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अनियामित/अनियमित
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अनिरोध
अनिश्चित हो, संयोजक सर्वनाम-शब्द, (य, वा, अञ्जतर एवं अञतम जैसे सर्वनाम) - अञतर अञतमसद्दा अनियमत्था, सद्द. 1.266; तत्थ वासद्दो अनियमत्थो, उदा. अट्ठ. 261. अनियामित/अनियमित त्रि., नियामित/नियमित का निषे., तत्पु. स. [अनियमित, बौ. सं. अनियमित/अनियामित], अनिश्चित, अनियमित, [प्रायः यं एवं तं जैसे संयोजक सर्वनामों के लिए प्रयुक्त].- निद्देस पु., कर्म स., संयोजक सर्वनामों के प्रयोग द्वारा किसी मन्तव्य का उल्लेख - तत्थ अञ्जतराति अनियमितनिदेसो, खु. पा. अट्ठ. 92; - पच्चत्त त्रि., तत्पु. स., संयोजक सर्वनाम 'य' आदि का प्रथमा विभक्ति में प्रयोग - यन्ति अनियमितपच्चत्तं, खु. पा. अट्ठ. 191; - परिच्छेद पु., तत्पु. स., अनिश्चित मात्रा अथवा माप का निर्धारण- यावाति अनियामितपरिच्छेदो, जा. अट्ठ. 4.155; - परिदीपन नपुं., अनिश्चय का संसूचन या प्रकाशन - एकं समयन्ति अनियमितपरिदीपनं, खु. पा. अट्ठ. 85; -- वचन नपुं., अनिश्चयवाचक अथवा संयोजक सर्वनाम - यानीध भूतानि समागतानी ति अनियमितवचनेन भूतानि परिग्गहेत्वा .... खु. पा. अट्ठ. 133 - वसेन क्रि. वि., अनियमित रूप में - तत्थ ... अनियमितवसेन अनवसेसं परियादियति, खु. पा. अट्ठ. 136; - सङ्खा-निद्देस पु., तत्पु. स. [अनियमित-संख्यानिर्देश], अनिश्चित संख्या का कथन -- बहूति अनियमितसङ्घयानिद्देसो, खु. पा. अट्ठ. 98; - तालपन नपुं., तत्पु. स., किसी अनिश्चित व्यक्ति का आह्वान, किसी विशेष व्यक्ति को सम्बोधित न करना - तत्थ पस्साति अनियामितालपनमेतं, जा. अट्ठ. 3.152; - तुद्देसवचन नपु., तत्पु. स., अनिश्चय वाचक अथवा संयोजक सर्वनाम-पद - तत्थ येति अनियमितुद्देसवचनं खु. पा. अट्ठ. 146. अनिय्यातित्तभाव त्रि., निय्यातित्तभाव का निषे०, ब. स. [बौ. सं. अनिर्यातितात्मभाव], वह, जो आत्मभाव के लगाव से बाहर नहीं निकल सका है- एवं अनिय्यातितत्तभावो हि अतज्जनीयो वा होति ..., विसुद्धि. 1.112. अनिय्यान नपुं., निय्यान का निषे., तत्पु. स. [अनिर्याण]. शा. अ. बाहर की ओर कूच करने या बाहर जाने अथवा आक्रमण करने का अभाव, ला. अ. संसार-बन्धन से बाहर न आ पाना, मुक्ति का अभाव - अनिय्यानन्ति विप्पवुत्थानं पुन आगमनं, दी. नि. अट्ठ. 1.84; - दीपक त्रि., तत्पु. स., विमुक्ति पर प्रकाश न डालने वाला - अनिय्यानदीपकहि
अनत्थकेहि पदेहि .... ध. प. अट्ठ. 1.364; - मग्ग पु., तत्पु. स., संसार-बन्धन से बाहर निकालकर न ले जाने वाला मार्ग - नानप्पकारका हि अनिय्यानमग्गापि मग्गात्वेव वुच्चन्ति , म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).248. अनिय्यानिक/अनीयानिक त्रि, निय्यानिक का निषे., तत्पु. स. [अनिर्याणिक], विमुक्ति अथवा छुटकारा न दिलाने वाला, मुक्ति के लिए अनुपयोगी, छुड़ाकर बाहर निकाल सकने में अप्रतिबल - इध धम्मो दुरक्खातो होति दुप्पवेदितो अनिय्यानिको, स. नि. 3(2).443; दुरक्खाते धम्मविनये दुप्पवेदिते अनिय्यानिके..... दी. नि. 3.87; ये खो पन धम्मा
अनिय्यानिका, ते निय्यन्ति तक्करस्स सम्मा दुक्खक्खयायाति ..... नेत्ति. 76%; लोकायतिकन्ति अनत्थनिस्सितं सग्गमग्गानं अदायकं अनिय्यानिकं.... जा. अट्ठ. 7.181; - कारण नपुं.. कर्म. स., निष्कर्ष तक न पहुंचाने वाली तर्क-पद्धति - .... दुतियं तक्कग्गाहकारणं अनिय्यानिककारणं, जा. अट्ठ. 1.112; - त्त नपुं., भाव., मुक्ति अथवा छुटकारा न दिलाने की अवस्था - अनिय्यानिकत्ता सग्गमोक्खमग्गानं तिरच्छानभूता कथाति ..., दी. नि. अट्ठ. 1.80; - भाव पु., मुक्ति अथवा छुटकारा न दिला सकने की स्थिति - अथ भगवा नेसं अनिय्यानिकभावकथनेन अत्थाभावतो.... म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).133. अनिरस्साद त्रि., निरस्साद का निषे., ब. स., सन्तुष्ट, असन्तोष से रहित - यदास्स एवं पटिपज्जतो अलीनं अनुद्धतं अनिरस्सादं ... समथवीथिपटिपन्नं चित्तं होति. विसुद्धि. 1.131; पआपयोगसम्पत्तिया, उपसमसुखाधिगमेन
च अनिरस्साद, विसुद्धि. महाटी. 1.149. अनिराकतज्झान त्रि., निराकतज्झान का निषे०, ब. स. [अनिराकृतध्यान], ध्यानभावना को बीच में बाधित न करने वाला, वह, जिसकी ध्यान भावना बीच में नहीं टूटती हो - पटिसल्लानारामा, भिक्खवे, विहस्थ ... अनिराकतज्झाना ..., इतिवु. 29; अनिराकतज्झानाति बहि अनीहतज्झाना
अविनासितज्झाना वा, इतिवु. अट्ठ. 147. अनिरुद्ध त्रि., निरुद्ध का निषे., तत्पु. स. [अनिरुद्ध], अप्रतिहत, अबाधित, वह, जिसकी समाप्ति अथवा अन्त नहीं हुआ है - उपेक्खासुखं अनिरुद्ध होति, म. नि. 2.127. अनिरोध त्रि., निरोध का निषे., ब. स. [अनिरोध], वह, जो अभी तक समाप्त नहीं है अथवा जिसका क्षय नहीं हुआ है - ... नत्थिभावविरुद्धो अस्थिभावो अनिरोधोति दस्सितं होति. उदा. अट्ठ. 32.
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