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अनुपापित
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अनुपायास उप्पन्नानञ्च अन्तरधानतो उपादिसेसाभावो, तं उपादाय ते परगण्हाम, याव सामानुपापय, जा. अट्ठ. 6.105; - पयिं पञआपनीयतो नत्थि एत्थ उपादिसेसोति अनुपादिसेसं विसुद्धि अद्य., उ. पु., ए. व., मैंने प्राप्त करवाया - तमहं उपट्ठहित्वान, 2.138; अयं अनुपादिसेसो पुग्गलो अनुपादिसेसा च आरोग्यमनुपापयिं, चरिया. 403; - पेय्य विधि., प्र. पु., ए. निब्बानधातु, नेत्ति. 90; ख. शल्यक्रिया के विशेष सन्दर्भ व., प्राप्त करवाये, पहुंचाए - तेनेव कम्माभिसन्देन इद्धियानं में - किसी भी प्रकार के दुष्प्रभावी कीटाणुओं से पूरी तरह अभिरुयह पत्थितं निब्बाननगरं पापुणेय्या ति, मि. प. 257. से मुक्त, समस्त बाधाओं से मुक्त - उभतं खो मे सल्लं, अनुपाय' त्रि., उपाय का निषे., ब. स. [अनुपाय], समीप अपनीतो विसदोसो अनुपादिसेसो, म. नि. 3.42.
में नहीं आने वाला, स्वयं को (किसी में) पूरी तरह न लगाने अनुपापित त्रि., अनु + प + आप के प्रेर. का भू. क. कृ., वाला, अनुपगमक, असमर्पक - सो तेसु धम्मेसु अनुपायो प्राप्त कराया गया, पहुंचाया गया, समझाया गया- तेन तेन अनपायो अनिस्सितो .... म. नि. 3.74. सदिसेन कारणेन निरवज्जमनुपापितं जिनसासनं सेट्ठभावेन अनुपाय- पु., उपाय का निषे., तत्पु. स. [अनुपाय], अनुचित परिदीपितं, मि. प. 236.
उपाय, अनुपयुक्त साधन, किसी उद्देश्य को पाने हेतु अपनायी अनुपापुणाति अनु + प + vआप का वर्त, प्र. पु., ए. व. गयी अनुचित प्रक्रिया - अनुपायेनूपगता अग्गिदोसेन अट्टिता, [अनुप्राप्नोति], अभि तक अप्राप्त को प्राप्त करता है, जा सद्धम्मो. 405; अयम्पि अनुपायो ति आह, जा. अट्ट, 6.231; पहुंचता है, भाग्य के अधीन हो जाता है - अननुप्पत्तञ्च अनुपायेन यो अत्थं, इच्छति सो विहअति, जा. अट्ट, 1.248; अनुत्तरं योगक्खेमं अनुपापुणातीति, म. नि. 2.12; अ. नि. अनुपायेन हि आहारेन्तो दवत्थाय ... वा आहारेति, ध. स. 3(2).309; सच्चानुप्पत्ति होति, एतावता सच्चमनुपापुणाति, अट्ट. 421; - यापरिग्गह पु., [अनुपायापरिग्रह], अनुचित म. नि. 2.191; - मि उ. पु., ए. व. - अननुप्पत्तञ्च अनुत्तरं उपायों या साधनों के चयन या स्वीकरण का अभाव - योगक्खेमं नानपापुणामि, म. नि. 1.150; - तु अनु०, प्र. पु.. मुट्ठस्सति उपायापरिच्चागे अनुपायापरिग्गहे च असमत्थो ए. व., पहुंचे, प्राप्त करें - मा च खो त्वं, अय्ये, सेखं होति, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).254; - परिवज्जन नपुं., अप्पत्तमानसं लाभसक्कारसिलोको अनुपापुणातूति, स. नि. तत्पु. स. [अनुपायपरिवर्जन], अनुचित उपायों या साधनों 1(2).213; - थ म. पु., ब. व., प्राप्त करो - तुम्हेपि, का परित्याग - असम्पजानो उपायपरिग्गहे अनुपायपरिवज्जने भिक्खवे, योनिसो मनसिकारा योनिसो सम्पप्पधाना अनुत्तरं च सम्मुव्हति, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).254; - मनसिकार विमुत्तिं अनुपापुणाथ स. नि. 1(1)124; - णेय्य विधि., प्र. पु., कर्म. स., अपने मन के विचारों के प्रसार अथवा उदय पु., ए. व., प्राप्त करें, जा पहुंचे - सो अपरेन समयेन तं का अनुचित तरीका - अयोनिसोमनसिकारो नाम कन्तारं नित्थरेय्य सोत्थिना, गामन्तं अनुपापुणेय्य खेमं अनुपायमनसिकारो उप्पथमनसिकारो, विभ. अट्ठ. 255. अप्पटिभयं, दी. नि. 1.84; - पुणि अद्य, प्र. पु., ए. व., जा अनुपायास' पु., उपायास का निषे., तत्पु. स. [अनुपायास], पहुंचा, प्राप्त हुआ - तदवसरीति तं पाटलिगाम अवसरि उपायासों या मानसिक व्याकुलता का अभाव, विपत्तियों या अनुपापुणि, उदा. अट्ट, 330; - पुणिं उ. पु., ए. व., पहुंचा बाधाओं का अभाव, शान्त अवस्था, प्रश्रब्धि - ... अपरिदेवो - मजुस्सरानं भिक्खूनं, अग्गत्तमनुपापुणिं, अप. 2.141; - अभि य्यो, अनुपायासो अभि य्यो, पटि. म. 11; - बहुल णिस्सति भवि., प्र. पु., ए. व., प्राप्त करेगा, जा पहुंचेगा त्रि., आपत्तियों से पूरी तरह मुक्त, पूर्णतया शान्त - ... -- सावको खो पन ते सउपादिसेसो अनुपादिसेसं मनुस्सभूतो समानो अक्कोधनो अहोसि अनुपायासबहुलो, निब्बानधातुं अनुपापुणिस्सतीति नेतं ठानं विज्जति, नेत्ति. दी. नि. 3.119. 76; - अनुप्पत्वान पू. का. कृ., जा पहुंचकर, प्राप्त कर अनुपायास त्रि., उपायास का निषे., ब. स. [अनुपायास], - सो हि नून इतो गन्वा, अनुप्पत्वान द्वारक, पे. व. 281; मानसिक पीड़ाओं, व्यथाओं अथवा विपत्तियों से मुक्त, पूर्ण अनुप्पत्वान द्वारकन्ति द्वारवतीनगरं अनुपापुणित्वा, पे. व. रूप से शान्त, उपताप से रहित - अदुक्खो एसो धम्मो अट्ठ. 108.
अनुपघातो अनुपायासो अपरिळाहो, सम्मापटिपदा, म. नि. अनुपापेति अनु + प + आप का प्रेर., वर्त., प्र. पु., ए. व., 3.279; असोका ते विरजा अनुपायासाति वदामी ति, उदा. पहुंचा देता है, प्राप्त कराता है - पय अनु., म. पु., ए. व. 177; असोकं तं, भिक्खवे, अदरं अनुपायासन्ति वदामि, स. [अनुप्रापय], प्राप्त कराओ, पहुंचाओ, समझाओ - अञ्जलिं नि. 1(2).90; - सं क्रि. वि., बिना कष्ट या पीड़ा के, सुख
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