अनुपुब्बनिन्नो च तथभावे वेदितब्बानि, उदा. अट्ठ. 107. अनुपुब्बपोणो अनुपुब्बपब्भारो, उदा. 128; चूळव. 393; अ. अनु पुब्बविहारि/ अनुपुब्बविहारी त्रि., कर्म. स. नि. 3(1).39. [अनुपूर्वविहारी], ध्यान की प्रथम ध्यान आदि नौ अवस्थाओं अनुपुब्बपस्सद्धि स्त्री., कर्म. स. [अनुपूर्वप्रश्रब्धि], चार में क्रमशः आगे बढ़ने वाला - अनुपुब्बविहारि तत्थ सो, ध्यानों के दौरान क्रमशः प्राप्त शान्ति, क्रम से उदित उदा. 161; अनुपुब्बविहारि तत्थ सोति एवं तीसुपि ... उपशमभाव - अनुपुब्बपस्सद्धि अनुपुब्बपस्सद्धीति, आवुसो, सङ्घारगते अनुपस्सन्तो अनुक्कमेन ... अनुपुब्बविहारी समानो, वुच्चति ..., अ. नि. 3(1).260.. उदा. अट्ठ. 306. अनुपुब्बपोण त्रि.. ब. स. [अनुपूर्वप्रवण], क्रमशः नीचे की अनुपुब्बसमापत्ति स्त्री., कर्म. स. [अनुपूर्वसमापत्ति, ध्यान ओर ढालू या ढलानदार हो रहा - महासमुद्दो, भिक्खवे, की नौ अवस्थाओं में अनुभव की जाने वाली क्रमशः प्राप्त अनुपुब्बनिन्नो अनुपुब्बपोणो अनुपुब्बपल्भारो, उदा. 128; चूळव. आध्यात्मिक उपलब्धियां - ... तिण्णं समाधीन 393; अ. नि. 3(1).39; तुल. अनुपुब्बन्नि तथा अनुपुब्बपब्भार पठमज्झानसमापत्तिआदीनञ्च नवन्नं अनपब्बसमापत्तीनं, म. (ऊपर). नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).342. अनुपुब्बमुञ्चन नपुं., कर्म. [अनुपूर्वमोचन], क्रमशः प्राप्त अनुपुब्बसिक्खा स्त्री., कर्म. स. [अनुपूर्वशिक्षा], क्रमशः छुटकारा, क्रमबद्ध रूप में प्राप्त मुक्ति - एवं सत्तधा ... अथवा व्यवस्थित रूप से दी गयी अथवा प्राप्त की गयी शिक्षा अनुपुब्बतो, ... अनुपुब्बमुञ्चनतो, अप्पनातो, तयो च .... - इमस्स ... अनुपुब्बसिक्खा अनुपब्बकिरिया अनुपब्बपटिपदा आचिक्खितब्ब, विभ. अट्ठ. 216-17; एवं मनसिकरोन्तो यदिदं म. नि. 3.50; उदा. 130; तत्थ अनपब्बसिक्खाय तिस्सो अयमेते धम्मे अनब्बमुञ्चनतो मनसि करोति, ख पा. अट्ट 55. भिक्खा गहिता, उदा. अट्ठ. 246; प्रायः अनुपुब्बकिरिया एवं अनुपुब्बववत्थान नपुं, कर्म. स. [अनुपूर्वव्यवस्थान]. क्रमसङ्गत अनुपुब्बपटिपदा शब्दों के साथ ही प्रयुक्त. ढङ्ग से किया गया व्यवस्थापन, बातों की क्रमबद्ध रूप में अनुपुब्बसेट्टिपुत्त पु., एक व्यापारी के युवा पुत्र का उपनाम प्रस्तुति - अनुपुब्बववत्थाने, कारणञ्च विनिद्दिसे, खु. पा. -- सो एवं अनुपुब्बेन पुञकम्मरस कतत्ता अनुपुब्बसेहिपुत्तो अट्ठ. 4. नाम जातो, ध. प. अट्ठ. 1.170. For Private and Personal Use Only
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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