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अनिमित्त
अनिब्बानसंवत्तनिक अनिब्बानसंवत्तनिक त्रि., निब्बानसंवत्तनिक का निषे., तत्पु. स. अनिर्वाणसंवर्तनिक], निर्वाण की ओर न ले जाने वाला, निर्वाण-प्राप्ति में असहायक या अनुपयोगी - कामवितक्को, भिक्खवे, अन्धकरणो ... अनिब्बानसंवत्तनिको, इतिव. 60- पञ्चिमे भिक्खवे नीवरणा अन्धकरणा... अनिब्बानसंवत्तनिका, स. नि. 3.118; अनिब्बानसंवत्तनिकाति निब्बानत्थाय असंवत्तनिका, स. नि. अट्ठ. 3.188; ... सब्ब रागतमं ... अनिब्बानसंवत्तनिकं नदित्वा, ..., महानि. 341; अनिब्बानसंवत्तनिकन्ति अपच्चयअमतनिब्बानत्थाय न संवत्तनिक, महानि. अट्ट, 359. अनिबिड त्रि., निबिट्ट का निषे., तत्प. स. [अनिर्विष्ट]. अनासक्त, अलिप्त - दस्सनतो या अनिबिट्ठा वा होतु निबिट्ठा, सद्द. 2.364, तुल. अनिविट्ठ (आगे). अनिब्बिद्ध त्रि., निब्बिद्ध का निषे., तत्पु. स. [अनिर्विद्ध]. वह, जिसे भीतर तक बेधा न गया हो अथवा जो दरार-रहित हो, विषयभोगों अथवा राग आदि से अप्रभावित (चित्त) - सो ... भावितेन चित्तेन अनिबिद्धपुब्बं ... लोभक्खन्धं निबिज्झति..., स. नि. 3(1).107; - द्धा स्त्री., ऐसा मार्ग, जो व्यूह के रूप में हो, सभी के लिए सरल न हो, चतुष्पथ, व्यूह - व्यूहो रच्छा अनिबिद्धा, अभि. प. 202; व्यूहोनिबद्धरच्छायं, अभि. प. 1007. अनिबिन्दियकारी त्रि., निबिन्दियकारी का निषे., तत्पु. स. अनिर्वेदकारी], निरुत्साह अथवा निराशाभाव के बिना काम करने वाला, अनासक्त होकर कर्म करने वाला, विषय-भोगों के प्रति निरपेक्ष होकर कर्मों में रत -
अनिबिन्दियकारिस्स, सम्मदत्थो विपच्चति, जा. अट्ठ. 5.117, द्रष्ट, न निबिन्दियकारी. अनिब्बिसता स्त्री., निब्बिसता का निषे. [अनिर्विषता], विष से मुक्त न होने की दशा, विषरहित न होने की अवस्था - अदन्तो ... ति एत्थ पन अनिब्बिसताय अदन्तो, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).202. अनिब्बुत त्रि., निब्बुत का निषे०, तत्पु. स. [अनिवृत], निर्वाण को अप्राप्त, अमुक्त, अप्रसन्न - ... निबुतस्स अनिबुतो, इतिवु. 66; रागादिकिलेसपरिळाहाभिभवेन अनिबुतो, इतिवु. अट्ठ. 259; - किलेसता स्त्री॰, भाव. [अनिवृतक्लेशता], उस व्यक्ति की अवस्था अथवा मनोदशा, जिसके क्लेश नष्ट नहीं हुए हों, क्लेशों के उपशमन के अभाव वाली मनोदशा - अनिबुतकिलेसताय अपरिनिबुतोति वेदितब्बो, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).202.
अनिब्बेमतिक त्रि., निब्बेमतिक का निषे., तत्पु.
अनिर्वैमतिक], सन्देहों से अमुक्त, सन्देहग्रस्त, संशयाल - भाव पु., कर्म, स., सन्देहग्रस्त होने की दशा, संशयग्रस्तता - अथ महाजनो न निब्बेमतिको होति, अथस्स
अनिब्बेमतिकभावं विदित्वचा.... ध. प. अट्ट, 1.23. अनिमित्त त्रि., निमित्त का निषे०, ब. स. [अनिमित्त], क. चिह्नों अथवा विशिष्ट लक्षणों से रहित, असंस्कृत, शून्य (निर्वाण) - अनिमित्तञ्च भावेहि. सु. नि. 344, थेरीगा. 20, 105; अनिच्चानुपरसनाञाणं निच्चनिमित्ततो विमुच्चतीति अनिमित्तो, सु. नि. अट्ट, 2.70; सुञतो अनिमित्तो च, ध. प. 92; रागादिनिमित्तानं अभावेन अनिमित्तं, तेहि च विमुत्तन्ति अनिमित्तो विमोक्खो , ध. प. अट्ठ. 1.344; ख. रहस्यमय, अज्ञात, विचित्र - अनिमित्तमनञआतं, मच्चानं इध जीवितं. सु. नि. 579; अनिमित्तन्ति किरियाकारनिमित्तविरहितं. सु. नि. अट्ठ. 2.161; ग. कारणरहित, अहेतुक - सनिमित्ता ..... उप्पज्जन्ति पापका अकुसला धम्मा, नो अनिमित्ता, अ.
नि. 1(1).98; तञ्च अनिमित्तं अनिदानं असङ्घारं अप्पच्चयं ..... स. नि. 3(2).290; घ. पुरुषत्व एवं स्त्रीत्व के चिह्नों (लिङ्गों) से रहित- अक्कोसति नाम अनिमित्तासि..., पारा. 190; ङ. परिसीमन-रहित, असीम - पथविं सागरपरियन्तं अखिलमनिमित्तं, दी. नि. 3.108; - कत त्रि., वह जिसके विषय में कोई निर्णय नहीं किया गया हो - अनिमित्तकतेन अत्थतं होति कथिनूं महाव. 332; - कतदिस त्रि., ब. स., अनिर्धारित दिशा की ओर जाने वाला - ... सा पपटिका .... अनिमित्तकतदिसा .... मि. प. 176; - फलसमापत्ति स्त्री., अनिमित्त अर्थात् निर्वाण के फल की प्राप्ति - ... सुञतफलसमापत्ति अनिमित्तफलसमापत्ति .... मि. प. 303; - मग्ग पु., कर्म. स. [अनिमित्तमार्ग], लक्षणरहित, नामरहित, चिह्नरहित मार्ग, अनिमित्त की अनुपश्यना वाला मार्ग - ... अनिमित्तविपस्सना सयं आगमनीयट्ठाने ठत्वा अत्तनो मग्गस्स नामं दातुं न सक्कोतीति अनिमित्तमग्गो न गहितो, ध. स. अट्ट, 267; - रत त्रि., तत्पु. स., निमित्तरहित (निर्वाणपद) में लगा हुआ - सुञताबहुलो तादी, अनिमित्तरतो वसी, अप. 2.16; - विमुत्त त्रि., कर्म. स. [अनिमित्तविमुक्त], अनिमित्त नामक विमुक्ति को प्राप्त करने वाला - ... सुअत्तविमुत्तेन, अनिमित्तविमुत्तेन .... नेत्ति. 162: - विमोक्ख पु., कर्म. [अनिमित्तविमोक्ष], अनिमित्त नामक विमुक्ति का एक प्रभेद - अनिच्चानुपस्सनाय हि वसेन अनिमित्तविमोक्खो कथितो, ध. स. अट्ठ. 266; - विहारी त्रि., उप. स.
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