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अनिवातवुत्ति
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अनिस्सरण -... तेसं चित्तं उपत्थम्भेत्वा अनिवत्तिधम्मे कत्वा..., म. नि. बाहर की ओर नहीं निकला हुआ, संसार-बन्धन से मुक्त नहीं अट्ठ. (उप.प.) 3.77.
हो चुका, अविप्रमुक्त, बन्धन-ग्रस्त - ये वा पन केचि समणा अनिवातवुत्ति त्रि., निवातवुत्ति का निषे., ब. स., मिथ्याभिमानी, वा ब्राह्मणा वा विभवेन भवस्स निस्सरणमाहंसु, सब्बे ते आडम्बरी, घमण्डी; - कार पु., मिथ्याभिमान, घमण्ड, दर्प अनिस्सटा भवस्मा ति वदामि, उदा. 106; ... तेसम्पि एवं - एवं वातभरितभस्तसदिसथद्धभावपग्गहितसिरअनिवातवुत्ति- विपरीतगाहीनं कुतो भवनिस्सरणं, तेनाह भगवा ... अनिस्सटा कारकरणो थम्भो, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).179. ..... उदा. अट्ठ. 172; अयम्पि अनिस्सटो लोकम्हा, अ. नि. अनिवारित त्रि., निवारित का निषे., तत्पु. स. [अनिवारित]. 3(1).237. वह, जिसके विषय में प्रतिरोध न किया गया हो अथवा वह, अनिस्सट्ठ त्रि., निस्सट्ठ का निषे., तत्पु. स. [अनिःसृष्ट]. जिसका निवारण न किया गया हो - अक्खरसमये पन अपरित्यक्त, नहीं छोड़ा हुआ, अपने हाथों से नहीं निकला तादिसानि रूपानि अनिवारितानि, सद्द. 1.204.
हुआ - अदिन्नं नामं यं अदिन्नं अनिस्सर्ट अपरिच्चत्तं अनिविट्ठ/अनिविद्ध त्रि., निविट्ठ/निविद्ध का निषे. तत्पु. रक्खितं गोपितं ममायितं परपरिग्गहितं, पारा. 52; अत्तनो स. [अनिर्विष्ट, अस्थापित, निवेशित न किया हुआ, अविवाहित हत्थतो वा यथाठितहानतो वा न निस्सट्ठन्ति अनिस्सट्ठ - कुलकुमारियोति अनिविद्धा तासं धीतरो, अ. नि. अट्ठ. पारा. अट्ट, 1.241; द्रष्ट, निस्सट्ठ (आगे). 3.155, तुल. अनिबिट्ट.
अनिस्सय त्रि., निस्सय का निषे., ब. स. [अनिःश्रय], अनिवेसन त्रि., निवेसन का निषे.. ब. स. [अनिवेशन], मूलभूत आवश्यक उपकरणों अथवा जीवन-साधनों से विहीन,
शा. अ. बेघर, आवास-विहीन, ला. अ. सांसारिक आसक्ति बेसहारा, बजर, उदास, निर्जन, सुनसान, ऊसर - भाव से मुक्त, तृष्णा-मुक्त - जितञ्च रक्खे अनिवेसनो सिया, अनिस्सयमहीभागे त्विरीणमूसरे सिया, अभि. प. 886. ध. प. 40; अनिवेसनो सियाति अनालयो भवेय्य, ध. प. अट्ठ. अनिस्सर त्रि, इस्सर का निषे., तत्पु. स./ब. स. [अनीश्वर]. 1.180.
क. अप्रभु, अस्वतन्त्र, अशक्त, अक्षम, अवशवर्ती - ... अनिसम्म नि + /सम के पू. का. कृ. का निषे. [अनिशम्य], अरहतो चित्तं यं कायं निस्साय पवत्तति, तत्थ अरहा अनिरसरो न सुनकर, ध्यान न देकर, उचित विचार न करते हए, अस्सामी अवसवत्तीति, मि. प. 236; सम्हि सरीरे अनिस्सरा, शान्ति एवं धैर्य से रहित होकर - निसम्म खत्तियो कयिरा, जा. अठ्ठ. 3.49; अनेसमानोति अनिस्सरो, जा. अट्ठ. 5.17; नानिसम्म दिसम्पति, जा. अट्ठ. 3.91; तत्थ अनिसम्माति ख. बिना स्वामी वाला, वह, जिसका कोई भी नाथ न हो - अनोलोकेत्वा अनुपधारेत्वा, जा. अट्ठ. 4.408; - कारी त्रि., सब्बं अनिस्सरं एतं, इति वृत्तं महेसिना, थेरगा. 713: अनत्ताति बिना सोचे विचारे ही कर्म करने वाला - अनिसम्मकारी .... अस्सामिका अनिस्सराति अत्थो, ध. प. अट्ठ. 2.234. जम्मो, अभि. प. 729; राजा न साधु अनिसम्मकारी, जा. अनिस्सरण नपुं., स. प. मे पू. प. के रूप में ही प्रयुक्त - अट्ठ. 3.90.
दस्सावी त्रि., [अनिश्शरणदर्शिन], रूप आदि धर्मों को अनिसामय उपरिवत्, संभवतः, अनिसामिय का स्थाना., न आसक्ति के साथ देखने वाला, स्मृति एवं संप्रजन्य से रहित सुनकर, उचित रूप से विचार न करता हुआ - बहुस्सुतानं होकर धर्मों को देखने वाला - अनिस्सरणदस्सावी, गन्धे चे अनिसामयत्थं सु. नि. 322; अनिसामयत्थन्ति अनिसामेत्वा पटिसेवति, थेरगा. 732; द्रष्ट. निस्सरण, आगे; ... अत्थं, सु. नि. अट्ठ. 2.58.
सतिसम्पजञवसेन रूपायतने पवत्तमानो तत्थ अनिसेधनता स्त्री॰, भाव. निसेधनता का निषे., तत्पु०, निस्सरणदस्सावी नाम, वुत्तविपरियायेन अनिस्सरणदस्सावी उद्दण्डता, वश्यता, विनम्रता अथवा आज्ञाकारिता का अभाव दहब्बो, थेरगा. अट्ठ. 2.234; - टि. जो कायगता एवं - ... अतिथद्धो अनिसेधनताय.... मि. प. 175.
वेदनागता अनुस्मृति एवं सम्प्रज्ज्य के बिना ही काया, वेदना अनिस्सग्गिय त्रि., निस्सग्गिय का निषे., तत्पु. स. [बौ. सं. आदि को देखता है वह उनके प्रति चित्त की आसक्ति को अनिसर्गिक], अनिवार्य रूप से न त्यागने योग्य, न छोड़ने दृढ़ करके उनमें अनिस्सरण-दस्सावी कहलाता है; - योग्य - अनिसग्गियेन अत्थतं होति कथिनं, महाव. 332, दस्सी त्रि., [अनिश्शरणदर्शी], उपरिवत् - सो रागानुसयो द्रष्ट, निस्सग्गिया धम्मा, आगे.
होति, अनिस्सरणदस्सिनो, स. नि. 2(2).203; - पञ त्रि., अनिस्सट त्रि., निस्सट का निषे., तत्पु. स. [अनिःसृत], ब. स. [अनिश्शरणप्रज्ञ], वह, जिसके पास आसक्तियों के
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